रविवार, 17 जून 2018

क्या हम इंसानियत ज़िंदा रख पाएंगे?

एक तरफ हम विश्व शांति के प्रयाशों के लिए इस दुनिया मे जाने जाते हैं दूसरी ओर ऐसी परिस्थियों का निकलक्ट हमारे देश से आना अपने आप मे एक गंभीर सवाल खड़ा करता हैं,या फिर धर्म की आड़ में कुछ लोग सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं।
अगर धर्म की बात की जाय तो कोई भी धर्म कभी अपराधन का समर्थन नहीं करता जब तक उसे तोड़ा मरोड़ा न जाये ,आज यही हो रहा है धर्म को तोड़ मरोड़ कर उसके ऐसे पहलू पेश किए जाते हैं जो वास्तव में हैं ही नहीं, बस उनके सहारे अपना मकसद पूरा किया जाता हैं और उसके पीछे होता है एक गुप्त षड्यंत्र या धर्म को ही खत्म करने की एक कुंठित मानसिकता ।
#इस्लाम की अगर हम बात करें तो यह कभी सिद्ध नही हुआ है कि इस्लाम आतंकवाद ,मानवता हनन जैसी बातें सीखाता हो उल्टे यह धर्म अपने भाईचारे और एकता के लिए जाना जाता है,किन्तु इस्लाम को तोड़ मरोड़ कर कुंठित मानसिकता के व्यक्तियों ने धर्म से जोड़कर अधर्मियों की ऐसी फौज तैयार की जो आज पूरी कौम के विनाश और उसकी साख पर बट्टा लगाने को उतारू है।
धर्म के नाम पर , युवाओं का ब्रेनवाश किया जाना फिर उनका उपयोग अपने स्वार्थ के लिए करना यह किसी धर्म मे नहीं है यह खुद की विचारधारा है जिसका घ्रणित रूप आतंकवाद और   इस्लामिक स्टेट आतंकवाद विचारधारा है।
अगर आतंकवाद का पहलू देखा जाय तो आज तक जिस लड़ाई को वो लड़ रहे हैं उसके कोई मायने नहीं निकले वरन उसके नुकान हर देश को भुगतने पड़े हैं।
धर्म के नाम पर लड़ाई करने वाले कई संगठन आज आतबककयों की लिस्ट में हैं, सबसे बड़ी बात ये है कि किसी भी धर्म के लिए अनुयायियों की फौज या उनका ब्रेनवाश यह कहकर ही किया जाता है कि धर्म खतरे में है और हमे उसके लिए कुछ करना हैं।
आज हालात ये हो गए कि इस्लामिक देश जो अब तक खुस थे और इन्हें धर्म की लड़ाई बताते थे वो आज सबसे ज्यादा आतन्कवाद और अन्य समस्याओं का दंश झेल रहे हैं।
यह मानसिक पटल में रखने योग्य बात है धर्म ने शांति से अशांति की ओर रुख किया है और अब जनमानस खुद परेशान है।
#हिन्दू विश्व पटल पर अपने कर्म धर्म और शांति के लिए अग्रणी स्थान रखने वाली कौम, भारत और उसकी संस्कृति का प्रभुत्व प्राचीन काल से लेकर अब तक सर्वोच्च ही रह है, आज भी हिन्दू धर्म शांति के लिए अपनी पहचान और  रुतवा कायम किये हुए है।
धर्म के नाम पर रोज बन रहे नित नए संगठन कितनी धर्म रक्षा करते हैं यह किसी से छुपा नहीं है, अपने आप को स्वतंत्र या फिर बड़े संगठनो से संबद्धता बाटने वाले हजारों लाखों संगठन और समितियाँ आपको मिल जायेंगीं।
अब प्रश्न ये उठता है कि धर्म की रक्षा क्या सिर्फ आक्रमकता से ही कि जा सकती है, कालान्तर से अब तक हमारा अस्त्तिव हमेशा बना रहा है, किन्तु हमारी मानसिकता भी क्या अब धर्म के नाम पर प्रदूषित होने लगी है,हम ईश्वर ,धर्म,पाप पुण्य से ऊपर उठकर क्या एक नई व्यवस्था चाहते हैं जँहा अशांति का माहौल हो
क्या कुछ चन्द लोग हिन्दू धर्म को खत्म करना चाहते हैं उनकी मानसिकता की अकन्हि किसी और से प्रभावित हैं ,इन संगठनों के युवाओं का भी क्या ब्रेन वाश किया जाता है यह सोचनीय हैं?
जिस तरह से आज आक्रमकता धर्म को लेकर बढ़ी है वह अपने आप मे बहुत ही गंभीर प्रश्न है, लोग जँहा अपने अपने कामों और कर्मों में व्यस्त थे क्या उन्हें अब धर्म की लड़ाइयों के लिए विवश या ब्रेनवाश किया जाता है।
सोशल मीडिया का जँहा एक ओर सदुपयोग हुआ हैं वहीं इसका दुरुपयोग भी बहुत तेजी से हो रहा है,आपसी रंजिशें और कट्टर बनाने में इसका बहुत बड़ा हाथ है,बिना सोचे समझे मेसेज पर अमल या उसपर प्रतिक्रिया भारतीयों की कमजोरी रही है।
काफी दिन पहले #गौरी_लंकेश (एक पत्रकार) की हत्या हुई थी उस केश में आरोपी #वाघमारे का प्रायश्चित करना कि उसे महिला को नही मारना चाहिए था और यह कहना कि 2017 में उसे यह कहा गया कि उसे #धर्म_को_बचाने_के_लिए_किसी_को_जान_से_मारना_होगा, और मैं तैयार हो गया ,पर मुझे नही पता था कि मारना किसे है?
शब्दों पर ध्यान देने योग्य है उसे धर्म के नाम पर तैयार किया गया जबकि टारगेट उसे पहले नही पता था ?
क्या यह ठीक उसी प्रकार है जिस तरह से इस्लाम के नाम पर आतंकियों को ब्रेनवाश करके अपने खाश मंसूबों के लिए भेज जाता है।
अगर ऐसा है तो यह हिन्दू धर्म के लिए भी बहुत बड़े खतरे की झलक है,बड़े संघठन  उन्हें यह देखना होगा कि हिन्दू एकता और धर्म के नाम पर कुकुरमुत्तों की तरह फैल हुए संगठन कंही किसी विशेष भावनाओं से प्रेरित होकर या किसी के इशारों पर तो ऐसे कृत्यों को अंजाम नही दे रहे।
बहरहाल अमेरिका सीआईए का भारत देश के दो बड़े संगठनों को आतंकी संगठन की लिस्ट में सुसज्जित किया जाना बड़े शर्म की बात है।
मंसूबों के लिए धर्म का ध्रुवीकरण गहरी चिंता का विषय है,युवाओं को ज्यादा सक्रिय और समझदार रहने की जरूरत है,न कि शिकारियों के चंगुल में फंसने की।
क्योंकि सभी आतंकियों का उपयोग मात्र चारे के रूप में किया जाता है।

