शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2017

चीरा धरती का सीना है सबकी भूख मिटाने को,
भूखा कैसे मैं सो जाता शब्द नही समझाने को,
मुझको फसल मेरी बेटे सी रोज दिखाई देती है,
पाला-पोषा कैसे मैंने, क्या तुम्हे दिखाई देती है,
हो जाती जब रात तुम्हारी मेरी सुबह तभी होती,
मेरी किसानी की किताब में कोई पहर नही होती,

चंद पंक्तियाँ  मेरी कविता✍ "किसान का दर्द" से....
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©®योगेश मणि योगी

सोमवार, 9 अक्टूबर 2017

जब सबूतों के अभाव में दोषी बच जाते हैं और रशूख न होने के कारण आम आदमी को न्याय नही मिलता तब भारत का सिस्टम 2 कौड़ी की रखैल नजर आता है-
अपने माता पिता के हत्यारों को जब एक बेटी सजा नही दिलवा पाती सिस्टम जो पैसों और पावर का गुलाम है से हार जाती है और आत्महत्या कर लेती है तब लगता है कि भारत की उन्नति कभी नही हो सकती।
मेरी अश्रुपूरित श्रद्धांजलि के साथ चंद पंक्तियाँ-

मत रो की तूने जन्म लिया है महान देश मे,
तन नंगा है,पेट भूखा जीता जा परिवेश में,
बिका है जो अमीरों के हाथों में सिस्टम,
न्याय किसको मिला है अब तक इस देश में,
पैसा पॉवर चलता हैं कोठों में अदालत की,
मुजरा करता हैं कानून तवायफ के भेष में,
ऐसे ही घुट घुट कर मरोगे गरीब हो तुम,
क्योंकि राजनीति भृष्टनीति हावी है देश मे,


©कॉपीराइट सर्वाधिकार सुरक्षित
©® योगेश मणि 'योगी'


शनिवार, 30 सितंबर 2017

ये पैदा कँहा से हुवा होगा..
बोलो..
इसको बाप की जरूरत क्या थी?
बोलो...
हमारे देश प्रचीन है कोई शक नही?
ये tv पर live और माइक पर क्यों बोलता है?
बोलो...
जंगल जाकर क्यों नही आध्यत्म करता?
बोलो...
मंहगी मंहगी गाड़ियों से क्यों चलता हैं? पैदल चले
बोलो...
विदेश जाने के लिए हवाई जहाज का उपयोग क्यों करता है?
बोलो...
आंख बंद करके प्राचीन तरीक़े से भी जा सकता है?
बोलो...
ये देश को बांट रहा है और जनता इसकी चाट रही है?
बोलो......
बोलो....मेरे देशवासियों ..बोलो


©®कॉपीराइट लेख
योगी योगेश मणि
Blog से अवतरित
yogeshmanisinghlodhi@blogspot.in
जिसने जब जब बोला झूठ,
उसका भरम गया है टूट,
रावण मर्दन राम करेगें,
बाकी तो बदनाम करेंगे,
प्रभु राम के गुण तो लाओ,
तब मोदी जी धनुष उठाओ,
झूठ राम ने कभी न बोला,
जनमानस से कभी न खेला,
रघुकुल रीत वचन न जाई,
मोदी तुम उल्टे हो भाई,
प्रभु राम न माफ करेंगे,
लिख लो सत्ता साफ करेंगे,

😂😂😂

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कवि योगेश मणि योगी

शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

एक कोसिस तुम करो अब एकता के लिए,
दुश्मनों के घर को तुम अपना बनाना छोड़ दो,

नित्य हमले हो रहे हों देश के उत्थान पर,
प्यार में डूबी सुनो गजलें बनाना छोड़ दो,

तोड़कर कैसे भला खुस रह सकेंगे देश को,
राज अपने दुश्मनों को तो बताना छोड़ दो,

बिक न जाये देश की खुशियां कंही चौबारे पे,
जिद को अपनी छोड़ या की वतन को छोड़ दो,


रह सकें हम सो सकें निस्फिक्र अब तो रात में,
मान जाओ कह रहे अब बम बनाना छोड़ दो,

क्या मिलेगा मार कर तुमको बताओ तो भला,
ईद की खुशियों में तो कुर्बानियों को छोड़ दो,

©®योगी

सोमवार, 28 अगस्त 2017

शीर्षक -नदिया की महिमा समझाऊँ          

                       आओ तुमको गीत सुनाऊँ,
                       नदिया की  महिमा समझाऊँ,
जीवन की यह भाग्य विधाता।
जन्मों का है इससे नाता।।
इसके जल से हरियाली है।
पूरे जग में खुशहाली है।।
कल-कल,छल-छल निर्मल बहता।
इसके जल से जीवन चलता।।
                   कितने गुण मैं तुम्हे बताऊं,
                   नदिया की महिमा समझाऊँ,

अगर नहीं नदिया होतीं तो?
सारे जग में बंजर होता।।
न मैं होता न तुम होते ,
न ये सारा जीवन होता।।
आज मगर हम भूल गए हैं।
अहंकार में डूब गए हैं।।
                    जल की कीमत क्या बतलाऊँ,
                    नदिया की महिमा बतलाऊँ,
आओ मिलकर इन्हें बचाएं।
पर्यावरण का साथ निभाएं।।
जल में कचरा न फैलाएं।
प्रदूषण से इसे बचाएं।।
                    बार-बार मैं यही बताऊँ
                    नदिया की महिमा समझाऊँ,
                    नदिया की महिमा.......

©®योगी योगेश
सर्वाधिकार सुरक्षित

रविवार, 27 अगस्त 2017

राम रहीम के नाम पर मुंह काला करवाया है,
राजनीति का दल्ला बनकर धर्म को गले लगाया है,

चोला चन्दन पहन के  बाबा फन को अपने छुपा गया,
व्यभिचारी बनकर वह अपना संदेशा तो बता गया,

ऐसे धर्म के ठेकेदारों को जनता ईश्वर समझ रही,
उनकी मीठी मीठी बातों के फेरों में उलझ रही,

भक्त बनाकर अपना उल्लू सीधा करना  पेशा है,
धर्म का  ढोंगी अय्याशों को मिला हुआ क्यों ठेका है,

कहते ईश्वर मिल जाएगा हम बाबा ही जरिया हैं
खूब लूटते धन और इज्जत बातें इनकी बढ़िया हैं

ईश्वर को पाने की खतिर आखिर क्यों हो भटक रहे,
खुद के माता पिता तुम्हारी आँखों मे जब खटक रहे,

ईश्वर कंही नहीं मिलता है मन के अंदर ही सब है,
सब धर्मों का वास मनुज है इसके अंदर ही रब है,

इंसानों से प्रेम करो जीवों को जीवन जीने दो,
एक घाट में शेर और बकरी को पानी पीने दो,

जब समरसता लाओगे तब सब ईश्वर हो जाओगे,
नही भटकना दर दर तुमको अपने अंदर पाओगे,




सर्वाधिकार सुरक्षित
©®योगी योगेश मणि
भाजपा के सांसद अपने आप को स्वामी कहने वाले साक्षी महाराज ने कहा कि-"रामरहीम के ऊपर एक औरत ने ही आरोप लगाया है ,जबकि उसके करोड़ो भक्त है इसलिए रामरहीम को गलत नही समझ सकते यह हिन्दू संस्कृति को बदनाम करने की साजिश है"

मेरे आपसे कुछ सवाल हैं-
1.क्या एक महिला का बलात्कार बलात्कार नही माना जा सकता ?
2.क्या संविधान एक व्यक्ति को अधिकार नही देता?
3.क्या एक व्यक्ति की बात जायज़ नही होती?
4.क्या एक व्यक्ति ,व्यक्ति नही माना जाता ?
5.पूरे विश्व मे राम भी तो एक ही हैं?
6.पूरे विश्व मे खुद साक्षी महाराज भी तो एक ही हैं?

