लिख दूँ माँ पर गीत में कैसे,
जिसने लिखा हो जीवन मेरा।
मैं हूँ उसका वो माँ मेरी,
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
माँ ने जीवन को सिखलाया,
जीवन क्या है ये बतलाया।
सदा फिक्र वह मेरी करती,
जान न्योछावर मुझपे करती।
लोरी गाती हुआ सवेरा।
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
घर से बाहर कभी रहूँ जब,
सोच मुझी पर रखती तब-तब,
सांस अटक जाती थी उसकी,
आंधी बारिश देख अंधेरा।।
मैं हूँ उसका वो सब मेरा,
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
आँचल से वह चिपका लेती,
मानो शावक को दू देती,
कहती सोजा मेरे लाला,
नाजों से है उसने पाला,
दिल मे उसके रहे बसेरा,
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
ममता का अंबार वही है।
मेरा घर दर द्वार वही है।
ईश्वर मेरा जन्नत मेरी।
करता हूँ सब ऊन्नत मेरी।
रात वही है वही सवेरा।
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
रूठ कभी यदि मैं जाता हूँ।
खुद को तनहा जब पाता हूँ।
करती है वह घना प्रेम तब।
अर्पण करती मुझपर सब वह।
माँ जैसा न कोई मेरा।
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
©®योगेश योगी किसान
#स्वामीनाथन_रिपोर्ट_लागू_करो
#निजीकरण_बंद_करो
जिसने लिखा हो जीवन मेरा।
मैं हूँ उसका वो माँ मेरी,
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
माँ ने जीवन को सिखलाया,
जीवन क्या है ये बतलाया।
सदा फिक्र वह मेरी करती,
जान न्योछावर मुझपे करती।
लोरी गाती हुआ सवेरा।
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
घर से बाहर कभी रहूँ जब,
सोच मुझी पर रखती तब-तब,
सांस अटक जाती थी उसकी,
आंधी बारिश देख अंधेरा।।
मैं हूँ उसका वो सब मेरा,
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
आँचल से वह चिपका लेती,
मानो शावक को दू देती,
कहती सोजा मेरे लाला,
नाजों से है उसने पाला,
दिल मे उसके रहे बसेरा,
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
ममता का अंबार वही है।
मेरा घर दर द्वार वही है।
ईश्वर मेरा जन्नत मेरी।
करता हूँ सब ऊन्नत मेरी।
रात वही है वही सवेरा।
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
रूठ कभी यदि मैं जाता हूँ।
खुद को तनहा जब पाता हूँ।
करती है वह घना प्रेम तब।
अर्पण करती मुझपर सब वह।
माँ जैसा न कोई मेरा।
माँ ही तो है जीवन मेरा।।
©®योगेश योगी किसान
#स्वामीनाथन_रिपोर्ट_लागू_करो
#निजीकरण_बंद_करो