गुरुवार, 27 दिसंबर 2018

दिल्ली और उत्तरप्रदेश में फिर से खतरनाक घरेलू आतंकी पकड़े जाने पर मन को व्यथित करती और शांतिप्रिय लोगों से सवाल पूँछती रचना-

काले सांप नजर आए हैं,
फिर से घर के आँगन में,
फन जहरीले उठते फिर से,
भारत माँ के दामन में,

खाते देश का लेकिन देखो,
देश तोड़ने आए हैं,
कुछ इस्लामी कुत्ते देखो,
भों-भों करने आए हैं,

भारत को हर बार असहिष्णु,
कैसे तुम कह जाते हो,
पीठ के पीछे इन नागों को,
क्या तुम दूध पिलाते हो,

मुसलमान को देश से आखिर,
खतरा नजर क्यों आता है,
जबकि खतरा देश की खतिर,
मुसलमान बन जाता है,

फतवा देने वालों आखिर,
इनके लिए भी बोलो तो,
फेविकोल से चिपके थूथन,
आगे आकर खोलो तो,

मुझे बता दो आतंकी क्यों,
यार दिखाई देते हैं,
इनको शह देने वाले तुझको,
क्यों बाप दिखाई देते हैं,

उन मुल्ले मौलों को तुम भी,
तो फटकार लगाओ जी,
देश तोड़ने की बातों पर,
तो प्रतिबंध लगाओ जी,

तेरी चुप्पी पता नहीं क्यों,
तेरी देशभक्ति पर भारी है,
क्या समझूँ ये अफजल जैसे,
छुरा घोपने वाली है?

फिर भारत के आगे मैं,
प्रश्न खड़ा ये करता हूँ?
जेहादी मुस्लिम ही क्यों हैं?
इसी बात से डरता हूँ,

देश तुम्हें देता है सब कुछ,
उसका तो सम्मान करो,
आतंकी भड़वों को मारो,
जेहाद खुलेआम करो,

एक निवेदन फिर करता हूँ,
चुप्पी तोड़ें मुस्लिम भी,
देश के संग आगे आकर के,
देश को जोड़ें मुस्लिम भी,

या फिर मोदी से बोलो तुम,
चुन चुन कर संहार करो,
जिन्हें देश से प्यार नहीं है,
सिंधु नदी के पार करो,



https://www.youtube.com/user/yogeshmanisingh
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©®योगेश योगी किसान

मंगलवार, 25 दिसंबर 2018

काश यही काम सीमा पर खड़े जवान करने लगें,
जो हम आप कर रहे हैं?
धर्म की लड़ाईयां?


उदाहरण देता हूँ-
आपको ले चलता हूँ जंग के मैदान पर
जंग चल रही है सभी सैनिक हिन्दू मुस्लिम, सिख ,ईसाई ,पारसी,जैन इत्यादि  मोर्चे पर डटे हैं , अब दृश्य देखिये हिन्दू विद्याधर दुबे के बगल में ही एक सैनिक जोसेफ रोबर्ट लड़ रहा है उसकी गोलियां खत्म हो जाती हैं वह दुबे से कहता है यार मैगजीन फेंक !
दुबे क्या यह कहकर मना कर देंगा की तुम ईसाई हो हम तुम्हें गोली नहीं देंगे तुम्हारी हमारी परंपरा अलग है ?
अब जोसेफ के बगल में हामिद लड़ रहा है उसकी भी गोलियां खत्म हो जाती हैं उसके बगल में लड़ रहा कोई हिन्दू सैनिक क्या यह कहकर उसकी सहायता नहीं करेगा कि तुम्हारा धर्म अलग है मैँ तुम्हारी सहायता नहीं करूँगा?


अगर ऐसा होता तो आज हर जंग हम हारते और सीमाएं खत्म हो जातीं दुश्मन हमारे घरों में घुस कर हमें मारते वह यह नहीं देखते की तुम हिन्दू हो कि ईसाई हो कि पारसी या मुस्लिम उनकी नजर में तुम सिर्फ हिंदुस्तानी हो!


