शुक्रवार, 30 मार्च 2018

हमे मंदिर चाहिए हमे मस्जिद चाहिए,हमे धर्म चाहिए,हमे ये चाहिए हमे वो चाहिए???????????

आखिर क्यों कभी व्यवस्थाओं को सुधारने और बुनियादी समस्याओं के लिए कभी आवाज नही उठाते हो ,देश को इनके अलावा भी जरूरत है बहुत सारी चीजों की ,आज तक एक रैली नही निकाली कभी किसानों के लिए ,न ही किसी सैनिक के लिए ,न ही किसी बलात्कारी के लिए,???
आज देश को इसके अलावा भी ऊपर उठकर सोचने की जरूरत है,
किसानो की 90 एकड़ फसल जलकर राख हो जाती है व्यवस्था के नाम पर तुम्हारे पास क्या है 1 दमकल गाड़ी,
क्यों??
चारों तरफ 11000 वोल्ट के बिजली वायर ठेकेदारी की भेंट चढ़े इतने लूज हैं कि न जाने कौन से खेत मे किसान की बलि ले लें,
आखिर क्यों इन पर कोई बहस और बात नही करना चाहता?
राष्ट्र की धुरी हैं हम किसान!
फसल हमारी कर्मभूमि है , और व्यवस्था हमारा अधिकार?
शहरों में विकास के नाम पर गंगा बहाए जा रहे हो ,मतलब क्या है तुम्हारा क्या गांवों में कीड़े मकोड़े रहते हैं, शहरों को AIMS, IIT, IIM, मेट्रो,एयरपोर्ट,पार्क, सब कुछ ,
गाँवो में विकास के नाम पर सिर्फ मोहल्लों में घटिया RCC रोड बस!!
हो गया विकास??
याद रखो धर्म गांवों में ही जिंदा है,खेत और खलिहानों में जिंदा है, जिस दिन बगावत पर उतरे तो सम्हालना मुश्किल हो जाएगा।
सबके साथ साथ बुनियादी समस्याओं पर भी ध्यान दो?

©®योगेश योगी
लेख 

मंगलवार, 20 मार्च 2018

इसमें भी कांग्रेश का हाथ होगा, नही है? फिर वामपंथी, नही है?फिर पक्का माओवादी, नही है?तो फिर देशद्रोही,नही हैं? अरे तो फिर पक्का मजदूरों का काम है,क्या कहा नही है? पाकिस्तान का होगा,नही है? तो फिर शत प्रतिशत किसानों का काम होगा, सही कहा ? 
उल जलूल बक रहा हूँ, कैसा कह रहे हैं साहब में तो आपकी सहायता कर रहा हूँ आरोप किसी के सर तो जाना ही है, इसलिए प्रेस कांफ्रेश के लिए पुख्ता नाम बता रहा था?
नाराज क्यों होते हैं? नाराज हो तो सुनो..
आरोप प्रत्यारोप का दौर खत्म करो राजनीति में थोड़ा सा ईमानदारी की शूरुआत करो, काम करो काम, तरक्कियाँ काम से मिलती हैं मंचों से नहीं!
और सुनो देश हित चिल्लाने से नही होता जनमानस का ख्याल रखना कर्तव्य समझोगे ,तभी देश एक होगा और उन्नतशील होगा, वसुधैव कुटुम्बकम कह देने बस से काम नही चलेगा?
विदेशों से उन्नति के नाम पर सभी सरकारें इतना कर्जा लेती हैं और उसका होता क्या है,सब अफसर नेता और ठेकेदारों के पेट मे जाता है ,यकीन मानिए अगर प्रोजेक्ट की लागत का 50%भी खर्च कर पाने का साहस सरकारों ने किया होता तो कभी ये दिन नही देखने पड़ते ? जो नीचे से ऊपर तक रिश्वत के परसेंट मिलजुल कर बाँट रखे हैं न, वह किसी से नही छुपे, रिश्वत को भी यह कह कर प्रोजेक्ट में लिया जाता है कि 3% तो ईमानदारी है, जो हर हर विभाग के मंत्री के पास अपने आप पहुंच जाता है,?
कभी सोचा है किसी ने की 5 साल तक मंत्री ,विधायक,सांसद, ठेकेदार ,या फिर अफसर अचानक से हजारों करोड़ के मालिक कैसे बन जाते हैं? और कैसे??
क्योंकि हकीकत ये है कि हम अपने अधिकारों पर बात करना नही जानते ,सत्ताओं से प्रश्न पूंछना नही जानते? जानते हैं तो बस चाटुकारिता? देश केवल गाय-गाय,हिन्दू-हिन्दू,मुसलमान-मुसलमान, करने से नही सुधरेगा अगर संगठनों के नाम पर हम देशभक्ति का दिखावा करते हैं तो फिर अत्याचार अनाचार पर संगठनो का मौन रवैया क्यों नजर आता हैं यह भी गंभीर प्रश्न है?
कहने का तात्पर्य ये की देश को एक रूपता में पिरोने है तो सत्ताओं से सवाल जवाब करना ही होगा और सबको समानता के हक देने ही होंगे?
©®योगेश योगी
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ब्लॉग -आओ कुछ नया करें