मतलब क्या एकलौता सार्थकता और ईमानदारी का पैमाना नही है?
 यदि ऐसा है तो 196 देशों में भारत भी सांस्कृतिक विविधता वाला एक मात्र देश है !
एक को नगण्य समझने की भूल नही की जानी चाहिए।

बलात्कारियों का सपोर्ट करने की जगह आपको नारी की मर्यादा का सम्मान करना चाहिए ।
और एक बात याद रखनी चाहिए समूह ही सब कुछ नही होता।
एक व्यक्ति बहुत मायने रखता है।
#एक देश एक संविधान
#कड़वालिखताहूँ

©योगी योगेश मणि

शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

हम कौन से देश की बात करते हैं?
हम कौन से कानून की बात करते हैं?
एक देश एक कानून क्या है? दिखावा

यँहा दो कानून हैं एक VVIP और VIP के लिए और एक आम आदमी के लिए!!!!!

डेरा सच्चा सौदा का राम रहीम कोर्ट द्वारा जब बलात्कार का आरोपी सिद्ध होता है तो उसे हरियाणा की बीजेपी सरकार उसे रात भर AC में रखती है,VIP सुविधाएं दी जाती हैं। कोर्ट के दखल के बाद भी सरकार नाकाम दिखाई देती है,
क्या इतनी ही सुविधाएं किसी आम आरोपी व्यक्ति को दी जातीं?
आपने सोचा है क्यों?
जी हां राम रहीम डेरा सच्चा सौदा का यह संस्थापक  और इसके जैसे कई बाबा राजनीति के लिए मैनजमेंट, फंड,वोट आदि का जुगाड़ करते हैं और बदले में उन्हें दामाद की तरह रखा जाता है?

भारत एक महान देश है ?
यंहा दुराचार होता है तो कैंडल मार्च होती हैं?
दुराचार के आरोपी को बचाने 10 लाख लोग इकट्ठा होते हैं?
एक आतन्की को बचाने लाखों लोग सेना पर पत्थर मारते हैं?
आरोपी बच जाते हैं निर्दोषों को जेल में डाला जाता है?

राम रहीम को सजा होगी कितनी 7- 8 साल , बस????
और जो 30 लोग मरे उनका क्या? उनकी मौत का जिम्मेदार कौन??
100% राम रहीम  या फिर नाकाम सरकार, जिसे सब पता था और धारा 144 के बाद भी 10 लाख लोगों को पंचकूला में इकट्ठा हो जाने देती हैं,यह कह कर की ये रामरहीम के भक्त हैं!!
सच मानिए तो वोट बैंक की राजनीति एक ऐसी गले की हड्डी है जिसे न तो उगला जा सकता है और न ही निगला?
हाँ इस राजनीति का प्रतिफल ये जरूर होगा कि देश आने वाले समयों में आंतरिक कलहों से ही लड़ता रहेगा।


लेख ©®सर्वाधिकार सुरक्षित
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योगी योगेश मणि

बुधवार, 16 अगस्त 2017

सरकार कहती है ऑक्सीजन की कमी से किसी की मृत्यु नहीं हुई, शायद बच्चों ने जान-बूझकर साँस रोक ली होगी योगी जी, ये बच्चे आपको बदनाम करने के लिये कुछ भी कर सकते हैं। मृतक बच्चों को श्रद्धांजलि देती मेरी रचना-

किलकारी का गला घोंट के चुप बैठे हो योगी जी,
कँहा गई हैं हमें बताओ मन कि बातें मोदी जी,

उनसे पूँछों कितनी पीड़ा जिनकी तुमने कोख हरी,
फूलों की बगिया सुखी है, रहती थी जो हरी भरी,

ऐसा तुमने दर्द दिया है, माता कैसे माफ करे,
ऐसा कोई मरहम है क्या, जो दामन की पीर हरे,

नोटें सत्ता तुमको प्यारी, हमको प्यारा बचपन है,
पिता बनोगे तब जानोगे, कैसे सीना छप्पन है,

धरातल की बात करो, उड़ना मत हमको सिखलाओ,
जन मानस की दूर समस्या करके सबको दिखलाओ,

रामराज्य आएगा कैसे हाहाकार मची है जी,
नेता अफसर ठेकेदारी लूटा लुटा मची है जी,

सरकारी आफिस में कितने अजगर कुंडली मारे हैं,
खून के आँसू जनता रोये चख के देखो खारे हैं,

नही जरूरत हमको देखो बुलेट ट्रेन मत चलवाओ,
खाली पड़े सिलेंडर उनमें पहले ऑक्सीजन भरवाओ,

सैनिक मरते बच्चे मरते मरते रोज किसान हैं,
प्रश्न पूंछती भारत माता कँहा बिका ईमान है,


©®योगेश मणि योगी
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शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

उप्र गोरखपुर के बी आर डी हॉस्पिटल में 30 बच्चे अकाल मृत्यु मरे ! आज एक बार फिर दिल दहल उठा।
क्या यही सपनों का भारत है!!!!!!!!

देश को-
स्मार्ट सिटी की जरूरत नही?
बुलेट ट्रेन की जरूरत नही?
मंगल पर जाने की जरूरत नही?
चाँद पर जाने की जरूरत नहीं?
विदेश नीतियों की जरूरत नहीं?
देश को विश्व गुरु बनाने की जरूरत नहीं?

देश की राजनीति ये कब समझेगी की हमें दिखावे की नहीं   धरातल पर रहने और बुनियादी चीजों की आवश्यकता है।
ताकि देश के अंदर भविष्य में गृह-युद्ध जैसे हालात पैदा न हों।

©लोधी योगेश मणि सिंह

बुधवार, 9 अगस्त 2017

देश मे हमेशा से बलात्कार छेड़छाड़ की घटनाएं होती रहती हैं,अभी हरियाणा चंडीगढ़ में घटना हुई, सारे सबूत लड़के के खिलाफ है फिर भी हमारा कुंठित समाज जो अपने आप को पुरातन और संस्कारी कहता हैं उसकी घटिया सोच हर ऐसे मामले में खुल कर सामने आती है। हमेशा से औरत को गलत ठहराने की परंपरा सनातन से चली आई है यही हमारे  संस्कार हैं।
मैं ये पोस्ट इसलिए लिख रहा हूं कि समाज के पुरुषों की सोच न्यूज़ डिबेट आदि में सुन सुन कर मन बड़ा व्यथित हुआ,चारों ओर से एक बाढ़ सी आ गई की कौन कितना औरत को नीचा दिखा सकता हैं ,कौन उसको और जलील कर सकता है।
औरतों को ऐसे कपड़े पहनना चाहिए,ये करना चाहिए ,9 बजे के बाद बाहर नही निकलना चाहिये, पर्दे में रहनी चाहिए, तमाम बंदिशें ,संस्कृति की दुहाई,हमारे पुण्य पुरातन सभ्यता की दुहाई?
सिर्फ औरत के लिए?
अगर औरत संस्कृति का हिस्सा है, तो हे भारत के पुरुषों क्या तुम इस संस्कृति से नही हो, क्या तुम्हारी रगों में संस्कृति और संस्कारों का खून नही दौड़ रहा,यदि हाँ तो 101 प्रतिशत गलती तुम्हारी है। और यदि नही तो अपने आप को पुरुष कहना छोड़ दो तुम राक्षसों से भी गए गुजरे हो।
याद है संस्कृति जब स्वामी विवेकानंद जी के पास एक विदेसी युवती आई और बोली कि मुझे आपसे प्यार है और आपके जैसा ही पुत्र चाहिए।
मत भूलो याद करो स्वामी जी ने कहा था कि हे देवी आपकी समस्या का हल है आज से मैं आपको अपनी माँ स्वीकार करता हूँ, और मैं आपका बेटा हूँ।
ऐसे हैं हमारे संस्कार, संस्कारों से मत खेलो ।

लड़की कपड़े ओछे पहनती है तो बलात्कार करोगे?
लड़की रात में मिलेगी तो बलात्कार करोगे?
लड़की सिगरेट पीती है शराब पीती है तो बलात्कार करोगे?
लड़की हँस के बात कर दी तो छेड़खानी करोगे?
लड़की अच्छा दोस्त समझती है तो बिस्ततर तक पहुंचने के सपने देखोगे?
लड़की पलट के देख ली तो घर तक पीछा करोगे उसका जीना हराम कर दोगे?

