प्रतिक्रिया
बार बार एक
सोसल मीडिया में एक मैसेज चल रहा है, काँग्रेस आ गई अब कलमा पढ़ना पड़ेगा, कुरान पढ़ना पड़ेगा बच्चे नक्सली बन जाएंगे ,हिंदुओं की खैर नहीं हिंदुओं ने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है कांग्रेस को चुनकर।
तो शालीनता से सुनिए-
यह देश भाजपा का नहीं है ,और न ही कांग्रेस का है यह देश है यँहा की जनता का ,यहाँ रहने वाले लोगों का, राजनीति का जन्म लोगों ने किया है न कि लोगों का जन्म राजनीति से हुआ,जो देश तोड़ने वाले कांग्रेस का या मुसलमानों का डर दिखाकर हिंदुओं के मन मे भरम फैलाना चाहते हैं वह एक बात नोट कर लें, कि सत्ता हमेशा से परिवर्तनशील रही हैं ,सत्ता को बपौती मानने की गलती न भाजपा को करनी चाहिए, न ही कांग्रेस को,। कौन कितने समय तक देश की सत्ता में रहेगा यह फ़ैशला जनता करती है वो भी उसके किये गए जमीनी कार्यों का मूल्यांकन करके । अगर कोई दल सत्ता से बाहर होता है तो होने का कारण स्वयं हैं,ये खुद का आकलन करने की बजाए दोषारोपण हिंदुओं पर कर रहे हैं साथ ही सारे देश को भयभीत कर रहे हैं, हिन्दू हिन्दू की रट लगाने वाले राजनीतिक संगठन और लोग जिन्होंने रट तो हमेशा हिंदुओं को लगाई है लेकिन हिंदुओं को वोट बैंक के अलावा कुछ नहीं दिया,ये भूल गए कि 110 करोड़ हिंदुओं में से 25 करोड़ हिंदुओं की स्थिति ही अच्छी है शेष हिन्दू आज भी जीवन के लिए सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं ,हिंदुओं का ठेका लेने वाले जरा ये भी तो बताएँ की अपने भंडार भरने के अलावा उन्होंने किया क्या है, बड़े बड़े मंदिर ,मठ और अखाड़े बना लेंने से हिंदुओं का कल्याण न कभी हुआ है और न होगा, हिंदुओं का कल्याण तब होगा जब वो आर्थिक और शैक्षणिक रूप से सम्रद्ध बनेंगे, ऐसा कब होगा? ऐसा जभी होगा जब गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा ,स्वास्थ्य, रोजगार, मिलेगा,और भृस्टाचार खत्म होगा। लेकिन इन सब की फिक्र इन हिन्दू प्रेमियों को क्यों नहीं है, क्या हिन्दू सिर्फ इनके कराए दंगों में मारे जाने के लिए ही बना है ? क्या उसका हक ये नहीं है कि वह अपनी बुनियादी सुविधाएं प्राप्त कर सके? क्या वह अपने ही देश मे बहुसंख्यक होते हुए भी इन हिंदुओं के मसीहाओं के कारण देश का हिन्दू ब्रेन वाश होकर, बस हिन्दू मुस्लिम तक ही सीमित रहकर महज एक वोट बैंक रह गया है? क्या उन्नति पर उसका अधिकार नहीं है? जब हर व्यक्ति स्वतंत्र है तब बेवजह मानसिक प्रताड़ना वो भी धर्म के नाम पर क्यों?