लेख सर्वाधिकार सुरक्षित,

©®योगेश योगी 'किसान'
Blog-yogeshmanisinghlodhi.blogspot.in

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सोमवार, 11 जून 2018

क्या इस फैशले को उच्च कोटि का कहा जा सकता है,या फिर यह फैशला एक सोची समझी साजिश का नतीजा है,यह आने वाला वक्त तय करेगा,यह उन प्रतिभाओं के लिए एक झटके से कम नही जो 15-20 साल तक तैयारी करते हैं,
अगर निजी कंपनियों के अधिकारियों को इस बेस पर नियुक्ति दी जा सकती है कि अमुक व्यक्ति ने 15 साल का अनुभव प्राप्त किया है,तो यह एक हास्यास्पद बात है,क्योंकि अगर 15 साल या उससे अधिक के कार्यानुभव वाले व्यक्ति पर सरकार को दया आ रही तो ,इस देश मे ऐसे तमाम लोग हैं जिनका हर क्षेत्र में कार्यानुभव 15 साल या 50 साल है,
मसलन
1.कृषि करने वाले को  कृषि विभाग के उच्च पद ,
2.सफाई कर्मचारियों को सफाई विभाग के उच्चधिकारियों के पद,
3.खेलकूद में अनुभव रखने वालों को खेल मंत्रालय के उच्च पद,
4.शिक्षा विभाग में कार्य करने वाले संविदा अतिथि विद्वानों या अन्यत्र जगह काम करने वालों को उच्च पद,
5.रोड बनाने वाले ठेकेदारों को कार्यानुभव आधार पर उच्च शासकीय पद,
6.निजी स्वास्थ्य कर्मियों को स्वास्थ्य के उच्च पद,
7.पेट्रोल पंप पर कार्य करने वाले दैनिक कर्मियों को उच्च पद,
8.दैनिक वेतन भोगियों मजदूरों को उच्च पदों पर मौका कार्यानुभव के आधार पर,

