गुरुवार, 29 सितंबर 2016

मैं नहीं मेरा हुनर बोलता है,
जब कभी मेरा खूँ खौलता है,
डाल दो हथियार दुश्मनों देश के,
मेरे खौफ का ये कहर बोलता है,
खैर उनकी भी नहीं जो घर के भेदी हैं,
जो खुलेआम हवा में जहर घोलता है,
हिसाब सबका होगा ये वादा रहा,
मेरी गोलियों से निकला क़हर बोलता है,
आगाज था ऐसा तो अंजाम सोच लो,
मेरी खामोशी को मेरा गदर बोलता है,
हाथियार उठाना भूले नहीं थे हाथ मेरे,
मेरे जज्बे को मेरा शहर बोलता है,
निस्तोनाबूत तो कर दूं चंद पलों मे सब,
पर पीढ़ियों तक इसका असर बोलता है,
मेरा देश ही सबकुछ है मेरे वास्ते,
रगों में देशभक्ति का असर बोलता है,

रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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भारत की सर्जिकल स्टाईक से आज भारत की छवि एक बार फिर विश्व पटल पर माथा उँचा करने वाली है। यूं तो भारत ने इससे पहले भी सर्जिकल स्टाईक की है लेकिन इसमें कुछ खास था।
यह मोदी सरकार का प्री एक्जाम था जिसमें उन्होंने मेरिट में जगह बनाई है और इस बात को आश्वस्त किया है कि अगर पाक ने अपना पैंतरा नहीं बदला तो मेन्स एक्जाम में हम ऐतिहासिक मेरिट बनाने का माद्दा रखते हैं।
आज पाकिस्तान के उपर की गई इस कार्यवाही से विश्व को ये संदेश मिला है कि भारत के सब्र को उसकी कमजोरी न आंका जाए । जानबूझकर इस सर्जिकल स्टाईक को सार्वजनिक किया गया ताकि दुनिया ये समझ सके कि भारत सैन्य शक्ति का प्रयोग कहीं भी और कभी भी कर सकता है।
पाकिस्तान को कायराना हमले का मुँहतोड़ जबाव मिल गया है।
लेफ्टिनेंट जनरल रनवीर सिंह ने आश्वस्त किया है कि भारत किसी भी चुनौती से निपटने को तैयार है।
मोदी जी के कार्यक्रम"मन की बात " की बुधवार रात की पंक्तियाँ सार्थक हो गईं कि - 'सेना बोलती नहीं,पराक्रम करती है देश के सभी सैन्य दलों को बधाई साथ ही साथ सरकार की कूटनीति को भी सलाम।
लोधी योगेश मणि 'योगी'
मैं पूंछता हूँ जब पाकिस्तान ने पठानकोट, उरी में हमला किया तब ये सारे के सारे गिरगिटी देशभक्त आखिर कहाँ गए थे,क्या इनकी जीभों में जंग लग गया था।
पाकिस्तान के कलाकारों पर ही नहीं पाकिस्तान से जुडी हर चीजों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
ये कोई बात थोड़ी है काम यहाँ करो, पैसा यहाँ कमाओ,शोहरत यहाँ कमाओ, और जब बात पाकिस्तान की आए तो उसकी गलतियों में कुछ बोलने कि बजाए हमीं को आँखें दिखाओ।
मैं तो हर उस शख़्स को देशद्रोही कहूँगा जो अपने देश से लगाव नहीं रखता।
देश का उपयोग पैसे के लिए नहीं किया जाता , देश को दिल से माना जाता है पर्दे पे तो बड़ी बड़ी बातें करते हो, चाहे शाहरूख हो सलमान हो करण जौहर हो या फिर कोई और, सीखना है तो उस पाकिस्तानी फवाद खान से सीखो जो भारत देश छोड़ने से पहले तुम्हारे मुँह पर ही बोल गया-" देश(पाकिस्तान) पहले बाकी सब बाद में।
शर्म आनी चाहिए पाक परस्ती के तलवे चाटने में।

लोधी योगेश मणि 'योगी'

रविवार, 18 सितंबर 2016

""उरी में हुए आतंकी हमले पर आक्रोश व्यक्त करती मेरी रचना, इतना फारवर्ड करें कि मोदी तक पहुँच जाए"

