सोमवार, 28 अगस्त 2017

शीर्षक -नदिया की महिमा समझाऊँ          

                       आओ तुमको गीत सुनाऊँ,
                       नदिया की  महिमा समझाऊँ,
जीवन की यह भाग्य विधाता।
जन्मों का है इससे नाता।।
इसके जल से हरियाली है।
पूरे जग में खुशहाली है।।
कल-कल,छल-छल निर्मल बहता।
इसके जल से जीवन चलता।।
                   कितने गुण मैं तुम्हे बताऊं,
                   नदिया की महिमा समझाऊँ,

अगर नहीं नदिया होतीं तो?
सारे जग में बंजर होता।।
न मैं होता न तुम होते ,
न ये सारा जीवन होता।।
आज मगर हम भूल गए हैं।
अहंकार में डूब गए हैं।।
                    जल की कीमत क्या बतलाऊँ,
                    नदिया की महिमा बतलाऊँ,
आओ मिलकर इन्हें बचाएं।
पर्यावरण का साथ निभाएं।।
जल में कचरा न फैलाएं।
प्रदूषण से इसे बचाएं।।
                    बार-बार मैं यही बताऊँ
                    नदिया की महिमा समझाऊँ,
                    नदिया की महिमा.......

©®योगी योगेश
सर्वाधिकार सुरक्षित

रविवार, 27 अगस्त 2017

राम रहीम के नाम पर मुंह काला करवाया है,
राजनीति का दल्ला बनकर धर्म को गले लगाया है,

चोला चन्दन पहन के  बाबा फन को अपने छुपा गया,
व्यभिचारी बनकर वह अपना संदेशा तो बता गया,

ऐसे धर्म के ठेकेदारों को जनता ईश्वर समझ रही,
उनकी मीठी मीठी बातों के फेरों में उलझ रही,

भक्त बनाकर अपना उल्लू सीधा करना  पेशा है,
धर्म का  ढोंगी अय्याशों को मिला हुआ क्यों ठेका है,

कहते ईश्वर मिल जाएगा हम बाबा ही जरिया हैं
खूब लूटते धन और इज्जत बातें इनकी बढ़िया हैं

ईश्वर को पाने की खतिर आखिर क्यों हो भटक रहे,
खुद के माता पिता तुम्हारी आँखों मे जब खटक रहे,

ईश्वर कंही नहीं मिलता है मन के अंदर ही सब है,
सब धर्मों का वास मनुज है इसके अंदर ही रब है,

इंसानों से प्रेम करो जीवों को जीवन जीने दो,
एक घाट में शेर और बकरी को पानी पीने दो,

जब समरसता लाओगे तब सब ईश्वर हो जाओगे,
नही भटकना दर दर तुमको अपने अंदर पाओगे,




सर्वाधिकार सुरक्षित
©®योगी योगेश मणि
भाजपा के सांसद अपने आप को स्वामी कहने वाले साक्षी महाराज ने कहा कि-"रामरहीम के ऊपर एक औरत ने ही आरोप लगाया है ,जबकि उसके करोड़ो भक्त है इसलिए रामरहीम को गलत नही समझ सकते यह हिन्दू संस्कृति को बदनाम करने की साजिश है"

मेरे आपसे कुछ सवाल हैं-
1.क्या एक महिला का बलात्कार बलात्कार नही माना जा सकता ?
2.क्या संविधान एक व्यक्ति को अधिकार नही देता?
3.क्या एक व्यक्ति की बात जायज़ नही होती?
4.क्या एक व्यक्ति ,व्यक्ति नही माना जाता ?
5.पूरे विश्व मे राम भी तो एक ही हैं?
6.पूरे विश्व मे खुद साक्षी महाराज भी तो एक ही हैं?

मतलब क्या एकलौता सार्थकता और ईमानदारी का पैमाना नही है?
 यदि ऐसा है तो 196 देशों में भारत भी सांस्कृतिक विविधता वाला एक मात्र देश है !
एक को नगण्य समझने की भूल नही की जानी चाहिए।

बलात्कारियों का सपोर्ट करने की जगह आपको नारी की मर्यादा का सम्मान करना चाहिए ।
और एक बात याद रखनी चाहिए समूह ही सब कुछ नही होता।
एक व्यक्ति बहुत मायने रखता है।
#एक देश एक संविधान
#कड़वालिखताहूँ

©योगी योगेश मणि

शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

हम कौन से देश की बात करते हैं?
हम कौन से कानून की बात करते हैं?
एक देश एक कानून क्या है? दिखावा

यँहा दो कानून हैं एक VVIP और VIP के लिए और एक आम आदमी के लिए!!!!!