आपस का बैर भाव ये सब राजनीति की देन है अपने धर्म की इज़्ज़त करनी चाहिए अच्छा है लेकिन दूसरे के धर्म की इज़्ज़त न करें यह गलत है?
भारत संविधानिक देश है जँहा सबको बराबर हक है यंहा अनेकता में एकता है ऐसा हम नहीं हमारा संविधान और मौलिक अधिकार कहते हैं?


आशा है आप सब समझ गए होंगे मैं कहना क्या चाहता हूँ!

🙏🙏🙏
©योगेश योगी किसान
मुसलमानों को देश से निकाल दो , हलवा पूड़ी समझ रखा है क्या? यह क्षद्म बातें हैं जिसका मकसद सिर्फ राजनीति है, और वह दोनो धर्म के नेताओं के तरफ से बखूबी चल रही है । गद्दार मुसलमानों में हैं तो हिंदुओं में भी कमी नहीं है?
यह जानते हुए भी की देश से 20 करोड़ मुसलमानों को अलग नहीं किया जा सकता ,यदि किया जाएगा तो फिर देश का एक टुकड़ा अलग होगा,
फिर ये तथाकथित राष्ट्रवादी यह कहकर लोगों को मूर्ख क्यों बना रहे हैं कि हम अखंड भारत का निर्माण करेंगे???
और इनके तमाम संगठन अपनी जेब भरने और देश तोड़ने के लिए ही तो काम कर रहे हैं ?

हिंदुओं की इतनी ही फिक्र है तो क्यों नहीं ईसाइयों जैसे मल्टीस्पेसलिटी फ्री हॉस्पिटल,स्कूल जैसी निःशुल्क सेवाएं स्टार्ट कर रहे हैं ,
मंदिर बनाएंगे और फिर भगवान के दर्सन के लिए vip कोटा vvip कोटा से दर्सन की भी उगाही करेंगे! अरे क्यों उसे मंदिर का नाम दे रहे हो ,सीधे कहो बिज़नेस है !
ईश्वर तो कण  कण में है हर जीव में है, उसे महलों की और संगमरमर की जरूरत नहीं है।
अगर मुसलमान और ईसाई को यह कहकर आरोप लगाते हो कि वो देश तोड़ते हैं तो यकीन मानो हिन्दू संगठन कोई देश जोड़ने की बात नहीं कर रहे।
धर्म एक ऐसी लड़ाई है जिसमे बेशक इंसान तो जीत जाएगा लेकिन इंसानियत हार जाएगी।

ब्लॉग से
©योगेश योगी किसान

रविवार, 23 दिसंबर 2018

उत्तरप्रदेश में बेटी को अपराधियों द्वारा ज़िंदा जला देने पर सिस्टम से सवाल करती मेरी रचना-

फिर जली है बेटी देखो रामराज्य के आँगन में,
देशभक्त फिर दुबक गए हैं किस गणिका के दामन में,

मंदिर मंदिर मुस्लिम मुस्लिम कब तक आग लगाओगे,
बेटी को कल कहने वालो कब तक यूँ लजवाओगे,

कँहा गया एन्टी रोमियो कँहा गए अब योगी जी,
सत्ता की चासनी में डूबे चुप बैठे क्यों मोदी जी,

कँहा गए वो कवि महोदय मंचों से चिल्लाते हैं,
रामराज्य अब देश मे होगा हर दम यही बताते हैं,

राष्ट्रवाद की बातें करके उल्लू खूब बनाते हो,
जनता के हक की बातों पर कैसे चुप हो जाते हो,

आखिर क्यों अपराध हो रहे बेटी क्यों शिकार बने,
कितने काम सुरक्षा खतिर जुमलों से अखबार भरे,

दलित, ब्राम्हणी, जैन सिख न बेटी को इंसाफ मिले,
गाय की कीमत ज्यादा लगती मौत का नहीं जवाब मिले,

सारे राह लुटती है इज़्ज़त ज़िंदा वह जल जाती है,
रामराज्य की बात मुझे भी जुमला नजर ही आती है,