ऐसे कई सारे क्षेत्रों में कार्य करने वाले व्यक्तियों को कार्यानुभव के आधार पर उच्च पदों के मौके दिया जाना चाहिए,क्योंकि काम तो काम होता है।
यह विडंबना है कि सरकार हमेशा अपने चन्द लोगों को लाभ देने के लिए ऐसे कूटनीतिक षड्यंत्रों को रचती है जो आम जन की समझ के बाहर होते हैं। कंही न कंही नौकरशाह देश को नई दिशा देने का प्रयत्न करते है लेकिन हर मौके पर राजनीति उनके ऊपर भारी साबित होती है ऐसे में इस फैशले से नौकरशाही को खत्म करने की शुरुआत का यह पहला कदम है।
Upsc जैसी संस्था को एक झटके में ही नीचा दिखाने का प्रयास यह लोकतंत्र के साथ एक खिलवाड़ ही है, यह सबको विदित है कि निजी कंपनियां और उसके कर्मचारी निजी स्वार्थ और निजी लाभ के लिए ही कार्य करते आये हैं उनसे देश सेवा की उम्मीद करना बेमानी होगी,यह तो वही बात है कि 100 चूहे  खाकर बिल्ली हज करने को चली है।
इस कुंठा के पीछे उस सोच का हाथ है जो यह चाहती है कि देश मे राजनैतिक और प्रसाशनिक दोनो तरीके से कब्जा कर के मनमाने ढंग से देश को चलाया जाय, आप इसको दुषरे तरीके से कह सकते हैं कि यह एक मानसिक आतंकवाद है जिसके परिणाम बहुत है भयंकर होंगे।
आज जिस तरह से सरकार ने नई  नौकरियों का सृजन करने की जगह उल्टे पुरानी नौकरियों को ही विलोपित किया है उसका यह कदम करोड़ों युवाओं के सपनो पर एक डाका है उनकी प्रतिभा की हत्या है।
यह कहना कंही से कंही तक अतिषन्योक्ति न होगी कि यह पूरे देश को निजी हाथों में सौपने का आरंभ है।


लेख सर्वाधिकार सुरक्षित
©® योगेश मणि योगी 'किसान'
फ़ोटो-पत्रिका 11.06.2018

शनिवार, 9 जून 2018

सैनिक किसान के मरने पर क्यों नामर्दी दिखलाते हो,
आतंकी पत्थरबाजों से क्यों हमदर्दी दिखलाते हो,
देशभक्त कहते हो खुद को शर्म करो या डूब मरो,
सैनिक किसान की हत्या में ऐसे न सहयोग करो,
आतंकी को गले लगा लो, घुँघरू पांवों में पहनो
बालों में गजरा धारण कर ,उनके आँगन में नचलो,
जरा बताओ मंदसौर में क्या किसान आतंकी है?
कितने जमानत पर हैं बाहर, जाने कितने बंदी हैं?
महबूबा के गठबंधन की, सहज गुलामी क्यों करते,
क्यों बैठे हो सत्ता में ,जब इतना ही हो तुम डरते,
न जाने क्यों सबकुछ दिखता, पर किसान न दिखता है,
देश को पाले जो मेहनत से, वो तिल तिल कर मरता है,
आखिर क्यों अनजान बने हो, बहुत उम्मीदें पाली थीं,
तेरा गुल्लक जब जब फूटा सारी खुशियाँ खाली थीं,




सर्वाधिकार सुरक्षित
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©®योगेश मणि योगी 'किसान'

रविवार, 3 जून 2018

#किसानों से लगातार बेरुखी देश का #अन्नदाता मर रहा है,जो वादा हुआ आज तक नही निभाया गया , सिर्फ उद्योगपतियों के लिए दनादन फैसले,
किसानों का दर्द क्या दर्द नही है???
खैर महलों वालों से अपेक्षा ही क्या??

महबूबा को कभी चीन को जाकर गले लगाते हो,
छाती पर रखकर किसान की हरी चीनी ले आते हो,

इतने निर्मम इतने निर्दयी कैसे तानाशाह बने,
मंचों से जो वादे करते सबके सब उपहास बने,

देश की खतिर जीता मरता वही आज परेशान है,
पूँछ रही थी भारत माता क्या मोदी इंसान है,

भूमिपुत्र की हालात पर क्यों तुमको तरस नही आती,
सीना 56 सिकुड़ा कैसा तुमको शरम नहीं आती,

बुलडोजर चलवा दो सबपर कहो किसानी बंद करें,
हाथों में ले हथियारों को खुद अपना प्रबंध करें,

किसानो के पैरों की तुम धूल नही हो मोदी जी,
किसने तुमको सत्ता सौंपी भूल रहे हो मोदी जी,

सर्वाधिकार सुरक्षित
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©®लोधी योगेश योगी 'किसान'

ईद मुबारक #Eidmubarak

  झूठों को भी ईद मुबारक, सच्चों को भी ईद मुबारक। धर्म नशे में डूबे हैं जो उन बच्चों को ईद मुबारक।। मुख में राम बगल में छुरी धर्म ध्वजा जो ...