सोमवार, 12 मार्च 2018

बड़ा दुख होता है जब प्रधान जी कहते हैं कि किसान मेरी पहली प्राथमिकता हैं और वही आज देश मे दुर्भावना का शिकार हैं जिसको आपकी IT सेल मावोवादी, वामपंथी,देशद्रोही करार देकर आपकी बातों को सत्य साबित कर रही है की आपके पहले टारगेट पर हम ही हैं कांग्रेस मुक्त करते करते आज किसान मुक्त भारत करने पर तुले हो,
हम किसानों ने नासिक से मुम्बई तक का सफर अपने हक पाने के लिए किए ,वो हक जिन्हें भारत की आजादी से लेकर आज तक सिर्फ आस्वाशन के रूप में ही मिले हैं, आखिर क्यों तुम्हे दर्द नही, क्यों तुम्हारी जिह्वा से एक शब्द नही निकलता इन बेवस लाचार और देश की मुख्यधारा के नल-नीलों के लिए, क्या किसान का जन्म सिर्फ गरीबी लाचारी बेवसी में मरने के लिए बस हुआ है उसकी जिंदगी कोई ज़िन्दगी नहीं, सबको दुनिया जीतने की ललक उसे ये भी हक़ नही की वह अपनी बुनियादी समस्याओं से निजात पा सके, क्या यह अन्याय नही है? अगर धर्मों की बात करें तो कौन से धर्म में ये लिखा है कि दूसरों का पेट भरने वालों को यूँ तिल तिल मारा जाय,आखिर हमारी गलती क्या है? क्या हमने ये गलत किया कि तुम सबके बच्चे भूँखे न सोएं इसलिए हमने रात रात भर जागकर अनाज को पैदा किया तुम्हारी थाली तक पहुंचाया, और बदले में क्या मिला हमारी लागत से भी कम में हमारी फ़सलों का सौदा किया गया, तुम्हारे बच्चों का पेट तो भर गया लेकिन उस माटी मोल कीमत से हमारे बच्चे भूखे सोते रहे, हर बार इसी आस में कई शायद कुछ बेहतर होगा हमने अपना सब कुछ गिरवी लेकर कर्जा लिया कि शायद इस बार फसल अच्छी होगी तो सब ठीक होगा, ईश्वर से बचे तो तुमने लुटा नही तो तुम्हारी जमात में ईश्वर भी शामिल हो गया किसी ने कसर नही छोड़ी, बची कुची कसर उस दिन पूरी हो गई जब हम आतंकी,माओवादी, वामपंथी की परिभाषा से अलंकृत किया गया यह सम्मान पाकर हमारा सीना चौड़ा हो गया ,जानते हो क्यों?
क्योंकि तुम्हारे पास हमे कुचलने का ये अच्छा बहाना था दंगाइयों की टोली कहकर तुम हमको कुचल सकते हो? और हमारे अरमानों के साथ साथ हमारे हक और हमारी आवाज सब दफन हो जाएगी और सब यह कहकर पल्ला झाड़ लेंगे की ये अलंकृत लोग थे? आज सबकी अट्टालिकाएँ खड़ी हो गईं हम जिस के तस रहे, क्या जरूरत थी हमे बाहर निकलने की धूप में चलकर नासिक के तमाम गाँवो से मुम्बई तक आने की नंगे पांव हम अपने छाले दिखाना चाहते थे न ,न साहब ये गरीबी के छाले हैं चप्पल खरीद पाएं इतनी भी औकात नही बची है हमारी जानते हो क्यों तुम्हारी सुविधाओं में सब लूट गया हमारा  ! लेकिन क्या करते साहब भूख सब कुछ करवा सकती हैं, में भी कैसा पागल हूँ भूख की उपमा 56 भोग से भरे हुए पेटों के सामने कर रहा हूँ, नही साहब नही मैं फ़ोटो खिंचवाने आया था चैनल में लाइव होने आया था घर मे बोल कर आया था मुझे देखना मैं लाइव आऊंगा? मुझे इतनी राजनीति नही आती मैं तो इतना जनता हूँ कि मेरी फसलों की इज़्ज़त मंडी में यूँ न नीलम हो उसके कुछ कपड़े बचे रहने दो लागत से ऊपर तो दे दो, मैं खेतों में मरता हुन मेरे बेटे फौज में और ये देशवासी चुप हैं जाने क्यों इन्हें लगता है कि अनाज नेता पैदा करते हैं, कुछ गलत कह दिया क्या? आगा नही कहा तो फिर क्यों तुम्हारे गुलाम हैं सब हमारे हक की बात क्यों नही करता कोई? क्या भारत देश हमारा नही क्या हम विदेशी हैं? देश बनाने में हमारा कोई योगदान नही है? सारा विकास ,सारी मेहनत सिर्फ तुम नेताओं ने ही की है?
अरे कँहा जा रहे हो मुँह छिपाकर कुछ तो बोल दो कुछ तो कह दो चलो गाली ही दे दो, अरे सुनो न चलो समस्या का हल में ही बताता हूँ सुन तो लो , गोली ही दे दो?

