हे_नारी_फूलन_बन_जाओ , गीत मातृशक्ति पर नित हो रहे अत्याचार से आहत होकर महिलाओं के सम्मान में, नारी शक्ति को समर्पित, आप सबके आशीष की चाह में,
अब समय नहीं थामो बल्ला,
गोस्वामी झूलन बन जाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी #फूलन बन जाओ।।
ये सत्ताएं मदमस्त हुईं,
न फिकर इन्हें तेरी होती।
पैसे कुर्सी की लालच में,
बस इनकी है फेरी होती।।
इनको मारो ये जँहा मिलें,
धर पाँव वक्ष मे चढ़ जाओ।
हथियार उठा गोली दागो
हे नारी.....
तुमने सृष्टि को जन्म दिया,
अपमान तेरा ही भारत मे।
तुमसे दुनिया है टिकी हुई,
फिर भी महिमा है गारत में।।
जिसने तेरा अपमान किया,
मारो उसको न मर जाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी....
हे नारी यूँ न घूँट पियो,
अपमानों वाले प्यालों का।
हल गोली है ये याद रखो,
इन ह्रदय के गहरे छालों का।।
इज़्ज़त का बदला लेने को,
रणचंडी सी तुम तन जाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी....
ये पुरुष सदा जो अहम करें,
समझें तुमको मनमौजी का।
सीने इनके छलनी कर दो,
अब रूप धरो तुम फौजी का।।
मन तनिक नहीं अधीर करो,
मारो इनको औ इतराओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी....
इनकी हस्ती का नाश करो,
सारे भारत पर राज करो।
सारे पुरुषों को दफन करो,
ज़िंदा गाड़ो ये काज करो।।
मरने पर इनके तनिक नहीं,
सोचो याकि तुम घबराओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी.....
मत सोच रखो ये हैं जीवन,
पुरुषों को न अभिमान कहो।
जो चुप बैठे वो भी दोषी,
इनको भी तुम शैतान कहो।।
प्रण इन दुष्टों के मर्दन का,
अबकी ऐसी सौगंध खाओ,
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी फूलन..
ये ही वकील ये जज तेरे,
ये बलात्कार कर जाते हैं।
हो थाने या की राजनीति,
अपराधी बन कर आते हैं।।
साधु सन्याशी हो हकीम,
बंदूक कँहा जल्दी लाओ,
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी....
इनकी चुप्पी से ही तेरी,
असमत को लूटा जाता है।
गलती पुरुषों की होती पर,
सब तुझ पर थोपा जाता है।।
इसलिए उठो ये धर्म कहे,
इनको मारो और तर जाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी.....
गर भारत मे तुमको रहना,
हे नारी तुम टंकार करो।
न रहे शेष सर एक कोई,
सब पुरुषों का संहार करो।।
फिर कहता हूँ न एक बचे,
गौरव ऐसा तुम ही पाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी फूलन बन जाओ।।
हे नारी फूलन.....
©®योगेश योगी किसान
सर्वाधिकार सुरक्षित
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अब समय नहीं थामो बल्ला,
गोस्वामी झूलन बन जाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी #फूलन बन जाओ।।
ये सत्ताएं मदमस्त हुईं,
न फिकर इन्हें तेरी होती।
पैसे कुर्सी की लालच में,
बस इनकी है फेरी होती।।
इनको मारो ये जँहा मिलें,
धर पाँव वक्ष मे चढ़ जाओ।
हथियार उठा गोली दागो
हे नारी.....
तुमने सृष्टि को जन्म दिया,
अपमान तेरा ही भारत मे।
तुमसे दुनिया है टिकी हुई,
फिर भी महिमा है गारत में।।
जिसने तेरा अपमान किया,
मारो उसको न मर जाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी....
हे नारी यूँ न घूँट पियो,
अपमानों वाले प्यालों का।
हल गोली है ये याद रखो,
इन ह्रदय के गहरे छालों का।।
इज़्ज़त का बदला लेने को,
रणचंडी सी तुम तन जाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी....
ये पुरुष सदा जो अहम करें,
समझें तुमको मनमौजी का।
सीने इनके छलनी कर दो,
अब रूप धरो तुम फौजी का।।
मन तनिक नहीं अधीर करो,
मारो इनको औ इतराओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी....
इनकी हस्ती का नाश करो,
सारे भारत पर राज करो।
सारे पुरुषों को दफन करो,
ज़िंदा गाड़ो ये काज करो।।
मरने पर इनके तनिक नहीं,
सोचो याकि तुम घबराओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी.....
मत सोच रखो ये हैं जीवन,
पुरुषों को न अभिमान कहो।
जो चुप बैठे वो भी दोषी,
इनको भी तुम शैतान कहो।।
प्रण इन दुष्टों के मर्दन का,
अबकी ऐसी सौगंध खाओ,
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी फूलन..
ये ही वकील ये जज तेरे,
ये बलात्कार कर जाते हैं।
हो थाने या की राजनीति,
अपराधी बन कर आते हैं।।
साधु सन्याशी हो हकीम,
बंदूक कँहा जल्दी लाओ,
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी....
इनकी चुप्पी से ही तेरी,
असमत को लूटा जाता है।
गलती पुरुषों की होती पर,
सब तुझ पर थोपा जाता है।।
इसलिए उठो ये धर्म कहे,
इनको मारो और तर जाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी.....
गर भारत मे तुमको रहना,
हे नारी तुम टंकार करो।
न रहे शेष सर एक कोई,
सब पुरुषों का संहार करो।।
फिर कहता हूँ न एक बचे,
गौरव ऐसा तुम ही पाओ।
हथियार उठा गोली दागो,
हे नारी फूलन बन जाओ।।
हे नारी फूलन.....
©®योगेश योगी किसान
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