कमी लड़की में नही है कमी तुम्हारे संस्कारों में है,कमी तुम्हारे माँ बाप की परवरिश में हैं, और हे भद्र पुरुषों कमी तुम्हारी 2 कौड़ी की सोच में है।

कपड़ों का क्या है सोच गंदी होती है ,अगर सोच और खुद पे काबू है तो क्या औकात किसी पहनावे में की कोई आपको डिगा दे,
अगर मन में चोर है तो व्यक्ति फिसलेगा,
हमेशा कपड़ो को दोष देते हो ,औरत को देते हो ,सिर्फ आपने को पाक साफ रखने के लिए, असल मे दोषी तुम्ही हो।
अब बताना और अपनी सोच का आकलन करना-
1.पागल औरतें बाजार में नग्न ,अर्द्धनग्न फिरती हैं कितनों के मन ललचाते हैं?
सिर्फ वहशी पुरुषों के!
2. 3-4 साल की मासूम तो ब्रा पहन के नही घूमती कितनो के मन ललचाते हैं ?
सिर्फ वहशी पुरुषों के!
3.बूढ़ी औरतों को देखकर कितनो के मन ललचाते हैं?
सिर्फ वहशी पुरुषों के!

4.हाईवे में रोककर सामूहिक बालात्कार होता है क्या वो भी नग्न घूमती हैं या अंग प्रदर्शन करती हैं।
उनसे भी व्यभिचार कौन करता है?
सिर्फ वहसी पुरुष!

6.स्कूलों में तो सलवार सूट पे लड़कियों रहती हैं, फिर उनपर मन किसका ललचाता है?
सिर्फ वहशी पुरुषों का!

6.काम वालियों जो पेट के लिए घरों का काम करती हैं?
उनपर अत्याचार कौन करता है?
सिर्फ वहसी पुरुष!

7.क्या कभी अपनी बेटी बहन के लिए मन फिसला है?
नही न?
फिर दुसरों के प्रति गंदी मानसिकता क्यों?

पुरुषों को ये धारणा बदलनी होगी कि पहनावा ही सब कुछ है।
सोच बदलो, संस्कारों का रोना मत रोओ।
और हे देश के डिग्रीधारी लेखकों और देश के उत्थान के भगीरथियों अपनी ऊँची मानसिकता की गंगा प्रवाहित मत करो।
औरते गलत हैं इस भरम जाल से बाहर आओ और अपनी गलती मानो।


©लेख सर्वाधिकार सुरक्षित
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कवि लेखक योगेश मणि योगी


रविवार, 6 अगस्त 2017

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
और #भाजपा वालों के सुपुर्द कर आओ,
आज जब हम बहनों की रक्षा का वचन देने का वादा करने के साथ रक्षाबंधन मना रहे हैं, वही दूसरी ओर देश को #शर्मशार करने वाली खबर है।
जी हाँ, आपको आश्चर्य लग रहा होगा लेकिन #हरियाणा की #बीजेपी सरकार में प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आसीन सुभाष बराला के बेटे विकास बराला और उसके दोस्त आशीष कुमार ने सत्ता के नशे में चूर होकर एक लड़की से चंडीगढ़ में #बलात्कार  और #अपहरण की नाकाम कोशिश की।
और हद तो जब हो गई जब पुलिश ने विकास बराला और उसके दोस्त को गिरफ्तार किया लेकिन जैसे ही पता चला कि ये #भाजपाप्रदेशअध्यक्ष का बेटा है अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए तुरंत थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया,और तो और मुख्यमंन्त्री #मनोहरलालखट्टर भी वही रटे रटाये जबाव के साथ बराला का बचाव करते नजर आए की यह विरोधियों की साजिश है!
अरे भाई एक लड़की की इज़्ज़त तो समझो,कम से कम आप मनोहर जी क्योंकि आप तो #आरएसएस से हो!

अब प्रश्न ये उठता है कि एक ही देश मे दो कानून कैसे?
क्या भगवा राज पूरे देश मे होगा तो इन्हें देश के कानून का संरक्षण प्राप्त हो जाएगा?
क्या राम राज्य के मायने यही होंगे?
क्या सबका साथ सबका विकाश यही है?
क्या देश अखण्ड ऐसे ही बनेगा?
क्या विश्व गुरु हम ऐसे ही बनेंगे?

सच मे मेरा देश बदल रहा है।

©योगी

शनिवार, 5 अगस्त 2017

बघेलखण्ड में एक कहावत है-"कौआ कान लईगा"
जिसने सुना बस वही रटने लगा, किसका कान ले गया ,क्यों ले गया,कब ले गया,ले जाने के पीछे प्रयोजन क्या है,कौआ कौन है, कँहा है ,कँहा रहता है, हम इनसब बातों को छोड़कर बिना सोचे समझे बस अपने कान छुपाने को दौड़ पड़ते हैं और दूसरों को भी कान छिपाने को प्रोत्साहित करते हैं।
हमारे देश मे अनादिकाल से समाज को भृमित करने वाले कई अन्धविश्वाश चलते चले आ रहे हैं,दुनिया जँहा हर ग्रह तक पहुंच गई है वंही हम नव ग्रहों को शान्त करने का उपचार ढूंढने में व्यस्त हैं,
ऐसे कई अंधविश्वास हैं जिनका वर्णन करना यानी कि 2 तीन दिन लगातार लिखना, ख़ैर..
सवाल ये पैदा होता है कि ,जब आज हर हाथ मे मोबाइल है इंटरनेट है फिर भी लोग आंखे मूँदने को विवस हैं इसका कारण है-'अधजल गगरी छलकत जाय'
यानी कि ज्ञान तो है पर अधूरा है, लोग आज भी पानी बरसने को चमत्कार मानते है और भी बहुत सी चीजें हैं, मैने बहुत से वैज्ञानिकों की जीवनी पढ़ी मैने देखा कि बैज्ञानिकों को ईश्वर पर विश्वास नही होता वो नास्तिक होते हैं और उन्ही के द्वारा  उनकी खोजों के द्वारा आज हम आधुनिकता में आये, दूसरी ओर हम आस्तिक होकर भी कोई खोज नही कर सके, हम आस्तिक होकर भी डर के परे न जा सके , बहुत गंभीरता से सोचने की जरूरत है?
सबसे ज्यादा ईश्वर(33करोड़) भारत मे ही हैं और सबसे ज्यादा अंधविश्वास और डर भी यही है। ये भी विचारणीय बात है।
कोई भी अफवाह फैलती क्यों है,
या तो सुरु करने वाला जानता है या फिर इसके पीछे भी कोई साजिश छुपी होती है।
अच्छा हमेशा ऐसा आडम्बर पिछड़ी जातियों में ही होता है ऐसी घटनाएं हमेशा गांवों या शहरों के पिछड़े इलाके से शुरू होती हैं और इन्ही पिछड़ी जातियों के मध्य चलती रहती हैं।
कभी मुँह नोचने वाली अफवाह तो कभी पत्थर टाँकने वाला राक्षस, तो आज चोटी काटने वाली अफवाह, bpl वालों से शादी करने की अफवाह।
इन अफवाहों का सोर्स हमेशा M2M यानी कि mouth(मुँह) to(से) mouth(मुँह) ही फैलती हैं।
लोग इसके पीछे की सच्चाई जाने बिना इसके डर को दिलों में समाहित कर लेते हैं।
प्रश्न ये उठता है कि भारत की ऐसी जनता को विकाश की क्या जरूरत है क्योंकि इनको तो अंधी चीजों पर ही विश्वाश है।
इनके दिलों का डर इतना है कि ये किसी की सुनने को तैयार नही है, हाँ इन सबसे रक्षा के लिए इन्होंने खुद के नए नए अंधविश्वास जरूर बना लिए है मसलन दीवाल पर पंजा,नीम ,मिर्ची, फूल आदि आदि।
घटनाएं यदि हो भी रही हैं तो और ज्यादा अन्धविस्वास फैलाने की जरूरत नही है उसकी तह तक जाने की जरूरत है।

