OBC, SC, ST के समर्थन में मत बोलना,
अपने अधिकारों के लिए मत बोलना,
क्योंकि इन वर्गों का इस्तेमाल डिस्पोजल के लिए उपयोग किया जा रहा है,
एक उदाहरण है,
गाय हम पालें, रोज नहलाएं, धुलाये, गोबर पानी करें, चारा भूषा करें,फिर दूध दुहें,फिर घर में दही जमाएं, फिर उसको निष्पादित कर घी निकालें,
जब घी निकल जाये तो वह दूसरे का सिर्फ छाछ हमारी,
अपने भविष्य अपने अधिकारों के लिए अगर संगठित नहीं हुए तो यकीन मानिए,
हड़प्पा संस्कृति की तरह गायब हो जाओगे सिर्फ पन्नो पर मिलोगे वो भी अगर अगले ने चाहा तो?
हम भी नहीं कहते नहीं चाहते की हम कुछ बोलें लेकिन बिना मांगे कब किसने दिया है?
जब मैं देश के सपोर्ट में लिखता हूँ बोलता हूं तो मुझे वंदे मातरम कहते हैं, और जब मैं अधिकारों के हनन की बात करता हूँ तो मुझे देशद्रोही बोला जाता है,
ऐसा दोगला पन क्यों???
आज जाति और वर्ण व्यवस्था के कारण ही हममें फूट है लेकिन जाति और वर्ण व्यवस्था को खत्म करने पर कभी कोई क्यों नहीं बोलता ?
पदवी घटती है क्या ??
पदवी नहीं घटती दरअसल समानता का महज दिखावा करना चाहते है लाना कोई नहीं चाहता!!
हम अगर OBC ,ST, SC उत्थान की बात करते हैं तो आरोप लगा दिया जाता है कि आप देश तोड़ रहे हो, देश प्रेमी नहीं हो,
अपने जायज़ हक़ को मांगना कौन सा देश द्रोह है?
अपने देश में अपने ही जायज़ हक़ की बात न करना ऐसा तो कही नहीं लिखा संविधान भी ऐसा नहीं कहता?
जंगल राज थोड़ी है?
की अगर बाकी जानवर कुछ नहीं बोलते इसका मतलब शेर अपने मन की करेगा ?
चाहे जिसे आरक्षित करेगा,और चाहे जिसे अनारक्षित क्योंकि बाकी जानवर उसका सम्मान करते हैं ?
सम्मान को बुजदिली समझना भूल है!
#लिखताकड़वाहूँ
@योगी
अपने अधिकारों के लिए मत बोलना,
क्योंकि इन वर्गों का इस्तेमाल डिस्पोजल के लिए उपयोग किया जा रहा है,
एक उदाहरण है,
गाय हम पालें, रोज नहलाएं, धुलाये, गोबर पानी करें, चारा भूषा करें,फिर दूध दुहें,फिर घर में दही जमाएं, फिर उसको निष्पादित कर घी निकालें,
जब घी निकल जाये तो वह दूसरे का सिर्फ छाछ हमारी,
अपने भविष्य अपने अधिकारों के लिए अगर संगठित नहीं हुए तो यकीन मानिए,
हड़प्पा संस्कृति की तरह गायब हो जाओगे सिर्फ पन्नो पर मिलोगे वो भी अगर अगले ने चाहा तो?
हम भी नहीं कहते नहीं चाहते की हम कुछ बोलें लेकिन बिना मांगे कब किसने दिया है?
जब मैं देश के सपोर्ट में लिखता हूँ बोलता हूं तो मुझे वंदे मातरम कहते हैं, और जब मैं अधिकारों के हनन की बात करता हूँ तो मुझे देशद्रोही बोला जाता है,
ऐसा दोगला पन क्यों???
आज जाति और वर्ण व्यवस्था के कारण ही हममें फूट है लेकिन जाति और वर्ण व्यवस्था को खत्म करने पर कभी कोई क्यों नहीं बोलता ?
पदवी घटती है क्या ??
पदवी नहीं घटती दरअसल समानता का महज दिखावा करना चाहते है लाना कोई नहीं चाहता!!
हम अगर OBC ,ST, SC उत्थान की बात करते हैं तो आरोप लगा दिया जाता है कि आप देश तोड़ रहे हो, देश प्रेमी नहीं हो,
अपने जायज़ हक़ को मांगना कौन सा देश द्रोह है?
अपने देश में अपने ही जायज़ हक़ की बात न करना ऐसा तो कही नहीं लिखा संविधान भी ऐसा नहीं कहता?
जंगल राज थोड़ी है?
की अगर बाकी जानवर कुछ नहीं बोलते इसका मतलब शेर अपने मन की करेगा ?
चाहे जिसे आरक्षित करेगा,और चाहे जिसे अनारक्षित क्योंकि बाकी जानवर उसका सम्मान करते हैं ?
सम्मान को बुजदिली समझना भूल है!
#लिखताकड़वाहूँ
@योगी
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