रविवार, 27 अगस्त 2017

राम रहीम के नाम पर मुंह काला करवाया है,
राजनीति का दल्ला बनकर धर्म को गले लगाया है,

चोला चन्दन पहन के  बाबा फन को अपने छुपा गया,
व्यभिचारी बनकर वह अपना संदेशा तो बता गया,

ऐसे धर्म के ठेकेदारों को जनता ईश्वर समझ रही,
उनकी मीठी मीठी बातों के फेरों में उलझ रही,

भक्त बनाकर अपना उल्लू सीधा करना  पेशा है,
धर्म का  ढोंगी अय्याशों को मिला हुआ क्यों ठेका है,

कहते ईश्वर मिल जाएगा हम बाबा ही जरिया हैं
खूब लूटते धन और इज्जत बातें इनकी बढ़िया हैं

ईश्वर को पाने की खतिर आखिर क्यों हो भटक रहे,
खुद के माता पिता तुम्हारी आँखों मे जब खटक रहे,

ईश्वर कंही नहीं मिलता है मन के अंदर ही सब है,
सब धर्मों का वास मनुज है इसके अंदर ही रब है,

इंसानों से प्रेम करो जीवों को जीवन जीने दो,
एक घाट में शेर और बकरी को पानी पीने दो,

जब समरसता लाओगे तब सब ईश्वर हो जाओगे,
नही भटकना दर दर तुमको अपने अंदर पाओगे,




सर्वाधिकार सुरक्षित
©®योगी योगेश मणि

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