पाकिस्तानी कुत्तों ने फिर अपनी जात दिखाई है,
उनके हमलों से फिर  हल्दी घाटी थर्राई है,
दिल्ली की नाकामी का फिर इतिहास गवाह हुआ,
नेताओं के हिजड़ेपन से  फिर देश लाचार हुआ,
दिल्ली अब तो होश में आओ सैनिक मारे जाते हैं,
घर बैठे ही रोज रोज हम यूं ही हारे जाते हैं,
भाषण देने से आतंक का कुछ नहीं हो सकता है,
क्या लातों का भूत भला बातों से डर सकता है,
इतनी छोटी बात भला क्यों तुमको समझ नहीं आती,
या शहीद सैनिक की तुमको विधवा नजर नहीं आती,
आज तुम्हारे जन्मदिन का केक पाक ने काटा है,
तेरी शायद नाकामी का सबसे बड़ा तमाचा है,
५६ इंची सीना लेकर देश छोड़ दो मोदी जी,
मरने को तैयार खड़े हैं हमें बोल दो मोदी जी,
बहुत हुआ आखिर कब तक निंदा बाण चलाओगे,
यू यस के आगे कब तक अपना दामन फैलाओगे,
बोल बड़े थे तेरा कहना १०-१० के सिर काटेंगे,
क्या ऐसे ही पाक परस्ती के तलवे हम चाटेंगे,
इतना तो हम  समझ गए कि राजनीति मक्कारी है,
यह केवल अपने ही घर को भरने की तैयारी है
चोर चोर मौसेरे भाई अब जाके यह साफ हुआ,
सपना पूरे देश का कैसे नाकामी में राख हुआ,
सेना शासन ही केवल अब समाधान हो सकता है,
अब उन पर ही हमको केवल अभिमान हो सकता,

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लोधी योगेश मणि 'योगी'
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शनिवार, 17 सितंबर 2016

मानवता शर्मसार हुई है कानून लाचार हुआ,
पूँछे देश का बच्चा बच्चा ऐसा क्यूँ अन्याय हुआ,
अपराधों का सीना चौड़ा मिली हुई आजादी है,
कैसा है कानून हमारा कैसी ये बर्बादी है,
जंग लग चुकी कानून में वही पुराने जुमले हैं,
आड़ मे इनकी देखो कैसे रोज हो रहे हमले हैं,
दिल्ली पूछें केरल पूंछे यूपी भी नित चीख रही,
आखों कि पट्टी को खोलो जनता सब कुछ देख रही,
अंधा है कानून ,समय है इसको आँखें देने का,
टूट रही है साँस समय है इसको साँसे देने का,
क्यों बदलाव नहीं होता है ऐसी क्या मजबूरी है,
या कानून के वाशिंदो कि शिक्षा अभी अधुरी है,
चलता रहा अगर ऐसा तो सब खत्म हो जाएगा,
लाशों को ढोने कि खातिर कोई विदेशी आएगा,
नहीं जरूरत जाति धर्म की उसकी यहाँ न बात करो,
मुर्दा है कानून अभी ,कोई उसमें बदलाव करो,

केरल कि सौम्या को समर्पित मेरी श्रद्धांजलि
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लोधी योगेश मणि 'योगी'
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गुरुवार, 15 सितंबर 2016

।। अपराधियों की फैक्टरी है हमारा कानून।।

जी हाँ आप सोचेंगे कैसे लेकिन यही अकाट्य सत्य है। कानून कि खामियों और उसके लचीलेपन का फायदा उठाकर अपराधी साफ साफ बच निकलते हैं वही पीड़ित परिवार या व्यक्ति अपना सा मुँह लेकर दर दर की ठोकरें खाता रहता है और बदले में उसे मिलती है तारीख़ पे तारीख़ और अंत में फिर एक हार, यह क्रम जीवन पर्यन्त चलता रहता है। कहानी यहीं से शुरू होती है अब अपराधी तो खुला घूमता है और पीड़ित घुट घुट कर, मालुम सब को है कुर्सी मे बैठे जज से लेकर देश कि आवाम तक को लेकिन सब मजबूर हैं जज के हाथ कानून से बँधे हैं और आवाम के हाथ कानून ने बाँध रखे हैं। अब अगर खिन्नता मे कोई पीडित उस अपराधी को मार दे तो वह अपराधी हो गया भले ही पीडित या समाज कि नजर में यह बदला हो या सही हो।
आखिर देश का कानून कब तक ग़रीबों के गले की हड्डी बना रहेगा, देश का कानून सख्त कब होगा और कौन करेगा, यदि आंदोलन करो तो देशद्रोह अपना हक माँगो तो कुचलने को कानून खडा है ,वाह, फिर यही तत्परता अपराध रोकने में क्यों नहीं, कभी कभी तो लगता है कि आजादी एक छलावा मात्र है, अंग्रेज ज्यादा सही थे उनके शासनकाल में प्रगति ज्यादा थी, उनके अत्याचारों को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया गया है मेरा ऐसा मानना है।
केरल के बहुचर्चित सौम्या दुष्कर्म एवं हत्याकांड में सबूत के अभाव में कोर्ट ने अपराधी को महज सात वर्ष कि सजा दी है जबकि उसे फाँसी होनी चाहिए, कानून का मानना है कि अपराधी ने ऐसा किया है लेकिन सबूत नहीं होने के कारण उसे दुष्कर्म का ही दोषी माना जाएगा।
वाह रे कानून ।
मेरा मानना है कि देश में न तो विकाश कि जरूरत है न ही किसी अन्य की अगर कानून को रिअसेंबल करके सख्त कर दिया जाए तो देश को महान बनाने कि जरूरत नहीं रहेगी खुद बखुद महान बन जाएगा।

