मैं नहीं मेरा हुनर बोलता है,
जब कभी मेरा खूँ खौलता है,
डाल दो हथियार दुश्मनों देश के,
मेरे खौफ का ये कहर बोलता है,
खैर उनकी भी नहीं जो घर के भेदी हैं,
जो खुलेआम हवा में जहर घोलता है,
हिसाब सबका होगा ये वादा रहा,
मेरी गोलियों से निकला क़हर बोलता है,
आगाज था ऐसा तो अंजाम सोच लो,
मेरी खामोशी को मेरा गदर बोलता है,
हाथियार उठाना भूले नहीं थे हाथ मेरे,
मेरे जज्बे को मेरा शहर बोलता है,
निस्तोनाबूत तो कर दूं चंद पलों मे सब,
पर पीढ़ियों तक इसका असर बोलता है,
मेरा देश ही सबकुछ है मेरे वास्ते,
रगों में देशभक्ति का असर बोलता है,
रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
कापीराइट सर्वाधिकार सुरक्षित
मूलरूप में ही शेयर करें
Whatsapp-975 5454999
https://www.facebook.com/yogeshmanisingh
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http://yogeshmanisinghlodhi.blogspot.in/
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डाल दो हथियार दुश्मनों देश के,
मेरे खौफ का ये कहर बोलता है,
खैर उनकी भी नहीं जो घर के भेदी हैं,
जो खुलेआम हवा में जहर घोलता है,
हिसाब सबका होगा ये वादा रहा,
मेरी गोलियों से निकला क़हर बोलता है,
आगाज था ऐसा तो अंजाम सोच लो,
मेरी खामोशी को मेरा गदर बोलता है,
हाथियार उठाना भूले नहीं थे हाथ मेरे,
मेरे जज्बे को मेरा शहर बोलता है,
निस्तोनाबूत तो कर दूं चंद पलों मे सब,
पर पीढ़ियों तक इसका असर बोलता है,
मेरा देश ही सबकुछ है मेरे वास्ते,
रगों में देशभक्ति का असर बोलता है,
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लोधी योगेश मणि 'योगी'
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