मंगलवार, 23 जून 2020

चीन पर कविता

सोच रहा था नहीं लिखूँगा, दो कौड़ी पंचफुटिये पर।
इसकी मैं हर बात को रखता, नोकों वाले जुतिये पर।।
लेकिन अब तो हद हो बैठी, हमको आँख दिखाता है।।
शायद च्याउ भूल गया है, भारत से क्या नाता है।।
अरे! कान खोलकर सुन ले बेटा, हम भारत के बेटे हैं।
पैदा होते ही खतरों और अंगारों में खेले  हैं।।
शांति शांति के चक्कर मे धोखे से है वार किया।
पीठ के पीछे धोखा देकर, कीलों से प्रहार किया।।
इस गुमान में मत रहना की,  सैनिक तुमने मारे हैं ।
हमने सैनिक जानबूझकर, भारत माँ पर वारे हैं।।
एक-एक सैनिक का बदला, आज नहीं तो कल होगा।
नहीं लिया तो मातृभूमि और, माँ कोख से छल होगा।।
घर मे घुसकर इन चीनी की, शरबत अब बन जाने दो।
बहुत हो गया शांति स्वयंबर, एक युद्ध ठन जाने दो।।
इंच इंच वापस ले लो, अब समय नहीं समझाने का।
आँख दिखाए आँख फोड़ दो, समय नहीं रुक जाने का।।



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