डेरा सच्चा सौदा का राम रहीम कोर्ट द्वारा जब बलात्कार का आरोपी सिद्ध होता है तो उसे हरियाणा की बीजेपी सरकार उसे रात भर AC में रखती है,VIP सुविधाएं दी जाती हैं। कोर्ट के दखल के बाद भी सरकार नाकाम दिखाई देती है,
क्या इतनी ही सुविधाएं किसी आम आरोपी व्यक्ति को दी जातीं?
आपने सोचा है क्यों?
जी हां राम रहीम डेरा सच्चा सौदा का यह संस्थापक  और इसके जैसे कई बाबा राजनीति के लिए मैनजमेंट, फंड,वोट आदि का जुगाड़ करते हैं और बदले में उन्हें दामाद की तरह रखा जाता है?

भारत एक महान देश है ?
यंहा दुराचार होता है तो कैंडल मार्च होती हैं?
दुराचार के आरोपी को बचाने 10 लाख लोग इकट्ठा होते हैं?
एक आतन्की को बचाने लाखों लोग सेना पर पत्थर मारते हैं?
आरोपी बच जाते हैं निर्दोषों को जेल में डाला जाता है?

राम रहीम को सजा होगी कितनी 7- 8 साल , बस????
और जो 30 लोग मरे उनका क्या? उनकी मौत का जिम्मेदार कौन??
100% राम रहीम  या फिर नाकाम सरकार, जिसे सब पता था और धारा 144 के बाद भी 10 लाख लोगों को पंचकूला में इकट्ठा हो जाने देती हैं,यह कह कर की ये रामरहीम के भक्त हैं!!
सच मानिए तो वोट बैंक की राजनीति एक ऐसी गले की हड्डी है जिसे न तो उगला जा सकता है और न ही निगला?
हाँ इस राजनीति का प्रतिफल ये जरूर होगा कि देश आने वाले समयों में आंतरिक कलहों से ही लड़ता रहेगा।


लेख ©®सर्वाधिकार सुरक्षित
www.yogeshmanisinghlodhi.blogspot.in
योगी योगेश मणि

बुधवार, 16 अगस्त 2017

सरकार कहती है ऑक्सीजन की कमी से किसी की मृत्यु नहीं हुई, शायद बच्चों ने जान-बूझकर साँस रोक ली होगी योगी जी, ये बच्चे आपको बदनाम करने के लिये कुछ भी कर सकते हैं। मृतक बच्चों को श्रद्धांजलि देती मेरी रचना-

किलकारी का गला घोंट के चुप बैठे हो योगी जी,
कँहा गई हैं हमें बताओ मन कि बातें मोदी जी,

उनसे पूँछों कितनी पीड़ा जिनकी तुमने कोख हरी,
फूलों की बगिया सुखी है, रहती थी जो हरी भरी,

ऐसा तुमने दर्द दिया है, माता कैसे माफ करे,
ऐसा कोई मरहम है क्या, जो दामन की पीर हरे,

नोटें सत्ता तुमको प्यारी, हमको प्यारा बचपन है,
पिता बनोगे तब जानोगे, कैसे सीना छप्पन है,

धरातल की बात करो, उड़ना मत हमको सिखलाओ,
जन मानस की दूर समस्या करके सबको दिखलाओ,

रामराज्य आएगा कैसे हाहाकार मची है जी,
नेता अफसर ठेकेदारी लूटा लुटा मची है जी,

सरकारी आफिस में कितने अजगर कुंडली मारे हैं,
खून के आँसू जनता रोये चख के देखो खारे हैं,

नही जरूरत हमको देखो बुलेट ट्रेन मत चलवाओ,
खाली पड़े सिलेंडर उनमें पहले ऑक्सीजन भरवाओ,

सैनिक मरते बच्चे मरते मरते रोज किसान हैं,
प्रश्न पूंछती भारत माता कँहा बिका ईमान है,


©®योगेश मणि योगी
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शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

उप्र गोरखपुर के बी आर डी हॉस्पिटल में 30 बच्चे अकाल मृत्यु मरे ! आज एक बार फिर दिल दहल उठा।
क्या यही सपनों का भारत है!!!!!!!!