©®लेख सर्वाधिकार सुरक्षित
योगेश योगी वाल से

गुरुवार, 1 मार्च 2018

ये हैं पूंजीपतियों का विश्व बनाने का सपना, विकसित और विकासशील देशों को बनाने में हम मानवता को दफन कर चुके हैं ,तन पर छाल लपेटे हुए हमारे पूर्वज, जिन्हें आज की दुनिया मे नंगा कहा जाता है, वह बहुत सभ्य और शालीन थे! अरे नंगे तो तुम लोग हो जिनकी भावनाएं पैसों और तरक्की के बोझ तले दबकर सिसकियाँ लेती हैं, तुम्हारे उत्थान ने इंसानियत को शर्मशार कर दिया है ।आज मानवता का भविष्य ही खत्म होता दिख रहा है,झूठी आकांछा,झूठा रौब झाड़कर मासूम बच्चों की लाशों के ढेर लगाकर कौन सी तरक्की की ओर जा रहे हो कौन से विश्व की कल्पना कर रहे हो,कभी सोचा है कि तुम्हारी इस नापाक सोच ने कितने मासूमों का कत्ल किया है,कत्ल नही किया तुमने हैवानियत का वो नंगा नाच किया है जिसे देखकर शैतान भी शर्म से धरातल में चला जाय, लेकिन तुम क्यों जाओगे तुम्हे तो चाँद में जाना है मंगल में जाना है वँहा जीवन की संभावना तलाशना है फिर वँहा इंसानी बस्तियां बनाना है,क्या करोगे बस्तियाँ बनाकर भला तुम,जब तुम बसी हुई बस्तियों के दुश्मन हो उन्हें विकसित करने की जगह उन्हें विनासित करने में लगे हो ,भला कैसे यकीन हो कि तुम चाँद, मंगल पर घर बसाओगे, आज तुम जिसे तरक्की कहते हो वह तरक्की नही हैं,तरक्की होती है भूखे को खाना खिलाना गिरते को उठाना,मरते को बचाना लेकिन तुमने किया क्या है,इसका उल्टा ! आश्चर्य होता है कि लोग तुम्हे महाशक्ति कहते हैं तुममे शक्ति लायक कुछ नही है? तुम कायर हो ,शक्तिवान वो होता है जो दूसरों की रक्षा करता है, जीवन लेने वाला कभी शक्तिवान नही हो सकता, याद रखना तुम्हारा ये अहम तुम्हे इतना भारी पड़ेगा कि दुनिया से इंसानियत खत्म हो जाएगी फिर रह लेना अकेले और जीत लेना विश्व ,बन जाना विश्व विजेता, जिस तरह सिकंदर, बाबर, हिटलर ने सपना देखा था? पर ये क्यों भूलते हो वो जब दुनिया से गए थे खाली हाथ थे,मुझे याद है मेरे बाबा मुझे सिकंदर की कहानी सुनाते थे तब उसमे एक प्रसंग था? जब सिकंदर मरने वाला था, उसने कहा था मुझे कब्र में दफनाना तो मेरे दोनों हाथों की हथेलियों को बाहर रखना ताकि दुनिया देख सके कि सब कुछ जीत के भी मैं हार गया? मैंने बचपन मे ही सीख लिया, तुम महाशक्ति बनने के बाद भी अनभिज्ञ हो,हो या बनते हो? शातिर हो तुम, तुम्हारा यही शातिरपन दुनिया के विनाश के लिए ज़िम्मेदार होगा ,याद रखना!मानवता के हत्यारे!

लेख सर्वाधिकार सुरक्षित
प्रकाशनार्थ
©® लोधी योगेश मणि योगी
www.yogeshmanisinghlodhi.blogspot.in 

ईद मुबारक #Eidmubarak

  झूठों को भी ईद मुबारक, सच्चों को भी ईद मुबारक। धर्म नशे में डूबे हैं जो उन बच्चों को ईद मुबारक।। मुख में राम बगल में छुरी धर्म ध्वजा जो ...