©लोधी योगेश मणि योगी
कवि लेखक
http://yogeshmanisinghlodhi.blogspot.in/

बुधवार, 2 अगस्त 2017


इस देश मे जानते हैं सबसे बड़ी समस्या क्या है हर व्यक्ति से पूँछों तो वह अपने आप को महा ईमानदार कहता है, अब प्रश्न ये है कि बेईमान कौन है।
आज से नही वरन अनादि काल से वर्णव्यवस्था में टॉप पर कौन रहा है,
अगर हमारा भारत प्राचीन है और व्यवस्था हमेशा अग्रिम पंक्ति में रही है ,तो इसका मतलब है निम्न पंक्तियों को कभी ऊपर उठाने के प्रयास ही नही हुए,
होते भी क्यों क्योंकि राजाओं को समरसता नही गुलाम चाहिए।
आज सबसे ज्यादा भृस्टाचार में कौन सी पंक्ति के लोग लीन हैं यह बताने की आवश्यकता नही सब को विदित है।
जो बोलते हैं उन्हें जातिवाद का लेवल लगा दिया जाता है धर्म विरोधी कहा जाता है,
ठीक है हम नही बोलते तो क्या धर्म का काम नही है कि लोगों का जीवन स्तर सुधारे,देश मे समरसता लाये।
खैर मेरी बातों से वैसे भी लोगों का मूड खराब होता है क्योंकि सच कोई कहना नही चाहता न कोई सुनना।

वन्दे मातरम
जय जवान जय किसान
सोये हुए #शृगालो  जागो तुम्हे जगाने आया हूँ,
राष्ट्र भक्ति है खून से लथपथ यही बताने आया हूँ,

सीमा पर सैनिक मरता है दिल्ली की कमजोरी से,
भारत माँ बर्बाद हुई है नेताओं की चोरी से,

भूमिपुत्र की मौत की केवल दिल्ली जिम्म्मेदार है,
माँ बहनों की इज़्ज़त लुटाती कैसा ये व्यभिचार है,

आतंकी पाले हैं तुमने कायरता के पिंजरों में,
मंत्री संत्री व्यस्त मिले हैं कोठे वाले मुजरों में,

वोटबैंक की राजनीति का अब तो दफन जरूरी है,
जातिवाद और वर्ण व्यवस्था पर भी कफन जरूरी है,

कश्मीर और कर्नाटक क्या और अभी कुछ बाकी है,
इन जहरीले सापों के फन कुचले जाना बाकी है,

हर आफिस पर भृस्टाचारी अजगर पले हुए हैं जी!
तनिक झाँक लो महलों से कितने काम रुके हैं जी?

कश्मीर के मुद्दे पर खुलकर बोलो तुम चुप क्यों हो?
एक के बदले 10 सर पर कुछ तो बोलो तुम चुप क्यों हो?

राष्ट्रभक्ति का छद्म दिखावा और नही चलने वाला,
60 साल से छला गया है और नहीं छलने वाला,

सत्ता ही गर प्यारी थी तो कांग्रेस ही ठीक थी?
कम से कम देश को उससे न कोई उम्मीद थी ?

56 इंची सीना तेरा रोज सिकुड़ता जाता है,
दुश्मन के मुद्दों पर निंदा अपनो को धमकाता है ,

राजनीति को व्यापार का साधन मत बन जाने दो,
देश को फिर से पहले जैसा कायर मत बन जाने दो,

हकीकत ये है कि हम जिस समाज मे रहते हैं उसकी रचना अनादिकाल से विपरीत लिंगो से ही हुई है,
आज की परिस्तिथि में औरतों को गलत सिर्फ वही कहता है जो स्वयं गलत हो, लोग दूसरे धर्मों पर तो बड़ी चतुराई से आरोप लगा देते हैं लेकिन मानसिकता को नही टटोलते ,की जो इस्लाम मे खुला चलता है वो हिंदुओं के मन मे दिमाग मे चलता है,
हमारे सभ्य समाज की असभ्य सोच का नतीजा है कि 3 साल तक कि बच्चियों तक को कुदृष्टि से देखा जाता है।
गंदी कोई औरत नही कोई लड़की नही गंदी है इस समाज की सोच,
जो हमेशा अपनी गंदी पिपासा को अपनी आंखों में छिपाए फिरता है।
पुरुष आपने आप को प्रधान कहता है ,अरे जाहिलों प्रधान का मतलब सिर्फ औरत तक ही सीमिति क्यों रखते हों, सारी प्रधानता सिर्फ उनके ऊपर ही,
अपने अंदर झाँक कर देखो स्त्री चरित्रहीन नही चरित्रहीन तो पुरुष है।

योगेश मणि योगी

शनिवार, 22 जुलाई 2017

भारत माँ के बेटे तुझको नमन देश ये करता है,
तेरे फौलादी जज्बे से दुश्मन थर थर कँपता है,

हां आती है याद बहिन को सुने घर के आंगन में,
माँ भी अपने आँसु पोंछे छुप छुप करके दामन में,

तेरी एक झलक पाने को हम सब है बेताब रहे,
दिल ही दिल मे सह लेते है आख़िर किससे क्या कहें?

जिस उंगली को पकड़ के सीखा चलना इस संसार में,
वही कलाई सुनी रह जाती है हर त्योहार में,

मेरे भैया तुम हो गौरव भारत माँ की शान के,
सोते हैं हम चैन नींद की रक्षक हिंदुस्तान के,

भले नही हो पास मगर सुनकर के खुस हो लेते हैं,
जब तुमको भारत माँ के बेटे की संज्ञा देतें हैं,

हम सबको उम्मीद यही तोड़ोगे न अभिमान को,
भारत माँ की सेवा में अर्पण कर दोगे जान को,

राखी की तुम लाज बचाना जो बांधी स्वाभिमान ने,
 दुश्मन पग न रखने पाए मेरे हिंदुस्तान में,

तेरी बहना वचन माँगती पीछे कदम नही करना,
सीने को तोपों के आगे टकराने से न डरना,

भले वीरगति मिले तुझे है असली सम्मान वही,
मेरे भाई, माँ के बेटे है तुझ पर अभिमान सही,

©®कवि योगेश मणि योगी

मंगलवार, 11 जुलाई 2017

अमरनाथ हमले पर आतंकियों को चेताती मेरी रचना

अमरनाथ हमले पर आतंकियों को चेताती मेरी रचना-

शिव शम्भू के बेटों को उसके घर मे मारा है,
पाकिस्तानी तेरी हरकत फिर से ये कायराना है,

आखिर उनका दोष भला क्या जो पूजा को जाते हैं?
बेलपत्र,सिंदूर,आक और श्रद्धा पुष्प चढ़ाते हैं,

उनके लहू से लाल किया है अमरनाथ की धरती को,
तुमने फिर से ललकारा है भारत देश की हस्ती को,

महाकाल के भक्त को तुमने बेमतलब में मारा है,
सुन ले कायर आतंकी, शिव शम्भू को ललकारा है,

खुला नेत्र तीजा तो अब महाप्रलय आ जायेगा,
तुमको सुन लो नही बचाने बाप तुम्हारा आएगा,

धोखे से मारा है तुमने अपने को मत वीर कहो,
एक बाप से पैदा हो गर , सामने आओ युद्ध करो,

गर त्रिशूल न पार हुई इन सीने की दीवारों से,
नहीं गिनेंगे खुद को हम, फिर भोले के मतवालों में,

रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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रविवार, 9 जुलाई 2017

गाली क्या है?