देश को-
स्मार्ट सिटी की जरूरत नही?
बुलेट ट्रेन की जरूरत नही?
मंगल पर जाने की जरूरत नही?
चाँद पर जाने की जरूरत नहीं?
विदेश नीतियों की जरूरत नहीं?
देश को विश्व गुरु बनाने की जरूरत नहीं?

देश की राजनीति ये कब समझेगी की हमें दिखावे की नहीं   धरातल पर रहने और बुनियादी चीजों की आवश्यकता है।
ताकि देश के अंदर भविष्य में गृह-युद्ध जैसे हालात पैदा न हों।

©लोधी योगेश मणि सिंह

बुधवार, 9 अगस्त 2017

देश मे हमेशा से बलात्कार छेड़छाड़ की घटनाएं होती रहती हैं,अभी हरियाणा चंडीगढ़ में घटना हुई, सारे सबूत लड़के के खिलाफ है फिर भी हमारा कुंठित समाज जो अपने आप को पुरातन और संस्कारी कहता हैं उसकी घटिया सोच हर ऐसे मामले में खुल कर सामने आती है। हमेशा से औरत को गलत ठहराने की परंपरा सनातन से चली आई है यही हमारे  संस्कार हैं।
मैं ये पोस्ट इसलिए लिख रहा हूं कि समाज के पुरुषों की सोच न्यूज़ डिबेट आदि में सुन सुन कर मन बड़ा व्यथित हुआ,चारों ओर से एक बाढ़ सी आ गई की कौन कितना औरत को नीचा दिखा सकता हैं ,कौन उसको और जलील कर सकता है।
औरतों को ऐसे कपड़े पहनना चाहिए,ये करना चाहिए ,9 बजे के बाद बाहर नही निकलना चाहिये, पर्दे में रहनी चाहिए, तमाम बंदिशें ,संस्कृति की दुहाई,हमारे पुण्य पुरातन सभ्यता की दुहाई?
सिर्फ औरत के लिए?
अगर औरत संस्कृति का हिस्सा है, तो हे भारत के पुरुषों क्या तुम इस संस्कृति से नही हो, क्या तुम्हारी रगों में संस्कृति और संस्कारों का खून नही दौड़ रहा,यदि हाँ तो 101 प्रतिशत गलती तुम्हारी है। और यदि नही तो अपने आप को पुरुष कहना छोड़ दो तुम राक्षसों से भी गए गुजरे हो।
याद है संस्कृति जब स्वामी विवेकानंद जी के पास एक विदेसी युवती आई और बोली कि मुझे आपसे प्यार है और आपके जैसा ही पुत्र चाहिए।
मत भूलो याद करो स्वामी जी ने कहा था कि हे देवी आपकी समस्या का हल है आज से मैं आपको अपनी माँ स्वीकार करता हूँ, और मैं आपका बेटा हूँ।
ऐसे हैं हमारे संस्कार, संस्कारों से मत खेलो ।

लड़की कपड़े ओछे पहनती है तो बलात्कार करोगे?
लड़की रात में मिलेगी तो बलात्कार करोगे?
लड़की सिगरेट पीती है शराब पीती है तो बलात्कार करोगे?
लड़की हँस के बात कर दी तो छेड़खानी करोगे?
लड़की अच्छा दोस्त समझती है तो बिस्ततर तक पहुंचने के सपने देखोगे?
लड़की पलट के देख ली तो घर तक पीछा करोगे उसका जीना हराम कर दोगे?

