सोमवार, 7 मई 2018

किसानों की आत्महत्या या हत्या??



पूरा पढ़ना अगर इंसान हो तो???

अगर आप सुबह शाम की थाली चट कर जाते हैं और एक बार भी उस #अन्नदाता के बारे में नही सोचते तो जान लीजिए आप चाहे जितना कर्म कर लो सब व्यर्थ है?

#नेताओं,#उद्योगपतियों के खानदान में कितने लोगों ने तंगी और आर्थिक परेशानी के कारण #आत्महत्या की है, हमको आपको ये नेता, सत्ता,संगठन, भारत आजद होने के बाद विकास की जगह  मंदिर-मस्जिद,हिन्दू-मुस्लिम-ईसाई,गाय ,धर्म, जाति आदि आदि के प्रपंच रचकर व्यस्त रखते हैं और हम इनके जाल में उलझे हैं ,यह बात याद रखना की इनका मकसद सिर्फ राजनीति है आम जन और किसानों का विकास नही।
इनका मकसद अँग्रेजों,मुगलों से भी गया गुजरा है ये आपकी खून की अंतिम बूँद तक चूष लेंगे,ये उद्योगपतियों के पाले पोषे वो नाग हैं जिनके चेहरे पर तो मासूमियत है लेकिन जहर कोबरा से भी खतरनाक है!
जागो यह भारत किसी के बाप की बपौती नहीं किसानों और गरीबों तुम्हें तुम्हारा हक नही मिलता तो ये अट्टालिकाएँ छीन लो और इनकी हुकूमत में आग लगा दो, घुट घुट के आखिर कब तक जिओगे, ये मलाई छाने और हम जहर पियें आत्महत्या करें, ऐसा कब तक चलेगा आज़ादी के बाद से आज तक सिर्फ नारे और भाषण विकास का सारा धन चन्द लोगों की मुट्ठी में,हालात जैसे के तैसे???

पहन कर लखलखा खद्दर वतन के रहनुमा बनते,
निभाते एक न वादा सजे मंचों से जो कहते,
बना जन रट्टू तोता है जो तेरे जाल में फंसता,
तुम्हें खुद याद न रहता कँहा किससे हो क्या कहते,

बिका ईमान है तेरा नजर फसलें नहीं आतीं,
बहुत बातें यँहा होतीं मगर असलें नहीं आतीं,
न जाने क्यों तुम्हें नफरत हुई मेरे किसानों से,
बने क्यों मूर्ख फिरते हो तुम्हें अकलें नहीं आतीं,

करोगे जो कभी मेहनत किसानी जान जाओगे,
कटाई कर लो एकड़ भर तो हमको मान जाओगे,
चलाओ मुँह न मंचों से रहो औकात में अपनी,
दराती जो उठा ली तो हमें पहचान जाओगे,



सर्वाधिकार सुरक्षित
©®योगेश मणि योगी 'किसान



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ईद मुबारक #Eidmubarak

  झूठों को भी ईद मुबारक, सच्चों को भी ईद मुबारक। धर्म नशे में डूबे हैं जो उन बच्चों को ईद मुबारक।। मुख में राम बगल में छुरी धर्म ध्वजा जो ...