गुरुवार, 12 अप्रैल 2018

#बेटियों के चीरहरण पर दुष्सासनों से सवाल करती और बेटियों को श्रद्धांजली देती मेरी रचना-

चीखों में जब बेटी की किलकारी का दम घुट जाए,
हैवानों के आगे जब जब नारी बेवस हो जाए,
तब तब भारत प्रश्न पूँछता सत्ता के अय्याशों से,
राजनीति की देश विरोधी टेढ़ी मेढ़ी चालों से,
क्यों बेटी की अस्मत लूटी जाती है दरबारों में,
मंदिर मस्जिद स्कूलों और भीड़ भरे बाजारों में,
जब सत्ता भी हामी भरकर सबको धता बताती हो,
बेटी की अस्मत ही जब घर इनके लूटी जाती हो,
भारत का उत्थान करोगे कैसे हमें बताओ जी,
कोठे बंगले में चीखें हैं उनसे खार तो खाओ जी,
धर्म और भारत के रक्षक तुमको कैसे मानें हम,
नारी के ऊपर हमला हो चुप्पी कैसे साधें हम,
नारी कोई वस्तु नही है जब जी चाहे भोग करो,
हिम्मत है तो एक बार, खुद की बेटी से योग करो,
नामर्दों की भीड़ जुटा के भगवा राष्ट्र बनाओगे,
विश्व गुरु के सपने देकर ऐसे कृत्य कराओगे,
तुमसे अच्छी नगर वधू है तन का सौदा करती है,
घर के अंदर पेट की खातिर चाहे जो भी करती है,
तुमने तो सपने दिखलाकर के हरकत ओछी करते हो,
किस मुँह से फिर वंदे वंदे भारत की जय कहते हो,
जिस मुद्दे में देश जलेगा कोर्ट भी उस पर बोलेगा,
यस सी,यस टी/तीन तलाक की ही फ़ाइल खोलेगा,
आँखों से पट्टी खोलो और इनपर भी संज्ञान करो,
न्यायपालिका की आत्मा को न ऐसे नीलम करो,
सत्ता सुनले कान खोल गर इज़्ज़त लुटती जाएगी,
बेटी पैदा कौन करेगा कोख में मारी जाएगी,



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©®योगेश मणि योगी
१३०४२०१८

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