कमी लड़की में नही है कमी तुम्हारे संस्कारों में है,कमी तुम्हारे माँ बाप की परवरिश में हैं, और हे भद्र पुरुषों कमी तुम्हारी 2 कौड़ी की सोच में है।

कपड़ों का क्या है सोच गंदी होती है ,अगर सोच और खुद पे काबू है तो क्या औकात किसी पहनावे में की कोई आपको डिगा दे,
अगर मन में चोर है तो व्यक्ति फिसलेगा,
हमेशा कपड़ो को दोष देते हो ,औरत को देते हो ,सिर्फ आपने को पाक साफ रखने के लिए, असल मे दोषी तुम्ही हो।
अब बताना और अपनी सोच का आकलन करना-
1.पागल औरतें बाजार में नग्न ,अर्द्धनग्न फिरती हैं कितनों के मन ललचाते हैं?
सिर्फ वहशी पुरुषों के!
2. 3-4 साल की मासूम तो ब्रा पहन के नही घूमती कितनो के मन ललचाते हैं ?
सिर्फ वहशी पुरुषों के!
3.बूढ़ी औरतों को देखकर कितनो के मन ललचाते हैं?
सिर्फ वहशी पुरुषों के!

4.हाईवे में रोककर सामूहिक बालात्कार होता है क्या वो भी नग्न घूमती हैं या अंग प्रदर्शन करती हैं।
उनसे भी व्यभिचार कौन करता है?
सिर्फ वहसी पुरुष!

6.स्कूलों में तो सलवार सूट पे लड़कियों रहती हैं, फिर उनपर मन किसका ललचाता है?
सिर्फ वहशी पुरुषों का!

6.काम वालियों जो पेट के लिए घरों का काम करती हैं?
उनपर अत्याचार कौन करता है?
सिर्फ वहसी पुरुष!

7.क्या कभी अपनी बेटी बहन के लिए मन फिसला है?
नही न?
फिर दुसरों के प्रति गंदी मानसिकता क्यों?

पुरुषों को ये धारणा बदलनी होगी कि पहनावा ही सब कुछ है।
सोच बदलो, संस्कारों का रोना मत रोओ।
और हे देश के डिग्रीधारी लेखकों और देश के उत्थान के भगीरथियों अपनी ऊँची मानसिकता की गंगा प्रवाहित मत करो।
औरते गलत हैं इस भरम जाल से बाहर आओ और अपनी गलती मानो।


©लेख सर्वाधिकार सुरक्षित
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कवि लेखक योगेश मणि योगी


रविवार, 6 अगस्त 2017

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
और #भाजपा वालों के सुपुर्द कर आओ,
आज जब हम बहनों की रक्षा का वचन देने का वादा करने के साथ रक्षाबंधन मना रहे हैं, वही दूसरी ओर देश को #शर्मशार करने वाली खबर है।
जी हाँ, आपको आश्चर्य लग रहा होगा लेकिन #हरियाणा की #बीजेपी सरकार में प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आसीन सुभाष बराला के बेटे विकास बराला और उसके दोस्त आशीष कुमार ने सत्ता के नशे में चूर होकर एक लड़की से चंडीगढ़ में #बलात्कार  और #अपहरण की नाकाम कोशिश की।
और हद तो जब हो गई जब पुलिश ने विकास बराला और उसके दोस्त को गिरफ्तार किया लेकिन जैसे ही पता चला कि ये #भाजपाप्रदेशअध्यक्ष का बेटा है अपने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए तुरंत थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया,और तो और मुख्यमंन्त्री #मनोहरलालखट्टर भी वही रटे रटाये जबाव के साथ बराला का बचाव करते नजर आए की यह विरोधियों की साजिश है!
अरे भाई एक लड़की की इज़्ज़त तो समझो,कम से कम आप मनोहर जी क्योंकि आप तो #आरएसएस से हो!

अब प्रश्न ये उठता है कि एक ही देश मे दो कानून कैसे?
क्या भगवा राज पूरे देश मे होगा तो इन्हें देश के कानून का संरक्षण प्राप्त हो जाएगा?
क्या राम राज्य के मायने यही होंगे?
क्या सबका साथ सबका विकाश यही है?
क्या देश अखण्ड ऐसे ही बनेगा?
क्या विश्व गुरु हम ऐसे ही बनेंगे?

