किसान भाइयों आखिर क्यों?
आप हमेशा से इस देश के लिए अपना सर्वस्य समर्पण करते आये हो, क्या कुछ नही किया , आप दिन भर धूप में आपके बेटे फौज में!
आप यँहा मर रहे हो!
बेटे फौज में मर रहे हैं!
क्या फर्क पड़ता है देश को?
कभी भाजपा ,कभी कांग्रेश,कभी सपा कभी अन्य पार्टी,कभी महाकुम्भ में, कभी किसी संत के साथ कभी सत्संग के साथ, कभी राम मंदिर के लिए ,कभी इसके लिए कभी उसके लिए, हमेशा से ही अपना सर्वस्य समर्पण करने की चाहत में रहते हो देश का हर मुद्दा तुम्हे अपना लगता है।
और तुम्हारे हक के नाम पर देश को तुम पराये लगते हो।
कोई साथ आया क्या जिनके लिए रैलियों में जाते हो, भीड़ में जाते हो, सत्संगों में जाते हो ,यंहा वंहा सब जगह जाते हो। नहीं!!!
कोई नही आएगा?
इस बात को समझो तुम सिर्फ और सिर्फ वोट बैंक हो?
तुम्हारे बेटे फौज में मरने के लिए।
और तुम खेत मे मारने के लिए बने हो।
हक मांगोगे तो इसी तरह से तुम्हे आतंकी, बुजदिल,धर्मविरोधी,देश विरोधी, समाज विरोधी, अन्नायकारी, अधर्मी, दंगाई, अत्याचारी, उदंड, आतंकी, नक्सलवादी, आदि आदि पुरुस्कारों से नवाजा जाएगा।
ये पैसे वाले लोग हैं तेरे कष्ट ,तेरे पांव के छाले नही समझ सकते , हाँ तेरे नाम पर राजनीति जरूर कर लेते हैं जो अभी भी जारी है।
जिसे तुमने किसानों का हमदर्द समझकर सत्ता तक चुनकर के भेजा है वो भी तलवे चाटने में व्यस्त हैं क्योंकि पैसा उनका भगवान है तू नही ।
भूल जा आंदोलन-वान्दोलन कुछ होने वाला नहीं, तेरा हक मिलना होता तो मिल जाता ।
तेरा नसीब सिर्फ गोली है चाहे पीतल की हो या सल्फास की।
मत लड़ तू देश का है लेकिन देशवासी तेरे नहीं है।
तेरी दरकरार नहीं है इनको ,ये पिज़्ज़ा ,बर्गर, कोक, मिनरल वाटर, ब्लैक डॉग, सिग्नेचर, जॉनी वॉकर, वाले भावनाओं से रहित लोग हैं।
सब कुछ विदेशों से आयात कर लेंगे तेरे भरोसे नहीं हैं।
तू धरती का बेटा जरूर हैं लेकिन देश का नौकर है , याद रखना किसान पुत्र ।
ये देशवासी सब कुछ समझते हैं बस तुझे और तेरे दर्द को नहीं समझते।
लिख ले हर मौके पर तुझे ही गलत ठहराएंगे।
हाँ एक काम करना है तो कर, अपने कर्जे धीरे धीरे चुका और कसम खा ले अपने बच्चों ,की कर्ज नही लेगा आगे से।
और जब तेरा कर्ज चूक जाए तो अपने खेतों में अपने घर परिवार के जीवन यापन करने लायक फसले उगा, सिर्फ अपने परिवार के खाने के लिए कुछ मत बेंच।
मुझे मालूम है तू हर कुछ जीवन यापन करने को उगा सकता है, तुझे कुछ खरीदने की जरूरत नहीं।
पाषाण युग मे लौट जा।
जब देश तेरा नही सोचता तो तू भी गफलत में मत रह थोड़ा सा पत्थर बन।
तू अन्नदाता मत बन,
याद रख दुनिया बेईमान है।
और तू सिर्फ किसान है।।
©® योगेश मणि योगी के वाल से
किसान पुत्र होने के नाते किसानों के लिए।