अगर आप सोच रहे हैं की देश मे हमेशा सब ठीक चलता है तो आपकी सोच में #कीड़े पड़ चुके हैं जो दिखाई देता है वह सत्य नहीं! सत्य वह है जो आवरण में है! इस देश पर #पूंजीपतियों के हक है बाकी सब #कीड़े_मकोड़े हो रेंगते रहो मरते रहो सड़ते रहो, और हां सरकारों की #क्रोनोलॉजी मे फंसे रहो।
किसानों, मजदूरों, मेहनत तुम्हारी, वोट तुम्हारा, राज पूंजीपतियों का, व्यापारियों का?
#व्यापारी कौन?
व्यापारी वह जिसे देश से कोई लेना देना नहीं उसे #लाभ से मतलब देश जाए चूल्हे में यँहा के लोग जाएं चूल्हे में( ईस्ट इंडिया कंपनी जैसे) अपने व्यापार के लिए वह शाम दाम दंड भेद सब कुछ अपनाते हैं।
#उद्योगपति कौन?
उद्योगपति जिसे देश की #तरक्की भी देखनी है, वह देश की सोचता भी है, और देश के लिए समाज के लिए कुछ करता भी है! हालांकि बहुत से उद्योगपतियों की बुनियादें भी दूध की धुली नहीं लेकिन बड़े चोर से छोटा चोर अच्छा?
#अम्बानी #अडानी रतन टाटा की तुलना कर लेना शायद व्यापारी उद्योगपति में अन्तर समझ आ जाए।
जब #रतन_टाटा से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूंछा गया कि अम्बानी एशिया के शीर्ष पैसे वालों में हमेशा रहते हैं लेकिन आप क्यों नहीं?
तब रतन टाटा ने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि- ""मैं उद्योगपति हूँ देश और जनता की सोचता हूँ, लेकिन व्यापारी को इन सबसे कोई लेना देना नहीं होता उसका असल मकसद कमाई होता है"
आज सरकारें भी उसी चाल चरित्र में चल रही हैं अगर आप सरकारों के कार्यकाल की तुलना करते हैं तो आप पाएंगे कि छोटा चोर, बड़ा चोर दूध का धुला कोई नहीं! देश की #अर्थव्यस्था की रीढ़ #किसानी है यँहा हर व्यापार हर उद्योग किसानी से जुड़ा है और उसकी नींव #मजदूर हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इनका हित कभी क्यों नहीं हुआ?
किसानों के #सम्पूर्ण_कर्ज_माफ करने के नाम पर हमेशा सरकारें विधवा विलाप कारती आयी हैं और उनके समर्थन में इस देश के तमाम #बुद्धिजीवी भी जो थाली में शायद #अन्न की जगह #विष्ठ खाते हैं।
लेकिन यही सरकारें और तथाकथित बुद्धिजीवी जो अपने आप को राष्ट्रभक्त कहते हैं और #राष्ट्रवादी_सर्टिफिकेट लेकर कुलांचे मारते फिरते हैं और राष्ट्र के हितार्थ जान के हितार्थ बातें करते फिरते हैं को साँप सूंघ जाता है जब व्यापारियों उद्योगपतियों के कर्ज बैंक्स, RBI सरकार के इशारे पर माफ करती है!
इस क्षद्म से बाहर निकालिए की देश पर आपका हक है, दरअसल देश पर आपका हक तो है लेकिन एक #गुलाम के तौर पर जिसका आजादी से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं, वह नाम के लिए स्वत्रंत है लेकिन पूंजीवादी व्यवस्था की बेड़ियों में जकड़ा हुआ फड़फड़ा रहा है?
©®योगेश योगी किसान
#स्वामीनाथन_रिपोर्ट_लागू_करो
#निजीकरण_बंद_करो
किसानों, मजदूरों, मेहनत तुम्हारी, वोट तुम्हारा, राज पूंजीपतियों का, व्यापारियों का?
#व्यापारी कौन?
व्यापारी वह जिसे देश से कोई लेना देना नहीं उसे #लाभ से मतलब देश जाए चूल्हे में यँहा के लोग जाएं चूल्हे में( ईस्ट इंडिया कंपनी जैसे) अपने व्यापार के लिए वह शाम दाम दंड भेद सब कुछ अपनाते हैं।
#उद्योगपति कौन?
उद्योगपति जिसे देश की #तरक्की भी देखनी है, वह देश की सोचता भी है, और देश के लिए समाज के लिए कुछ करता भी है! हालांकि बहुत से उद्योगपतियों की बुनियादें भी दूध की धुली नहीं लेकिन बड़े चोर से छोटा चोर अच्छा?
#अम्बानी #अडानी रतन टाटा की तुलना कर लेना शायद व्यापारी उद्योगपति में अन्तर समझ आ जाए।
जब #रतन_टाटा से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूंछा गया कि अम्बानी एशिया के शीर्ष पैसे वालों में हमेशा रहते हैं लेकिन आप क्यों नहीं?
तब रतन टाटा ने बिना किसी का नाम लिए कहा था कि- ""मैं उद्योगपति हूँ देश और जनता की सोचता हूँ, लेकिन व्यापारी को इन सबसे कोई लेना देना नहीं होता उसका असल मकसद कमाई होता है"
आज सरकारें भी उसी चाल चरित्र में चल रही हैं अगर आप सरकारों के कार्यकाल की तुलना करते हैं तो आप पाएंगे कि छोटा चोर, बड़ा चोर दूध का धुला कोई नहीं! देश की #अर्थव्यस्था की रीढ़ #किसानी है यँहा हर व्यापार हर उद्योग किसानी से जुड़ा है और उसकी नींव #मजदूर हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इनका हित कभी क्यों नहीं हुआ?
किसानों के #सम्पूर्ण_कर्ज_माफ करने के नाम पर हमेशा सरकारें विधवा विलाप कारती आयी हैं और उनके समर्थन में इस देश के तमाम #बुद्धिजीवी भी जो थाली में शायद #अन्न की जगह #विष्ठ खाते हैं।
लेकिन यही सरकारें और तथाकथित बुद्धिजीवी जो अपने आप को राष्ट्रभक्त कहते हैं और #राष्ट्रवादी_सर्टिफिकेट लेकर कुलांचे मारते फिरते हैं और राष्ट्र के हितार्थ जान के हितार्थ बातें करते फिरते हैं को साँप सूंघ जाता है जब व्यापारियों उद्योगपतियों के कर्ज बैंक्स, RBI सरकार के इशारे पर माफ करती है!
इस क्षद्म से बाहर निकालिए की देश पर आपका हक है, दरअसल देश पर आपका हक तो है लेकिन एक #गुलाम के तौर पर जिसका आजादी से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं, वह नाम के लिए स्वत्रंत है लेकिन पूंजीवादी व्यवस्था की बेड़ियों में जकड़ा हुआ फड़फड़ा रहा है?
©®योगेश योगी किसान
#स्वामीनाथन_रिपोर्ट_लागू_करो
#निजीकरण_बंद_करो
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