सच मे मेरा देश बदल रहा है।

©योगी

शनिवार, 5 अगस्त 2017

बघेलखण्ड में एक कहावत है-"कौआ कान लईगा"
जिसने सुना बस वही रटने लगा, किसका कान ले गया ,क्यों ले गया,कब ले गया,ले जाने के पीछे प्रयोजन क्या है,कौआ कौन है, कँहा है ,कँहा रहता है, हम इनसब बातों को छोड़कर बिना सोचे समझे बस अपने कान छुपाने को दौड़ पड़ते हैं और दूसरों को भी कान छिपाने को प्रोत्साहित करते हैं।
हमारे देश मे अनादिकाल से समाज को भृमित करने वाले कई अन्धविश्वाश चलते चले आ रहे हैं,दुनिया जँहा हर ग्रह तक पहुंच गई है वंही हम नव ग्रहों को शान्त करने का उपचार ढूंढने में व्यस्त हैं,
ऐसे कई अंधविश्वास हैं जिनका वर्णन करना यानी कि 2 तीन दिन लगातार लिखना, ख़ैर..
सवाल ये पैदा होता है कि ,जब आज हर हाथ मे मोबाइल है इंटरनेट है फिर भी लोग आंखे मूँदने को विवस हैं इसका कारण है-'अधजल गगरी छलकत जाय'
यानी कि ज्ञान तो है पर अधूरा है, लोग आज भी पानी बरसने को चमत्कार मानते है और भी बहुत सी चीजें हैं, मैने बहुत से वैज्ञानिकों की जीवनी पढ़ी मैने देखा कि बैज्ञानिकों को ईश्वर पर विश्वास नही होता वो नास्तिक होते हैं और उन्ही के द्वारा  उनकी खोजों के द्वारा आज हम आधुनिकता में आये, दूसरी ओर हम आस्तिक होकर भी कोई खोज नही कर सके, हम आस्तिक होकर भी डर के परे न जा सके , बहुत गंभीरता से सोचने की जरूरत है?
सबसे ज्यादा ईश्वर(33करोड़) भारत मे ही हैं और सबसे ज्यादा अंधविश्वास और डर भी यही है। ये भी विचारणीय बात है।
कोई भी अफवाह फैलती क्यों है,
या तो सुरु करने वाला जानता है या फिर इसके पीछे भी कोई साजिश छुपी होती है।
अच्छा हमेशा ऐसा आडम्बर पिछड़ी जातियों में ही होता है ऐसी घटनाएं हमेशा गांवों या शहरों के पिछड़े इलाके से शुरू होती हैं और इन्ही पिछड़ी जातियों के मध्य चलती रहती हैं।
कभी मुँह नोचने वाली अफवाह तो कभी पत्थर टाँकने वाला राक्षस, तो आज चोटी काटने वाली अफवाह, bpl वालों से शादी करने की अफवाह।
इन अफवाहों का सोर्स हमेशा M2M यानी कि mouth(मुँह) to(से) mouth(मुँह) ही फैलती हैं।
लोग इसके पीछे की सच्चाई जाने बिना इसके डर को दिलों में समाहित कर लेते हैं।
प्रश्न ये उठता है कि भारत की ऐसी जनता को विकाश की क्या जरूरत है क्योंकि इनको तो अंधी चीजों पर ही विश्वाश है।
इनके दिलों का डर इतना है कि ये किसी की सुनने को तैयार नही है, हाँ इन सबसे रक्षा के लिए इन्होंने खुद के नए नए अंधविश्वास जरूर बना लिए है मसलन दीवाल पर पंजा,नीम ,मिर्ची, फूल आदि आदि।
घटनाएं यदि हो भी रही हैं तो और ज्यादा अन्धविस्वास फैलाने की जरूरत नही है उसकी तह तक जाने की जरूरत है।