जिसके पास विषयों की समझ नही होती ,वाद करने को शब्द नही होते,तर्क करने की क्षमता नही होती,
यानी कि मूढ़ होते हैं, और हीन भावना से ग्रषित होते हैं।
तर्क की समझ नही होती इसलिए कुतर्क करना आरंभ कर देते हैं। जिसे हम सामान्यतः गाली कहते हैं।

©®योगी

सोमवार, 3 जुलाई 2017

दर्द की बहती सरिता लिखता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

भृस्टाचार मुक्त है भारत मेरा,
कदम कदम पर भाई चारे का है डेरा,
किसान अब कँहा आत्महत्या करता है?
फौजी भी अब दुश्मन के हाथों नही मरता है!
हकीकत की स्याही से कुछ शब्द चुनता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

नेता मेरे देश में हैं ,ईश्वर से बढ़कर,
जनता के साथ खड़े हैं डटकर,
उनके कामों को सबसे पहले करते हैं,
अपने घर अब नही वो भरते हैं!
मैं भी कवि होने का फर्ज कहता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

पुलिश ईमानदार है नही करती अत्याचार है,
गरीबों के लिए हरदम तैयार है,
अमीरों से अब नहीं होता समझौता है,
गुंडों का साथ कोई पुलिस वाला नही देता है,
मैं भारत की खुशियों की बात कहता हूँ,
चलो अच्छी से एक कविता लिखता हूँ,

फौजी सीमा पर आराम कर रहा है,
कोई दुश्मन नहीं परेशान कर रहा है,
नही आती है कोई लाश घर के आंगन में,
न कोई शव आता है सर कटा माँ के दामन में,
देश की वाहवाही की बात लिखता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

कानून की आंखों से पट्टी खुल गई है,
अब सबको देश मे आज़ादी मिल गई है,
अब नही बिकता कोई जज देश मे,
फैशला होता है बिना पैसे के परिवेश में,
कानून की अस्मिता पर चादर ढंकता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

लटका है डाली पर नही वो किसान है,
कर्ज से अब नहीं कोई परेशान है,
फसलों के भाव भी अच्छे मिलने लगे हैं,
अब घर खुश है, बच्चे भी पढ़ने लगे हैं,
जो सुनना चाहते हो वही कहता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

आंसुओं की स्याही में कलम डुबोकर,
हकीकत में देश की काटें चुभोकर,
सच्चाई से देश की दूर करता हूं,
मैं भी चलो चाटुकार बनता हूँ,
जो सुनना चाहते हो वही लिखता हूँ,
चलो तलवे चाटती एक कविता लिखता हूँ,

रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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बुधवार, 21 जून 2017

कृपया किसान भाई ध्यान दें!!!
अपने हक की बात न करें क्योंकि वह दुनिया के सबसे ज्यादा कमाऊ इंसान हैं उन्हें हमेशा ही लाभ होता है कभी घाटा नहीं होता।
वह किसी प्रकार का आंदोलन न करे , हाँ परेशान होकर आत्महत्या कर सकता है,सीने पर गोली खा ले लेकिन अपना हक मांगने की बिल्कुल कोसिस न करे।
खरीफ की फसलों की तैयारी आ गई चलो बाजार चलते हैं-
#धान के संकर बीज जो हम अमीर किसान खरीदेंगे-
1.टाटा रॉलिश ₹380/- प्रति किलो
2. सिंजेंटा  ₹400/- प्रति किलो
3.निर्मल ₹370/- प्रति किलो
4.बायर ₹390/- प्रति किलो
5. अन्य कंपनियां ₹360 से ₹390/- प्रति किलो
#धान के आधार बीज की कीमत
लगभग ₹100 से ₹200/- प्रति किलो ग्राम
#धान के साधारण बीज
लगभग ₹60 से ₹100/- तक

# उड़द के मूल्य संकर
300 से 500/- प्रति किलो तक
# उड़द के आधार मूल्य
150/- से 300/- प्रति किलो

#तुवर के संकर बीज
₹300 से ₹500/- प्रति किलो तक
आधार बीज ₹150 से ₹300/- तक

अब हम दुनिया के सबसे #अमीर #किसान अपनी फसले बेंचते हैं और अरबपति बन जाते हैं उनकी दर-

#धानसरकारी मूल्य 14.70 प्रति किलो
मंडी मूल्य ₹9/- से ₹11/- अधिकतम
#उड़द मूल्य
₹28/- से ₹35/- प्रति किलो
#तुवर
₹29/-से ₹35/-प्रति किलो



फैशला आप करिये की बड़ा आदमी कौन बनेगा हम #अमीर किसान या ये हमें बेंचने और हमसे खरीदने वाले #गरीब लोग।

जय हो अन्नदाता इतने कष्टों के वावजूद तू एहसान फरामोस लोगों की थाली में भोजन पहुँचाता है और इन्हें देशभक्त समझता है जो तुझे आतंकी,समाजविरोधी,नक्सली,उग्रवादी, जाने क्या क्या पुरुस्कार देते हैं लेकिन तेरा हक नहीं देते।

जय जवान जय किसान

©®लेख सर्वाधिकार सुरक्षित
कवि योगेश मणि योगी





शनिवार, 10 जून 2017

किसान भाइयों आखिर क्यों?
आप हमेशा से इस देश के लिए अपना सर्वस्य समर्पण करते आये हो, क्या कुछ नही किया , आप दिन भर धूप में आपके बेटे फौज में!
आप यँहा मर रहे हो!
बेटे फौज में मर रहे हैं!
क्या फर्क पड़ता है देश को?
कभी भाजपा ,कभी कांग्रेश,कभी सपा कभी अन्य पार्टी,कभी महाकुम्भ में, कभी किसी संत के साथ कभी सत्संग के साथ, कभी राम मंदिर के लिए ,कभी इसके लिए कभी उसके लिए, हमेशा से ही अपना सर्वस्य समर्पण करने की चाहत में रहते हो देश का हर मुद्दा तुम्हे अपना लगता है।
और तुम्हारे हक के नाम पर देश को तुम पराये लगते हो।
कोई साथ आया क्या जिनके लिए रैलियों में जाते हो, भीड़ में जाते हो, सत्संगों में जाते हो ,यंहा वंहा सब जगह जाते हो। नहीं!!!
कोई नही आएगा?
इस बात को समझो तुम सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक हो?
तुम्हारे बेटे फौज में मरने के लिए।
और तुम खेत मे मारने के लिए बने हो।

हक मांगोगे तो इसी तरह से तुम्हे आतंकी, बुजदिल,धर्मविरोधी,देश विरोधी, समाज विरोधी, अन्नायकारी, अधर्मी, दंगाई, अत्याचारी, उदंड, आतंकी, नक्सलवादी, आदि आदि पुरुस्कारों से नवाजा जाएगा।

ये पैसे वाले लोग हैं तेरे कष्ट ,तेरे पांव के छाले नही समझ सकते , हाँ तेरे नाम पर राजनीति जरूर कर लेते हैं जो अभी भी जारी है।
जिसे तुमने किसानों का हमदर्द समझकर सत्ता तक चुनकर के भेजा है वो भी तलवे चाटने में व्यस्त हैं क्योंकि पैसा उनका भगवान है तू नही ।
भूल जा आंदोलन-वान्दोलन कुछ होने वाला नहीं,        तेरा हक मिलना होता तो मिल जाता ।
तेरा नसीब सिर्फ गोली है चाहे पीतल की हो या सल्फास की।
मत लड़ तू देश का है लेकिन देशवासी तेरे नहीं है।
तेरी दरकरार नहीं है इनको ,ये पिज़्ज़ा ,बर्गर, कोक, मिनरल वाटर, ब्लैक डॉग, सिग्नेचर, जॉनी वॉकर, वाले भावनाओं से रहित लोग हैं।
सब कुछ विदेशों से आयात कर लेंगे तेरे भरोसे नहीं हैं।
तू धरती का बेटा जरूर हैं लेकिन देश का नौकर है , याद रखना किसान पुत्र ।
ये देशवासी सब कुछ समझते हैं बस तुझे और तेरे दर्द को नहीं समझते।
लिख ले हर मौके पर तुझे ही गलत ठहराएंगे।

हाँ एक काम करना है तो कर, अपने कर्जे धीरे धीरे चुका और कसम खा ले अपने बच्चों ,की कर्ज नही लेगा आगे से।
और जब तेरा कर्ज चूक जाए तो अपने खेतों में अपने घर परिवार के जीवन यापन करने लायक फसले उगा, सिर्फ अपने परिवार के खाने के लिए कुछ मत बेंच।
मुझे मालूम है तू हर कुछ जीवन यापन करने को उगा सकता है, तुझे कुछ खरीदने की जरूरत नहीं।
पाषाण युग मे लौट जा।
जब देश तेरा नही सोचता तो तू भी गफलत में मत रह थोड़ा सा पत्थर बन।
तू अन्नदाता मत बन,
याद रख दुनिया बेईमान है।
और तू सिर्फ किसान है।।

