हकीकत ये है कि हम जिस समाज मे रहते हैं उसकी रचना अनादिकाल से विपरीत लिंगो से ही हुई है,
आज की परिस्तिथि में औरतों को गलत सिर्फ वही कहता है जो स्वयं गलत हो, लोग दूसरे धर्मों पर तो बड़ी चतुराई से आरोप लगा देते हैं लेकिन मानसिकता को नही टटोलते ,की जो इस्लाम मे खुला चलता है वो हिंदुओं के मन मे दिमाग मे चलता है,
हमारे सभ्य समाज की असभ्य सोच का नतीजा है कि 3 साल तक कि बच्चियों तक को कुदृष्टि से देखा जाता है।
गंदी कोई औरत नही कोई लड़की नही गंदी है इस समाज की सोच,
जो हमेशा अपनी गंदी पिपासा को अपनी आंखों में छिपाए फिरता है।
पुरुष आपने आप को प्रधान कहता है ,अरे जाहिलों प्रधान का मतलब सिर्फ औरत तक ही सीमिति क्यों रखते हों, सारी प्रधानता सिर्फ उनके ऊपर ही,
अपने अंदर झाँक कर देखो स्त्री चरित्रहीन नही चरित्रहीन तो पुरुष है।
योगेश मणि योगी
आज की परिस्तिथि में औरतों को गलत सिर्फ वही कहता है जो स्वयं गलत हो, लोग दूसरे धर्मों पर तो बड़ी चतुराई से आरोप लगा देते हैं लेकिन मानसिकता को नही टटोलते ,की जो इस्लाम मे खुला चलता है वो हिंदुओं के मन मे दिमाग मे चलता है,
हमारे सभ्य समाज की असभ्य सोच का नतीजा है कि 3 साल तक कि बच्चियों तक को कुदृष्टि से देखा जाता है।
गंदी कोई औरत नही कोई लड़की नही गंदी है इस समाज की सोच,
जो हमेशा अपनी गंदी पिपासा को अपनी आंखों में छिपाए फिरता है।
पुरुष आपने आप को प्रधान कहता है ,अरे जाहिलों प्रधान का मतलब सिर्फ औरत तक ही सीमिति क्यों रखते हों, सारी प्रधानता सिर्फ उनके ऊपर ही,
अपने अंदर झाँक कर देखो स्त्री चरित्रहीन नही चरित्रहीन तो पुरुष है।
योगेश मणि योगी
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