इतिहास की बात की जाय तो यँहा हमेशा से ही शक ,हूण, कुषाण, और फिर 850 साल लगातार मुगल शासक रहे,इसके बाद फिर 250 साल अंग्रेजों का शासन रहा , अब प्रश्न ये उठता है कि 1100 साल से अधिक की परतंत्रता में हिन्दू सलामत कैसे रहा,क्या अपने आप को हिंदुओं का मसीहा कहने वाले बताएंगे कि उस वक्त तो तुम जैसे नफरत फैलाकर हिन्दू हित की बात करने वाले नहीं थे तब क्यों नहीं यँहा से हिंदुओं का विनाश हो गया,
जानते हो क्यों क्योंकि भारत भूमि में जो भी आया इसकी पवित्रता और भाईचारे को देखकर यँही का हो गया रही बात युद्ध और सत्ताओं की तो वो हर राजा करते आये हैं चाहे वह बाहरी हों या भारत देश के और तब के युध्दों को अब राजनैतिक रंग देकर हिन्दू मुसलमानों में बाँटा जा रहा है, क्यों ? क्योंकि तब सत्ताएँ तलवारों से प्राप्त की जाती थीं और अब धर्म जाति की गंदी राजनीति से। एक उदाहरण बताता हूँ इन क्षद्म राष्ट्रभक्तों को,
अंतिम मुगल शासक बहादुर शाह(गाजी) जफर को 84 साल की उम्र में अंग्रेजों ने कैद करके रंगून की जेल में नजर बंद कर दिया और बहादुर शाह जफर के नाम अंग्रेजों ने एक चिट्ठी भिजवाई जिसमें 2 लाइनें लिखी थी-
*"दमदमे में दम नहीं है खैर माँगों जान की।*
*अब जफर झुकने लगी शमशीर हिंदुस्तान की।।"*
तब उस बूढ़े बहादुर शाह ने कील उठाकर जेल की दीवार में उन दो पंक्तियों के जवाब में कुरेदा -
*"गाजियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की।*
*तख़्ते लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की।।"*
इस देश की परंपरा हमेशा देशभक्ति से परिपूर्ण रही है। यँहा जो आया इसी की मिट्टी का हो गया।
इस देश को सभी से प्यार रहा है इस धर्म के नाम पर बाँटने और अपनी सत्ता के सपने देखना बंद करो ये देश सबका है, इसे टुकड़ों में मत बाटों। हिन्दू मुश्लिम के चूल्हों पर अपने घरों की रोटियाँ मत सेकों।
सच कड़वा होता है लेकिन सच सच ही होता है और सच यही है कि इस देश की राजनीति ही इस देश को गर्त में धकेलने को उतारू है। राजनीति ने नफरत की वो आग लगाई है जिससे उसकी रोटी तो बखूबी सेंकी जा रही है किन्तु उसकी लपटों से पूरा हिंदुस्तान आपसी नफरत के रूप में झुलस गया है,एक दूसरे पर भरोषा खो रहा है। कैसे लोग हैं जो अपने आपको राष्ट्रभक्त कहते हैं और इंसानों को धर्म के नाम पर आहुति चढ़ जाने को कहते हैं,राष्ट्रभक्त की परिभाषा शायद ऐसे लोगों ने कभी पढ़ी ही नहीं,एक छोटे से बच्चे से भी पूंछों की भगत, सुखदेव, असफाक, ऊधम,राजगुरु,हामिद जैसे तमाम महामना शहीद क्यों और किसलिए हुए तो जवाब मिलेगा देश के लिए,कोई भी यह नहीं कहेगा कि हिंदुओं के लिए ,मुस्लिमों के लिए ,धर्म के लिए। फिर ये नफरत आई कँहा से,जाहिर है कुर्सी और मैं-मैं की होड़ ने इस देश को राजनीति सिखा दी और इसी राजनीति ने देश को किनारे लगाने की ठान ली ।कैसे इस देश के विकास की बात करते हो जबकि सत्य ये है कि भृस्टा चार तुम राजनीति वालों की नसों में है और तो और खून की अंतिम बूँद तक मे मिलेगा। अगर किसी से सीखना है तो इतिहास जान लो , हम पर शासक रहे लोगों से सीखो जिनकी बिछाई पटरियाँ ,भवन,पुल आज भी जस के तस हैं और तुम्हारे विकास तुम्हारी ही तरह हैं कोई गारंटी नहीं ,कि आज बने कल खत्म। घटिया प्लानिंग जिन्हें यही नहीं पता कि सड़क बनने के बाद पाइप लाइन डालनी है की पहले, जिन्हें आज 70 साल बाद भी यही नहीं पता चला कि किसान भी इस देश का नागरिक है ,जिसे यही नहीं पता कि रोजगार कैसे दें, वो क्या देश को सोने की चिड़िया बनाएंगे ,जिन्हें हर प्रोजेक्ट में अपना फायदा और कमीशन दिखता हो,जो अरबों खरबों चुनाव में खर्च करते हो उनके मुँह से देशसेवा शब्द देश की बेज्जती है।
इस देश का हर व्यक्ति जिसने इस देश की उन्नति में योगदान दिया है चाहे वह किसी भी धर्म ,जाति का हो उसका इस देश मे बराबर हक है। और हाँ देश है तो पार्टी है, कोई भी पार्टी अपने आप को देश समझने की भूल न करे।
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योगेश योगी किसान