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बुधवार, 14 सितंबर 2016

कैसे देखो इस भारत में गरीबी उपहास उड़ाती है,
कंधे ,साइकिल ,पर यहाँ नित लाशें ढोई जाती हैं,
खून पसीना एक करे जो वो ही कुचला जाता है,
मंत्री को यदि छींकें आएँ हेलिकॉप्टर आता है,
सत्ता के अय्याशो कैसे तुमको नींदें आती हैं,
लाशों पर भी वोटों कि जब रोटी सेंकी जाती है ,
कानून खड़ा कोने पर लाचार दिखाई देता है,
भारत में नेताओं का व्यभिचार दिखाई देता है,
कचरे के ढे़रों पर जब भी लाश जलाई जाती है,
नेताओं के द्वारा सब बेबुनियाद बताई जाती है,
ग़रीबों कि गरीबी का यूं मजाक बनाया जाता है,
उनके हक को लातों से रोज दबाया जाता है,
मरते नेता अगर उन्हें सम्मान दिलाया जाता है,
चंदन की लकड़ी में देखो उन्हें जलाया जाता है,
पूँछ रहा हूँ आखिर मेरे देश में क्यों सब होता है,
एक ठहाके देकर हँसता दूजा फिर क्यों रोता है,
आखिर  इस खाई को कब तक पाटा जाएगा,
जाति धर्म के भेदभाव में कब तक बाँटा जाएगा,

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रविवार, 11 सितंबर 2016

डी जे की धुन मे थिरके आज कि आवाम है,
खुद के नही है ठौर ठिकाने कहते मुन्नी बदनाम है,
रेव पार्टी,चरस​,अफ़ीम​,गांजा के शौकीन है,
दिन भर सोते रात को जागें मामला कुछ संगीन है,
पश्चात संस्क्रति को मानें देश धर्म कि फ़िक्र नही,
हैं आदर्श हनी ,लिओनी, देश का कोई जिक्र नही,
दारू इनकी जीवन रेखा, सिगरेट देखादेखी है,
खुद ही के जीवन से कैसी करते आँख मिचौली हैं,
छोटे कपड़े खूब भा रहे जैसे ये आक्सीजन हो,
पिज्जा बर्गर जंक फूड के बिना न इनका जीवन हो,
चलते रहे इसी धुन मे तो कहो क्या कर पाओगे,
फेसबुक और वाट्सएप पर ही सरकार चलाओगे,
देश पुराना धर्म पुराना कुछ तो इसका मान रखो,
जिसने तुमको जन्म दिया है उसका तो सम्मान करो,
भारत संस्कृति कि भूमि है ऐसे न उपयोग करो,
अपनी क्षमता को पहचानो उसका न दुरुपयोग करो,

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जिस दिन अमन का इस्तकबाल होगा,
न हिन्दू होगा न मुसलमान होगा,
न होगा नफरतों का सिलसिला,
यहीं अली यहीं राम होगा,
सुन लो लुटेरे अमन के कान खोलकर,
यहाँ  सिर्फ भाईचारे का सम्मान होगा,
मनेगी दीवाली ईद संग-संग
ऐसा मेरा हिन्दुस्तान होगा,
कोशिशें कर लो जितनी चाहे अलगाव की,
इरादा तुम्हारा बेनकाब होगा
ये मुहब्बतों का देश है हिन्दुस्तान
यहाँ हर शख़्स वतन पे कुर्बान होगा,

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ईद मुबारक #Eidmubarak

  झूठों को भी ईद मुबारक, सच्चों को भी ईद मुबारक। धर्म नशे में डूबे हैं जो उन बच्चों को ईद मुबारक।। मुख में राम बगल में छुरी धर्म ध्वजा जो ...