©® योगेश मणि  योगी के वाल से
किसान पुत्र होने के नाते किसानों के लिए।

शुक्रवार, 26 मई 2017

मातृशक्ति का दामन कैसे फिर से तार तार हुआ,
यूपी के गुंडों के आगे कानून लाचार हुआ,
खुलेआम घूमे हैं वहसी करते वो मनमानी है,
गर्दन काटों व्यभिचारी की हरकत ये शैतानी है,
नेताओं के बोल बचन से कान भर गए लोगो के,
भारत माँ भी व्यथित हुई है इन चोरों के धोको से,
आज तलक कानून नहीं ये बना सकी सरकार है,
या तो इसका संरक्षण है या करती व्यापर है,
खुद की बेटी का पल्लू जब कोई राक्षस खींचेगा?
खुद की इज़्ज़त का ढ़पला जब बीच सड़क पर पीटेगा?
खुद की बीबी जब वहसी के आगे नतमस्तक होगी?
जब इनके घर में घुसकर ऐसी कोई दस्तक होगी?
तभी दर्द होगा लगता है पड़े पाँव के छालों का,
सर इनका भी नीचा होगा मस्त बने मतवालों का,
देश की जनता से धोका आखिर कुर्सी की खातिर क्यों?
आतंकी तो बम फोडे है उससे भी हो शातिर तुम?
नेताओं के आगे रोना, सौदा क्यों सम्मानों का,
गिन गिन कर बदला ले डालो खुद अपने अपमानों का,
अब क्रांति की अलख जलेगी कानून की होली से,
भारत माता की जय होगी तलवारों की रोली से,


रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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शनिवार, 22 अप्रैल 2017

OBC, SC, ST के समर्थन में मत बोलना,
अपने अधिकारों के लिए मत बोलना,
क्योंकि इन वर्गों का इस्तेमाल डिस्पोजल के लिए उपयोग किया जा रहा है,

एक उदाहरण है,
गाय हम पालें, रोज नहलाएं, धुलाये, गोबर पानी करें, चारा भूषा करें,फिर दूध दुहें,फिर घर में दही जमाएं, फिर उसको निष्पादित कर घी निकालें,
जब घी निकल जाये तो वह दूसरे का सिर्फ छाछ हमारी,

अपने भविष्य अपने अधिकारों के लिए अगर संगठित नहीं हुए तो यकीन मानिए,
हड़प्पा संस्कृति की तरह गायब हो जाओगे सिर्फ पन्नो पर मिलोगे वो भी अगर अगले ने चाहा तो?
हम भी नहीं कहते नहीं चाहते की हम कुछ बोलें लेकिन बिना मांगे कब किसने दिया है?
जब मैं देश के सपोर्ट में लिखता हूँ बोलता हूं तो मुझे वंदे मातरम कहते हैं, और जब मैं अधिकारों के हनन की बात करता हूँ तो मुझे देशद्रोही बोला जाता है,
ऐसा दोगला पन क्यों???
आज जाति और वर्ण व्यवस्था के कारण ही हममें फूट है लेकिन जाति और वर्ण व्यवस्था को खत्म करने पर कभी कोई क्यों नहीं बोलता ?
पदवी घटती है क्या ??
पदवी नहीं घटती दरअसल समानता का महज दिखावा करना चाहते है लाना कोई नहीं चाहता!!

हम अगर OBC ,ST, SC उत्थान की बात करते हैं तो आरोप लगा दिया जाता है कि आप देश तोड़ रहे हो, देश प्रेमी नहीं हो,
अपने जायज़ हक़ को मांगना कौन सा देश द्रोह है?
अपने देश में अपने ही जायज़ हक़ की बात न करना ऐसा तो कही नहीं लिखा संविधान भी ऐसा नहीं कहता?

जंगल राज थोड़ी है?
की अगर बाकी जानवर कुछ नहीं बोलते इसका मतलब शेर अपने मन की करेगा ?
चाहे जिसे आरक्षित करेगा,और चाहे जिसे अनारक्षित क्योंकि बाकी जानवर उसका सम्मान करते हैं ?
सम्मान को बुजदिली समझना भूल है!

#लिखताकड़वाहूँ

@योगी

मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

पत्थरबाजों को स्नेह प्यार ,
प्रिय पत्थरबाजों आप जुग जुग जियो और ऐसे ही देश के खिलाफ पत्थर,ढोके, पटिया, बोल्डर, आदि फेकते रहो, जब इसमें महारत हासिल हो जाये तो बम, ग्रेनेड,लॉन्चर आदि भी फेंक सकते हो,
जैसा की तुम्हे विदित है कि हमारे देश में जयचंदों की कोई कमी अनादिकाल से नहीं रही और न ही आएगी इसलिए तुम्हे डरने की जरुरत नहीं है,
देशप्रेम का दिखावा करने वालों का भी तुम लोगों को भरपूर समर्थन प्राप्त है और होता रहेगा,
रही बात सैनिक के अपमान की और उस पर दर्ज हुए केस की तो तुम्हे खुश होना चाहिए अब तो भारतीय कानून व्यवस्था भी तुम्हारे तलवे चाट रही है, सैनिक चाहे तुम्हारे पत्थर से मरे या तुम्हारे हमले से या तुम्हारे बम से, वो तो मरने निकाला ही है,
अच्छा है कि अपने ही जान ले लें,
जो आजादी के 70 साल से कभी नहीं हुआ वह 2 ही सालों में हो गया की एक सैनिक पर मुकदमा दर्ज हो गया, इससे बड़ी खुसी की बात तुम्हारे लिए क्या हो सकती है, डीजे पार्टी में सभी देशद्रोही अपने शुभचिंतकों को बुलाना मत भूलना।
अपने लक्ष्य को ध्यान में रखो जब तक देश के टुकड़े न हो हटना मत क्योंकि सभी तुम्हारे पक्ष में है,मीडिया,दलाल,खद्दरधारी लिस्ट बड़ी लंबी है.......।
#मोदीजी
#राजनाथजी
#सुषमाजी
#अरुणजेटलीजी
#किसेचुनलियायार

©योगी

गुरुवार, 16 मार्च 2017

बड़ा आसान होता है न किसी के खिलाफ फतवा जारी करना?
उन लोगों से भी पूँछो जिनके रहनुमा बने बैठे हो ,
भाई मान गए क्या दकियानूसी बातें करते हो फतवा देने वालों, जमाना कंहा से कंहा जा रहा है और तुम अपना उल्लू सीधा करने मात्र को दूसरों के जज्बातों से क्यों खेलते हो जनाब?
एक लड़की जो भक्ति गीत गाती है उस पर तुम सब के सब फतावधारी अपनी फतवा रूपी तलवार ले कर टूट पड़ते हो ?
क्यों सिर्फ दिखावे के लिए सरियत के दकियानूसी कानूनों    को मुसलमानों पर थोपने के लिए?
न कहीं जन्नत है न कही दोजक जो है सब यहीं है?
भय और लालच देने का खेल अब बंद करो?
इंसान हो भाई आदिमानव नहीं हो जो ताउम्र पुराने खयालातों का बोझा उठाये घूमते रहोगे?
कभी बुर्के पर फतवा देते हो?
कभी महिलाओं की हायर एजुकेशन पर?
कभी उनके पहनावे पर?
कभी तलाक पर?
कभी उनके बोलने पर?

क्यों क्यों .....आखिर क्यों?

सरियत में तो बहुत सी चीज़े हराम हैं फिर उन पर क्यों ध्यान नहीं देते?
मुसलमानों के आगे बढ़ने पर ही पाबन्दी क्यों है?उनकी मानसिकता के उत्थान पर ही फतवे क्यों?
क्या कभी सलमान पर फतवे आये?
क्या कभी शाहरूख पर फतवे आये?
क्या कभी सैफ अली खान पर फतवे आये?
क्या कभी जोया अली खान पर फतवे आये?
क्या कभी आमिर खान पर फतवे आये?
क्या कभी अससुद्दीन ओवेशी पर फतवा आये?
क्या कभी अकबरुद्दीन ओवेशी पर फतवे आये?
क्या कभी इमरान खान पर फतवे आये?
क्या कभी इमरान हाशमी पर फतवे आये?
क्या कभी सान्या ईरानी पर फतवे आये?
क्या कभी कैटरीना कैफ पर फतवे आये?
क्या कभी जरीना खान पर फतवे आये?
क्या कभी आयशा तकिया पर फतवे आये ?
क्या कभी आपने सनी लियोनी पर फतवा दिया की उसकी फिल्मे भी हराम हैं?
क्या कभी किसी आतंकवादी पर फतवे आये?