©लोधी योगेश मणि योगी
कवि लेखक
http://yogeshmanisinghlodhi.blogspot.in/

बुधवार, 2 अगस्त 2017


इस देश मे जानते हैं सबसे बड़ी समस्या क्या है हर व्यक्ति से पूँछों तो वह अपने आप को महा ईमानदार कहता है, अब प्रश्न ये है कि बेईमान कौन है।
आज से नही वरन अनादि काल से वर्णव्यवस्था में टॉप पर कौन रहा है,
अगर हमारा भारत प्राचीन है और व्यवस्था हमेशा अग्रिम पंक्ति में रही है ,तो इसका मतलब है निम्न पंक्तियों को कभी ऊपर उठाने के प्रयास ही नही हुए,
होते भी क्यों क्योंकि राजाओं को समरसता नही गुलाम चाहिए।
आज सबसे ज्यादा भृस्टाचार में कौन सी पंक्ति के लोग लीन हैं यह बताने की आवश्यकता नही सब को विदित है।
जो बोलते हैं उन्हें जातिवाद का लेवल लगा दिया जाता है धर्म विरोधी कहा जाता है,
ठीक है हम नही बोलते तो क्या धर्म का काम नही है कि लोगों का जीवन स्तर सुधारे,देश मे समरसता लाये।
खैर मेरी बातों से वैसे भी लोगों का मूड खराब होता है क्योंकि सच कोई कहना नही चाहता न कोई सुनना।

वन्दे मातरम
जय जवान जय किसान
सोये हुए #शृगालो  जागो तुम्हे जगाने आया हूँ,
राष्ट्र भक्ति है खून से लथपथ यही बताने आया हूँ,

सीमा पर सैनिक मरता है दिल्ली की कमजोरी से,
भारत माँ बर्बाद हुई है नेताओं की चोरी से,

भूमिपुत्र की मौत की केवल दिल्ली जिम्म्मेदार है,
माँ बहनों की इज़्ज़त लुटाती कैसा ये व्यभिचार है,

आतंकी पाले हैं तुमने कायरता के पिंजरों में,
मंत्री संत्री व्यस्त मिले हैं कोठे वाले मुजरों में,

वोटबैंक की राजनीति का अब तो दफन जरूरी है,
जातिवाद और वर्ण व्यवस्था पर भी कफन जरूरी है,

कश्मीर और कर्नाटक क्या और अभी कुछ बाकी है,
इन जहरीले सापों के फन कुचले जाना बाकी है,

हर आफिस पर भृस्टाचारी अजगर पले हुए हैं जी!
तनिक झाँक लो महलों से कितने काम रुके हैं जी?

कश्मीर के मुद्दे पर खुलकर बोलो तुम चुप क्यों हो?
एक के बदले 10 सर पर कुछ तो बोलो तुम चुप क्यों हो?

राष्ट्रभक्ति का छद्म दिखावा और नही चलने वाला,
60 साल से छला गया है और नहीं छलने वाला,

सत्ता ही गर प्यारी थी तो कांग्रेस ही ठीक थी?
कम से कम देश को उससे न कोई उम्मीद थी ?

56 इंची सीना तेरा रोज सिकुड़ता जाता है,
दुश्मन के मुद्दों पर निंदा अपनो को धमकाता है ,

राजनीति को व्यापार का साधन मत बन जाने दो,
देश को फिर से पहले जैसा कायर मत बन जाने दो,

हकीकत ये है कि हम जिस समाज मे रहते हैं उसकी रचना अनादिकाल से विपरीत लिंगो से ही हुई है,
आज की परिस्तिथि में औरतों को गलत सिर्फ वही कहता है जो स्वयं गलत हो, लोग दूसरे धर्मों पर तो बड़ी चतुराई से आरोप लगा देते हैं लेकिन मानसिकता को नही टटोलते ,की जो इस्लाम मे खुला चलता है वो हिंदुओं के मन मे दिमाग मे चलता है,
हमारे सभ्य समाज की असभ्य सोच का नतीजा है कि 3 साल तक कि बच्चियों तक को कुदृष्टि से देखा जाता है।
गंदी कोई औरत नही कोई लड़की नही गंदी है इस समाज की सोच,
जो हमेशा अपनी गंदी पिपासा को अपनी आंखों में छिपाए फिरता है।
पुरुष आपने आप को प्रधान कहता है ,अरे जाहिलों प्रधान का मतलब सिर्फ औरत तक ही सीमिति क्यों रखते हों, सारी प्रधानता सिर्फ उनके ऊपर ही,
अपने अंदर झाँक कर देखो स्त्री चरित्रहीन नही चरित्रहीन तो पुरुष है।

योगेश मणि योगी

ईद मुबारक #Eidmubarak

  झूठों को भी ईद मुबारक, सच्चों को भी ईद मुबारक। धर्म नशे में डूबे हैं जो उन बच्चों को ईद मुबारक।। मुख में राम बगल में छुरी धर्म ध्वजा जो ...