रविवार, 11 सितंबर 2016

जिस दिन अमन का इस्तकबाल होगा,
न हिन्दू होगा न मुसलमान होगा,
न होगा नफरतों का सिलसिला,
यहीं अली यहीं राम होगा,
सुन लो लुटेरे अमन के कान खोलकर,
यहाँ  सिर्फ भाईचारे का सम्मान होगा,
मनेगी दीवाली ईद संग-संग
ऐसा मेरा हिन्दुस्तान होगा,
कोशिशें कर लो जितनी चाहे अलगाव की,
इरादा तुम्हारा बेनकाब होगा
ये मुहब्बतों का देश है हिन्दुस्तान
यहाँ हर शख़्स वतन पे कुर्बान होगा,

रचनाकार -
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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