अगर यही है रामराज्य तो वन में रहना ठीक लगे,
ज़िंदा रहना अपने वतन में जैसे कोई भीख लगे,

घण्टों तक चिल्लाने वाली मीडिया नजर नही आई,
क्योंकि उसको बेटी में टीआरपी नजर नहीं आई,

इंसाफ नहीं मिलता आखिर क्यों जाति जाति में फर्क हुआ,
राजनीति के कारण मेरा भारत सच मे नर्क हुआ,

अपराधी से सांठगांठ की  राजनीति अब बंद करो,
देश की जनता सुख में रह ले कुछ ऐसे प्रबंध करो,



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©®योगेश योगी किसान

सोमवार, 17 दिसंबर 2018

*बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में दी प्रस्तुतियां, बताया हैल्दी और जंक फूड में अंतर..*

*#JANSANDESHNEWS*
 https://jansandeshnews.com/?p=2113

   *✍🏻योगेश योगी*
*जनसंदेश न्यूज़,सतना*

गुरुवार, 13 दिसंबर 2018

प्रतिक्रिया

बार बार एक
सोसल मीडिया में एक मैसेज चल रहा है,  काँग्रेस आ गई अब कलमा पढ़ना पड़ेगा, कुरान पढ़ना पड़ेगा बच्चे नक्सली बन जाएंगे ,हिंदुओं की खैर नहीं हिंदुओं ने अपने पैर पर  कुल्हाड़ी मारी है कांग्रेस को चुनकर।

तो शालीनता से सुनिए-
यह देश भाजपा का नहीं है ,और न ही कांग्रेस का है यह देश है यँहा की जनता का ,यहाँ रहने वाले लोगों का, राजनीति का जन्म लोगों ने किया है न कि लोगों का जन्म राजनीति से हुआ,जो देश तोड़ने वाले कांग्रेस का या मुसलमानों का डर दिखाकर हिंदुओं के मन मे भरम फैलाना चाहते हैं वह एक बात नोट कर लें, कि सत्ता हमेशा से परिवर्तनशील रही हैं ,सत्ता को बपौती मानने की गलती न भाजपा को करनी चाहिए, न ही कांग्रेस को,। कौन कितने समय तक देश की सत्ता में रहेगा यह फ़ैशला जनता करती है वो भी उसके किये गए जमीनी कार्यों का मूल्यांकन करके । अगर कोई दल सत्ता से बाहर होता है तो होने का कारण स्वयं हैं,ये खुद का आकलन करने की बजाए दोषारोपण हिंदुओं पर कर रहे हैं साथ ही सारे देश को भयभीत कर रहे हैं, हिन्दू हिन्दू की रट लगाने वाले राजनीतिक संगठन और लोग जिन्होंने रट तो हमेशा हिंदुओं को लगाई है लेकिन हिंदुओं को वोट बैंक के अलावा कुछ नहीं दिया,ये भूल गए कि 110 करोड़ हिंदुओं में से 25 करोड़ हिंदुओं की स्थिति ही अच्छी है शेष हिन्दू आज भी जीवन के लिए सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं ,हिंदुओं का ठेका लेने वाले जरा ये भी तो बताएँ की अपने भंडार भरने के अलावा उन्होंने किया क्या है, बड़े बड़े मंदिर ,मठ और अखाड़े बना लेंने से हिंदुओं का कल्याण न कभी हुआ है और न होगा, हिंदुओं का कल्याण तब होगा जब वो आर्थिक और शैक्षणिक रूप से सम्रद्ध बनेंगे, ऐसा कब होगा? ऐसा जभी होगा जब गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा ,स्वास्थ्य, रोजगार, मिलेगा,और भृस्टाचार खत्म होगा। लेकिन इन सब की फिक्र इन हिन्दू प्रेमियों को क्यों नहीं है, क्या हिन्दू सिर्फ इनके कराए दंगों में मारे जाने के लिए ही बना है ? क्या उसका हक ये नहीं है कि वह अपनी बुनियादी सुविधाएं प्राप्त कर सके? क्या वह अपने ही देश मे बहुसंख्यक होते हुए भी इन हिंदुओं के मसीहाओं के कारण देश का हिन्दू ब्रेन वाश होकर, बस हिन्दू मुस्लिम तक ही सीमित रहकर महज एक वोट बैंक रह गया है? क्या  उन्नति पर उसका अधिकार नहीं है? जब हर व्यक्ति स्वतंत्र है तब बेवजह मानसिक प्रताड़ना वो भी धर्म के नाम पर क्यों?
इतिहास की बात की जाय तो यँहा हमेशा से ही शक ,हूण, कुषाण, और फिर 850 साल लगातार मुगल शासक रहे,इसके बाद फिर 250 साल अंग्रेजों का शासन रहा , अब प्रश्न ये उठता है कि 1100 साल से अधिक की परतंत्रता में हिन्दू सलामत कैसे रहा,क्या अपने आप को हिंदुओं का मसीहा कहने वाले बताएंगे कि उस वक्त तो तुम जैसे नफरत फैलाकर हिन्दू हित की बात करने वाले नहीं थे तब क्यों नहीं यँहा से हिंदुओं का विनाश हो गया,
जानते हो क्यों क्योंकि भारत भूमि में जो भी आया इसकी पवित्रता और भाईचारे को देखकर यँही का हो गया रही बात युद्ध और सत्ताओं की तो वो हर राजा करते आये हैं चाहे वह बाहरी हों या भारत देश के और तब के युध्दों को अब राजनैतिक रंग देकर हिन्दू मुसलमानों में बाँटा जा रहा है, क्यों ? क्योंकि तब सत्ताएँ तलवारों से प्राप्त की जाती थीं और अब धर्म जाति की गंदी राजनीति से। एक उदाहरण बताता हूँ इन क्षद्म राष्ट्रभक्तों को,
अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह(गाजी) जफर को 84 साल की उम्र में अंग्रेजों ने कैद करके रंगून की जेल में नजर बंद कर दिया और बहादुर शाह जफर के नाम अंग्रेजों ने एक चिट्ठी भिजवाई जिसमें 2 लाइनें लिखी थी-
*"दमदमे में दम नहीं है खैर माँगों जान की।*
*अब जफर झुकने लगी शमशीर हिंदुस्तान की।।"*

