बुधवार, 19 सितंबर 2018

भारतीय सैनिक की फिर से पाकिस्तानी सेना द्वारा आँख निकाल कर गला काटने और टाँग काटने जैसे बीभत्स कृत्य की निंदा करती और सत्ता से सवाल करती मेरी रचना-


भारत की खुद्दारी को साँप सूँघ क्यों जाता है,
सीमा की परपाटी पर क्यों सैनिक मारा जाता है,
पीठ के पीछे से लगती है  दिल्ली तेरी गोली भी,
एक के बदले दस सिर लाते कँहा गई वह बोली जी,
सैनिक न गाजर मूली है सत्ता क्यों फिर समझ रही,
केसर की क्यारी क्यों नित ही खुनों से है दहक रही,
आग लगा दो 56 इंची सीने में जज्बात नहीं,
गीदड़ के आगे शेरों की जब कोई औकात नहीं,
सत्ता  को कुर्सी से मतलब सैनिक और किसान मरे,
दो कौड़ी के राजनीति पर कैसे कोई गर्व करे,
राजनीति कोठे पर बैठी सत्ता का मुजरा देखे,
मंचों से फिर चीखचीख़ कर जुमलों की बातें फेंके,
कभी चीन को कभी पाक को जाकर गले लगाते हो,
कैसे देश के रक्षक हो और कैसा धरम निभाते हो,
रोज रोज की चिकचिक छोड़ों एक बार आह्वान करो,
पाकिस्तानी कुत्तों का अब तो  अतिसंधान करो,


©®योगेश योगी किसान
सर्वाधिकार सुरक्षित
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