शुक्रवार, 1 सितंबर 2017

एक कोसिस तुम करो अब एकता के लिए,
दुश्मनों के घर को तुम अपना बनाना छोड़ दो,

नित्य हमले हो रहे हों देश के उत्थान पर,
प्यार में डूबी सुनो गजलें बनाना छोड़ दो,

तोड़कर कैसे भला खुस रह सकेंगे देश को,
राज अपने दुश्मनों को तो बताना छोड़ दो,

बिक न जाये देश की खुशियां कंही चौबारे पे,
जिद को अपनी छोड़ या की वतन को छोड़ दो,


रह सकें हम सो सकें निस्फिक्र अब तो रात में,
मान जाओ कह रहे अब बम बनाना छोड़ दो,

क्या मिलेगा मार कर तुमको बताओ तो भला,
ईद की खुशियों में तो कुर्बानियों को छोड़ दो,

©®योगी

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