तब उस बूढ़े बहादुर शाह ने कील उठाकर जेल की दीवार में उन दो पंक्तियों के जवाब में कुरेदा -
*"गाजियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की।*
 *तख़्ते लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की।।"*

इस देश की परंपरा हमेशा देशभक्ति से परिपूर्ण रही है। यँहा जो आया इसी की मिट्टी का हो गया।
इस देश को सभी से प्यार रहा है इस धर्म के नाम पर बाँटने और अपनी सत्ता के सपने देखना बंद करो ये देश सबका है, इसे टुकड़ों में मत बाटों। हिन्दू मुश्लिम के चूल्हों पर अपने घरों की रोटियाँ मत सेकों।
सच कड़वा होता है लेकिन सच सच ही होता है और सच यही है कि इस देश की राजनीति ही इस देश को गर्त में धकेलने को उतारू है। राजनीति ने नफरत की वो आग लगाई है जिससे उसकी रोटी तो बखूबी सेंकी जा रही है किन्तु उसकी लपटों से पूरा हिंदुस्तान आपसी नफरत के रूप में झुलस गया है,एक दूसरे पर भरोषा खो रहा है। कैसे लोग हैं जो अपने आपको राष्ट्रभक्त कहते हैं और इंसानों को धर्म के नाम पर आहुति चढ़ जाने को कहते हैं,राष्ट्रभक्त की परिभाषा शायद ऐसे लोगों ने कभी पढ़ी ही नहीं,एक छोटे से बच्चे से भी पूंछों की भगत, सुखदेव, असफाक, ऊधम,राजगुरु,हामिद जैसे तमाम महामना शहीद क्यों और किसलिए हुए तो जवाब मिलेगा देश के लिए,कोई भी यह नहीं कहेगा कि हिंदुओं के लिए ,मुस्लिमों के लिए ,धर्म के लिए। फिर ये नफरत आई कँहा से,जाहिर है कुर्सी और मैं-मैं की होड़ ने इस देश को राजनीति सिखा दी और इसी राजनीति ने देश को किनारे लगाने की ठान ली ।कैसे इस देश के विकास की बात करते हो जबकि सत्य ये है कि भृस्टा चार तुम राजनीति वालों की नसों में है और तो और खून की अंतिम बूँद तक मे मिलेगा। अगर किसी से सीखना है तो इतिहास जान लो , हम पर शासक रहे लोगों से सीखो जिनकी बिछाई पटरियाँ ,भवन,पुल आज भी जस के तस हैं और तुम्हारे विकास तुम्हारी ही तरह हैं कोई गारंटी नहीं ,कि आज बने कल खत्म। घटिया प्लानिंग जिन्हें यही नहीं पता कि सड़क बनने के बाद पाइप लाइन डालनी है की पहले, जिन्हें आज 70 साल बाद भी यही नहीं पता चला कि किसान भी इस देश का नागरिक है ,जिसे यही नहीं पता कि रोजगार कैसे दें, वो क्या देश को सोने की चिड़िया बनाएंगे ,जिन्हें हर प्रोजेक्ट में अपना फायदा और कमीशन दिखता हो,जो अरबों खरबों चुनाव में खर्च करते हो उनके मुँह से देशसेवा शब्द देश की बेज्जती है।
इस देश का हर व्यक्ति जिसने इस देश की उन्नति में योगदान दिया है चाहे वह किसी भी धर्म ,जाति का हो उसका इस देश मे बराबर हक है। और हाँ देश है तो पार्टी है, कोई भी पार्टी अपने आप को देश समझने की भूल न करे।


