शनिवार, 9 जून 2018

सैनिक किसान के मरने पर क्यों नामर्दी दिखलाते हो,
आतंकी पत्थरबाजों से क्यों हमदर्दी दिखलाते हो,
देशभक्त कहते हो खुद को शर्म करो या डूब मरो,
सैनिक किसान की हत्या में ऐसे न सहयोग करो,
आतंकी को गले लगा लो, घुँघरू पांवों में पहनो
बालों में गजरा धारण कर ,उनके आँगन में नचलो,
जरा बताओ मंदसौर में क्या किसान आतंकी है?
कितने जमानत पर हैं बाहर, जाने कितने बंदी हैं?
महबूबा के गठबंधन की, सहज गुलामी क्यों करते,
क्यों बैठे हो सत्ता में ,जब इतना ही हो तुम डरते,
न जाने क्यों सबकुछ दिखता, पर किसान न दिखता है,
देश को पाले जो मेहनत से, वो तिल तिल कर मरता है,
आखिर क्यों अनजान बने हो, बहुत उम्मीदें पाली थीं,
तेरा गुल्लक जब जब फूटा सारी खुशियाँ खाली थीं,




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©®योगेश मणि योगी 'किसान'

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