पहले उप्र फिर बिहार फिर सूरत फिर बिहार अगला स्थान क्या आपका शहर या गाँव...बच्चों की लगातार मौत से दिल आहत हुआ बस शब्द निकल पड़े😭
मरते बच्चे देख रहे हो, दर्द हुआ या नही हुआ।
हेरोइन जब मरती है तब, दुख में साहब ट्वीट हुआ।।
देश चाहता बुलेट नहीं है, न ही मंदिर मस्जिद अब।
बच्चे सब मर जाएंगे तो, पूजा होगी कैसे कब।।
बुनियादी सुविधाएं रोएं, शिक्षा स्वास्थ्य बड़ी घटिया।
देशभक्ति का रंग चढ़ा कर, बातों से डालो पटिया।।
नहीं जरूरत मंगल जाना, न बुलेट ट्रेन की बातें हो।
लाल मेरे ज़िंदा रह जाएं, चैन से उनकी रातें हो।।
ऑक्सीजन कि कमी से मर गए, गोरखपुर हम भूल गए।
सूरत में किस कमी से बच्चे, सीधे छत से कूद गए।।
देखो हाल बिहार का साहब, दो बारी दुहराया है।
एसी में बैठे प्लानर को, अब तक समझ न आया है।।
क्यों होती हैं मौतें इतनी, बच्चे मरें किसान मरें।
बिना युद्ध के रोज रोज ही, सीमा पर जवान मरें।।
बच जाए यदि बेटी तो, कब लूट जाएगी पता नहीं।
कुछ हठधर्मी कहते हैं कि, घटना है यह खता नहीं।।
संताने यदि होती तो, शायद तुम दर्द समझ पाते।
एक बच्चे के मर जाने पर, बदहवास से हो जाते।।
खुद के लिए सैलरी भत्ता, रोज रोज बढ़वाते हो।
राष्ट्रभक्ति जब करते हो सब, क्यों वेतन ले जाते हो।।
इस वेतन से ही कुछ कर दो, शायद मौतें रुक जाएँ।
राष्ट्रवाद की जय-जय होगी, नतमस्तक सब हो जाएँ।।
ऐसा ही गर चला तो साहब, बच्चे सब मर जाएँगे।
सीमा पर लड़ने को सैनिक, कहो कँहा से लाएँगे।।
सर्वाधिकार सुरक्षित
मूलरूप में ही शेयर करें
©®योगेश योगी किसान
मरते बच्चे देख रहे हो, दर्द हुआ या नही हुआ।
हेरोइन जब मरती है तब, दुख में साहब ट्वीट हुआ।।
देश चाहता बुलेट नहीं है, न ही मंदिर मस्जिद अब।
बच्चे सब मर जाएंगे तो, पूजा होगी कैसे कब।।
बुनियादी सुविधाएं रोएं, शिक्षा स्वास्थ्य बड़ी घटिया।
देशभक्ति का रंग चढ़ा कर, बातों से डालो पटिया।।
नहीं जरूरत मंगल जाना, न बुलेट ट्रेन की बातें हो।
लाल मेरे ज़िंदा रह जाएं, चैन से उनकी रातें हो।।
ऑक्सीजन कि कमी से मर गए, गोरखपुर हम भूल गए।
सूरत में किस कमी से बच्चे, सीधे छत से कूद गए।।
देखो हाल बिहार का साहब, दो बारी दुहराया है।
एसी में बैठे प्लानर को, अब तक समझ न आया है।।
क्यों होती हैं मौतें इतनी, बच्चे मरें किसान मरें।
बिना युद्ध के रोज रोज ही, सीमा पर जवान मरें।।
बच जाए यदि बेटी तो, कब लूट जाएगी पता नहीं।
कुछ हठधर्मी कहते हैं कि, घटना है यह खता नहीं।।
संताने यदि होती तो, शायद तुम दर्द समझ पाते।
एक बच्चे के मर जाने पर, बदहवास से हो जाते।।
खुद के लिए सैलरी भत्ता, रोज रोज बढ़वाते हो।
राष्ट्रभक्ति जब करते हो सब, क्यों वेतन ले जाते हो।।
इस वेतन से ही कुछ कर दो, शायद मौतें रुक जाएँ।
राष्ट्रवाद की जय-जय होगी, नतमस्तक सब हो जाएँ।।
ऐसा ही गर चला तो साहब, बच्चे सब मर जाएँगे।
सीमा पर लड़ने को सैनिक, कहो कँहा से लाएँगे।।
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©®योगेश योगी किसान
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