लेख सर्वाधिकार सुरक्षित
©®
योगेश योगी किसान

मंगलवार, 11 दिसंबर 2018

*सिद्धार्थ नीलांशु ने किया कमाल, कक्का की वापसी,नागेन्द्र बचे बाल बाल,रामखेलावन, विक्रम, नारायण, जीते..*

*#JANSANDESHNEWS* https://jansandeshnews.com/?p=1960

रविवार, 9 दिसंबर 2018

*आंखों देखी: गाय हिंसा का जरिया या सेवाभाव..*

*#JANSANDESHNEWS*
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http://hindibhashaa.com/%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%9b-%e0%a4%b8%e0%a4%b5%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a4%be%e0%a4%a4/

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*करोड़ों पाठकों* के बीच अपना मुकाम स्थापित करने वाली हिंदी की सुप्रसिद्ध अन्तरताना हिन्दीभाषा. कॉम में प्रकशित मेरी रचना *'कुछ सवालात'* जरूर पढ़ें और शेयर करें। आपका एक शेयर लेखनी को संबल प्रदान करेगा।
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जय हिंद-जय हिंदी


योगेश योगी *किसान*

मंगलवार, 4 दिसंबर 2018

*खरी-खरी: राजनीति से जनता या जनता से राजनीति..*

*#JANSANDESHNEWS*
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*विशेष रिपोर्ट :  मेडिकल वरदान या खुली लूट…*
*#JANSANDESHNEWS*
 https://jansandeshnews.com/?p=1704
*सतना: चुनाव हुआ सम्पन्न ईवीएम गड़बड़ी का मुद्दा फिर छाया रहा,केंद्र क्रमांक 58 रहा जीरो प्रतिशत वोटिंग वाला केंद्र..*
*#JANSANDESHNEWS*
 https://jansandeshnews.com/?p=1580
योगेश योगी किसान की कलम ✍️से




*निर्दलीय प्रत्याशी डॉ. रश्मि सिंह बिगाड़ सकती है भाजपा/कांग्रेस का चुनावी गणित..*
*#JANSANDESHNEWS*
 https://jansandeshnews.com/?p=1446

ईद मुबारक #Eidmubarak

  झूठों को भी ईद मुबारक, सच्चों को भी ईद मुबारक। धर्म नशे में डूबे हैं जो उन बच्चों को ईद मुबारक।। मुख में राम बगल में छुरी धर्म ध्वजा जो ...