ऐसे कई लोग और मुद्दे है जंहा आपके फतवे बेवस नजर आते है जनाब?
फतवे सिर्फ मुसलमानों को भड़काने उन्हें आगे बढ़ने से रोकने और उनकी उन्नति पर आते है ?
मुझे कभी कभी बड़ा आश्चर्य होता है कि क्यों नहीं सारे मुस्लिम युवा आगे आकर तुम सब फतवधारियों के खिलाफ फतवे जारी कर दें। आखिर वो दिन कब आएगा?
दिन आएगा और जल्द आएगा जब तुम्हारे चंगुल से खुद को आज़ाद करेंगे?

मासूमों और कमजोरों पर फतवे देकर अपनी दादागिरी की दुकान बंद करो?
यंहा सबको आज़ादी है?

@कवि योगी

रविवार, 5 मार्च 2017

आखिर क्या सोच कर RBI ने बैंकों को मनमाने चार्ज वसूलने का हुक्म दे दिया, सरकार की कैशलेश योजना को सफल करने के लिए।
अरे भाई कैशलेश करो अच्छी बात है?
नकदी के उपयोग पर प्रतिबंध लगाओ और अच्छी बात है?
लेकिन बिना कोई प्लानिंग के ,बिना किसी रिसर्च के?तमाशा बना लिया है क्या भाई?
जो मन में आएगा वही करोगे?

कैशलेश जो जाओ? कैशलेश हो जाओ?
सिर्फ चिल्लाने से होगा क्या?
चलो मान लिया कैशलेस हैं,अब सामान खरीदने तो बाजार ही जायेंगे न?
की सरकार का कोई ऑनलाइन मेगा स्टोर है???
100 में से 97 दुकानों में POS (point of sale) मशीन नहीं है, जिनके पास हैं भी तो मनमानी है, कहते है 200 रुपये से काम swap नहीं होगा।
और आपसे 1.5 से 2 परसेंट एक्स्ट्रा चार्ज लगेगा??
अरे भैया योजना आयोग वालो A C से बहार निकलो?
हर आदमी तुम्हारी तरह BMW, AUDI, Range Rover, से नहीं चलता।
हर आदमी दिल्ली ,कोलकाता,चेन्नई,मद्रास,गुजरात,मुम्बई में नहीं रहता?


कैशलेस को बढ़ावा देना ही था तो सबसे पहले नियम कानून बनाओ?
हर दुकान यंहा तक की पान के डिब्बे,फुलकी चाट के ठेले में भी  POS (स्वैप मशीन) को अनिवार्य करो।
जो दुकानदार न लगाएं उनके ऊपर 50000 -1 लाख का जुर्माना लगाओ।
जो स्वैप करने से मना करें,उनपर भी 50000-1लाख का जुर्माना लगाओ।
इसके फायदे ये होंगे की एक एक पाई का ऑनलाइन हिसाब रहेगा।

आम आदमी की जेबों में डाका डालने से कुछ नहीं होगा,
कौन से घाटे की भरपाई कर रहे हो भाई?
 बड़े बड़े मेगास्टोर चलाने वाले उद्योगपतियों को सीधा लाभ पहुचाने का काम बंद होना चाहिए।
यूँ चौथे पाचवें कैश ट्राजेक्शन से मनमाने पैसे वसूल करना बंद होना चाहिए??
और इन योजना बनाने वालों को थोड़ा जीपीएस न करवाकर हर कस्वे हर गांव में भेजो ताकि ट्रैक हो सकें?
आखिर कब तक कागजो में ही एक जगह बैठ कर सबका फैशला करोगे?
सरकार चलाओ अच्छी बात है भगवान बनने की कोशिश मत करो?

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जय हिंद
वंदे मातरम
भारत माता की जय।

@कवि योगी


गुरुवार, 2 मार्च 2017

हिन्दू की ललकार का परिणाम होना चाहिए,
दुश्मनो की गर्दन का भी नाप होना चाहिए,
कब तलक यु हाथ पर हाथ रख बैठोगे तुम,
देश के गद्दारों को अब साफ़ होना चाहिए,

आज केरल संघ कार्यालय में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मात्र संघ पर ही हमला नहीं यह हमारी हिन्दू संस्कृति और हिंदुओं के अभिमान ,मान,सम्मान, पर हमला है। हम शान्ति परस्त लोग है जब पाकिस्तान के पेशावर में हमला होता है तब हमें मासूमो की मौत पर दुःख होता है पूरा देश अपनी प्रोफाइल बदल कर मोमबत्तियां लगाता है देश में हम कैंडल मार्च निकलते है क्योंकि हमें इंसानियत से मोहब्बत है, लेकिन बड़े ही शर्म की बात है कि केरल में वामपंथियों द्वारा लगातार हो रहे हमलों से मारे गए लोगों के लिए कोई आगे नहीं आता, न कोंग्रेश का पता चलता है,न सपा का,न मानवाधिकार वालों का,न गुलमेहर,न कन्हैया,न शाहरुख़,न सलमान,न दिग्विजय,न उमर खालिद, न बृन्दा करात, न सीताराम येचुरी,न रामजेठमलानी, न देश के चौथे स्तंभ का,न ही कोर्ट का,न अवार्ड वापस करने वालों का,न फतवा जारी करने वालों का, न ...इसका...न उसका... नाम लिखने बैठ जाऊं तो साल बीत जायेगा।
आखिर ये है क्या?
हमारे साथ ही दोगलापन क्यों?
हम हिंदुओं के साथ ही भेदभाव क्यों?
हमारी जानों के साथ ही खिलवाड़ क्यों?

हम हर घटना की सिर्फ निंदा करते है शायद इसलिए, अरे भैया हमारे सब्र का इम्तेहान मत लो हमारे हायहों में वेद पुराण बहुत अच्छे लगते हैं, अगर माथा ठनका तो सब गारत हो जायेगा ,जयचंदों को किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जायेगा।


@कवि योगी

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2017

मातृभूमि का तुमको सबको गान सुनाने आया हूँ,
देश विरोधी लोगों की औकात सिखाने आया हूँ

भगत सिंह सुखदेव राजगुरु, असफाक की धरती है।
ऐसे वीर सपूतों की ये, सुनो शहादत कहती है।।
माँ का बेटा हूँ उसका, सम्मान बचाने आया हूँ।
मातृभूमि का तुमको सबको गान सुनाने आया हूँ,

जिसने तुमको पाला है, जिसने पहचान बताई है।
भारत तेरा मेरा सबका, सुनले ये सच्चाई है।।
अगर बुराई करता है तो जीभ काट ली जायेगी।
बात समझ ले वरना तेरी, बलि चढ़ा दी जायेगी।।
पावन कण कण है जिसका, इतिहास बताने आया हूँ।
मातृभूमि का तुमको सबको गान सुनाने आया हूँ,

राम-कृष्ण की भूमि है ये, हद में तुमको रहना होगा।
वंदे मातरम और भारत माता की जय कहना होगा।।
अगर नहीं कहना है तो फिर, अंजाम भुगतना होगा।
मिट्टी में मिल जाओगे तुम, रहना यहां मना होगा।।
विश्व गुरु है मातृभूमि ये फिर दोहराने आया हूँ।
मातृभूमि का तुमको सबको गान सुनाने आया हूँ,

दगाबाज़ हो तुमने हर मौके पर ये दिखलाया है।
कौमी आतंकी बनकर के, कौम पे दाग लगाया है।।
गीदड़ मिलकर शेरो की अब, अग्नि परीछा बंद करो।
बड़े बोल मत बोलो सुन लो शब्दों से पाबंद रहो।।
गंगा-जमुनी रीति नीति को याद दिलाने आया हूं।
मातृभूमि का तुमको सबको गान सुनाने आया हूँ,

ऐसा न हो फिर बोलो की मौका नहीं दिया हमने।
हर मौके पर हमने देखा ख़ंजर भोंक दिया तुमने।।
जब जब हमने गले लगाया तुमने गर्दन काटी है।
बदले में लाशो के ढेरों से धरती को पाटी है।।
अंतिम ये सन्देश हमारा, तुम्हे जताने आया हूँ।
मातृभूमि का तुमको सबको गान सुनाने आया हूँ,

रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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मंगलवार, 21 फ़रवरी 2017

