रविवार, 18 सितंबर 2016

""उरी में हुए आतंकी हमले पर आक्रोश व्यक्त करती मेरी रचना, इतना फारवर्ड करें कि मोदी तक पहुँच जाए"

पाकिस्तानी कुत्तों ने फिर अपनी जात दिखाई है,
उनके हमलों से फिर  हल्दी घाटी थर्राई है,
दिल्ली की नाकामी का फिर इतिहास गवाह हुआ,
नेताओं के हिजड़ेपन से  फिर देश लाचार हुआ,
दिल्ली अब तो होश में आओ सैनिक मारे जाते हैं,
घर बैठे ही रोज रोज हम यूं ही हारे जाते हैं,
भाषण देने से आतंक का कुछ नहीं हो सकता है,
क्या लातों का भूत भला बातों से डर सकता है,
इतनी छोटी बात भला क्यों तुमको समझ नहीं आती,
या शहीद सैनिक की तुमको विधवा नजर नहीं आती,
आज तुम्हारे जन्मदिन का केक पाक ने काटा है,
तेरी शायद नाकामी का सबसे बड़ा तमाचा है,
५६ इंची सीना लेकर देश छोड़ दो मोदी जी,
मरने को तैयार खड़े हैं हमें बोल दो मोदी जी,
बहुत हुआ आखिर कब तक निंदा बाण चलाओगे,
यू यस के आगे कब तक अपना दामन फैलाओगे,
बोल बड़े थे तेरा कहना १०-१० के सिर काटेंगे,
क्या ऐसे ही पाक परस्ती के तलवे हम चाटेंगे,
इतना तो हम  समझ गए कि राजनीति मक्कारी है,
यह केवल अपने ही घर को भरने की तैयारी है
चोर चोर मौसेरे भाई अब जाके यह साफ हुआ,
सपना पूरे देश का कैसे नाकामी में राख हुआ,
सेना शासन ही केवल अब समाधान हो सकता है,
अब उन पर ही हमको केवल अभिमान हो सकता,

रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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