मातृभूमि का तुम सबको गुणगान सुनाने आया हूँ,
देश विरोधी लोगों को औकात बताने आया हूँ

भगत सिंह सुखदेव राजगुरु, असफाक की धरती है।
ऐसे वीर सपूतों की ये, सुनो शहादत कहती है।।
माँ का बेटा हूँ उसका, सम्मान बचाने आया हूँ।
मातृभूमि का तुम सबको, गुणगान सुनाने आया हूँ।।

जिसने तुमको पाला है, जिसने पहचान बताई है।
भारत तेरा मेरा सबका, सुनले ये सच्चाई है।।
अगर बुराई करता है तो जीभ काट ली जायेगी।
बात समझ ले वरना तेरी, बलि चढ़ा दी जायेगी।।
पावन कण कण है जिसका, इतिहास बताने आया हूँ।
मातृभूमि का तुम सबको, गुणगान सुनाने आया हूँ।।

राम-कृष्ण की भूमि है ये, हद में तुमको रहना होगा।
वंदे मातरम और भारत माता की जय कहना होगा।।
अगर नहीं कहना है तो फिर, अंजाम भुगतना होगा।
मिट्टी में मिल जाओगे तुम, रहना यहां मना होगा।।
विश्व गुरु है मातृभूमि ये फिर दोहराने आया हूँ।
मातृभूमि का तुम सबको गुणगान सुनाने आया हूँ।।

दगाबाज़ हो तुमने हर मौके पर ये दिखलाया है।
कौमी आतंकी बनकर के, कौम पे दाग लगाया है।।
गीदड़ मिलकर शेरो की अब, अग्नि परीछा बंद करो।
बड़े बोल मत बोलो सुन लो शब्दों से पाबंद रहो।।
गंगा-जमुनी रीति नीति की याद दिलाने आया हूं।
मातृभूमि का तुम सबको गुणगान सुनाने आया हूँ।।

ऐसा न हो फिर बोलो की मौका नहीं दिया तुमने।
हर मौके पर हमने देखा ख़ंजर भोंक दिया तुमने।।
जब जब हमने गले लगाया तुमने गर्दन काटी है।
बदले में लाशो के ढेरों से धरती को पाटी है।।
अंतिम ये सन्देश हमारा, तुम्हे जताने आया हूँ।
मातृभूमि का तुम सबको गुणगान सुनाने आया हूँ।।

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शनिवार, 28 जनवरी 2017

संजय लीला भंसाली को मारा थप्पड़-

फिल्म पद्मावती बना रहा निर्देशक संजय लीला भंसाली को राजस्थान में शूटिंग के दौरान जोरदार थप्पड़ मारा गया।
 इस फिल्म में रानी पद्मावती को अलाउद्दीन खिलजी की प्रेमिका बताया गया है , विवाद यही है।
हकीकत यह है कि रानी पद्मावती बहुत ही खूबसूरत थी ,जिसे पाने की चाहत में ही अलाउद्दीन ने चित्तौड़गढ़ में आक्रमण किया था, अलाउद्दीन की परछाई तक रानी तक नहीं पहुँच पाई, इतिहास गवाह है कि रानी ने खुद तथा अपनी हजारो सेविकाओं के साथ आग में कूद कर जौहर कर लिया था।
इतिहास से छेड़छाड़ कर रानी का चरित्र गलत तरीके से पेश करने के कारण ही भंसाली का ये हश्र हुआ।

अब प्रश्न ये उठता है कि आखिर कब तक बॉलीबुड अपनी मनमानी दर्शकों पर थोपेगी, कभी गुजरात के आतंकवादी डॉन लतीफ़ के ऊपर "रईस"बनाई जाती है ,कभी दाऊद के ऊपर "डी कंपनी "बनाई जाती है।
कभी पाकिस्तानी कलाकारों को बॉलीवुड का बाप बनाया जाता है, कभी उस अश्लील फिल्मो की नायिका सनी लियोनी को लाया जाता है  ,आखिर क्यों?
क्योंकि बॉलीवुड के अधिकांश डायरेक्टर अंडरवर्ड के इशारे पर काम करते है किसे कब लेना है ये ऊपर बैठे आका तय करते है ,उनके साथ रात गुजारने वाली बारबालाएं हिंदुस्तान में हेरोइन कहलाने लगती है जो हिंदुस्तान के माहौल को तार-तार करती है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि हम हिंदुस्तानी खुद अपना जनाज़ा दूसरों के कंधे पर सौंप रहे है। अपनी परंपरा को तलवे चाटने पर मजबूर कर रहे है वरना ऐसे निर्माता निर्देशक की औकात क्या जो हमारे सामने गलत चीजें परोस सकें, अगर ऐसा ही विरोध होता रहे तो ऐसे निर्माता निर्देसक अपनी दुकान में ताला लगा लेंगे ।
और विरोध जरुरी है ताकि हमारा हिंदुस्तान बचा रहे।


बुधवार, 18 जनवरी 2017

देश के नेताओं पर चन्द लाइनें-


नेता नेता मत करो नहीं भरोसा आय,
जाने कब कैसे कंहा मंत्री पद मिल जाये,
इस पार्टी से उस पार्टी कूदे फायदा पाय,
नेता नेता मत करो नहीं भरोसा आय,

पार्टी प्रेम में डूबकर खुबई करे विरोध,
कैसी कैसी बात कही बनो रहो गतिरोध,
अब आये है कूदकर गले लगाने आय,
नेता नेता मत करो नहीं भरोसा आय,

देश धर्म की बात नहीं इनको प्यारी कुर्सी,
जब चाहें जो कर दें इनकी है मनमर्ज़ी,
पब्लिक व्यर्थ ही इनसे अपनापन दिखलाय,
नेता नेता न करो नहीं भरोसा आय,

एक बाप के दो बेटे अलग अलग दल पकड़ें,
मंचन में चढ़ चढ़ कर एक दूजे पे भोंकें,
सत्ता इनसे राम रे जाने का करवाय,
नेता नेता न करो नहीं भरोसा आये,

देश बेंचकर खाएंगे नहीं करेंगे रहम,
देश सेवा को बैठे है ये है सबका वहम,
योगी भी अब कह रहा सैन्य शासन लग जाय,
नेता नेता न करो नहीं भरोसा आय,

रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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मंगलवार, 10 जनवरी 2017

टीपु सुल्तान मस्जिद के इमाम बरकाती को उसकी औकात दिखाती मेरी नई रचना, इतना शेयर करें की हर नागरिक तक पहुँच जाये,


पाकर गद्दी गीदड़ ने फिर औकात दिखाई है,
गाली भद्दी देकर उसने अपनी जात दिखाई है,
ममता की गोदी में बैठा उसी की भाषा बोला है,
देश के प्रेमी मुसलमान के जज्बातों से खेला है,
पूंछ रहा हूँ राजनीती से क्या करने की ठानी है,
सत्ता के लोलुप में डूबी ये कैसी नादानी है,
अधिकार हैं मिले बहुत इसलिए जबां ये चलती है,
वरना तेरे जैसों की कंही दाल न गलती है,
भोले भाले लोगों को मजहब का पाठ पढाते हो,
जेहादी ,आतंकी, हैवान उन्हें बनाते हो,
तुम जैसे लोगो के कारण मुसलमान बदनाम हुआ,
जिस सम्मान के लायक था, न उसका वो सम्मान हुआ,
ईमामों के नाम पर तुमने ऐसी कालिख पोती है,
जो सच्चे इमाम हैं उनकी पूँछो आत्मा रोती है,
तुमको सच्चा उत्तर केवल मुसलमान दे सकता है
या फिर अपनी हामी भरकर सम्मान दे सकता है,
हिन्दू कुछ भी बोलेंगे तो सांप्रदायिक हो जायेंगे,
अख़बार ,मीडिया वाले हो हल्ला खूब मचाएंगे,
बस इतना सा कहता 'योगी' और नहीं चल पाएगा,
अबकी गलती हुई तो सुन ले कुत्ते सा मारा जायेगा,

रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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ईद मुबारक #Eidmubarak

  झूठों को भी ईद मुबारक, सच्चों को भी ईद मुबारक। धर्म नशे में डूबे हैं जो उन बच्चों को ईद मुबारक।। मुख में राम बगल में छुरी धर्म ध्वजा जो ...