जम्मू की सुंजवा सैन्य छावनी पर हुए आतंकी हमले पर पर आक्रोश जताती मेरी रचना-
जम्मू की गलियों में फिर से सैनिक पर है घात हुआ,
सत्ता के अय्याशों को जबसे सत्ता से प्यार हुआ,
56 इंची सीने पर कोहराम मचाते भड़वे हैं,
तेरे गठबंधन पर तुझको चना चबाते कड़वे हैं,
भगवा भगवा करते करते झोली में हो बैठ गए,
जाने किस मद में डूबे हो या फिर अहम में ऐंठ गए,
रोज रोज सैनिक मरता है मरता रोज किसान है,
घर में घुस कर तांडव करते जीना यँहा हराम है,
सैनिक के जीवन को समझे खादी की औकात नहीं,
56 इंची सीना सुन ले उसमे अब वो बात नहीं,
जयचंदों से समझौता जब सत्ता खतिर हो जाए,
जनहित के मुद्दे भी जब घोर तिमिर में खो जाए,
मेरी कलम है प्रश्न पूँछती सत्ता के चटुकारों से,
पद लोलुप पैसे में डूबे घर के उन मक्कारों से,
ऐसे कैसे देश चलेगा रक्षक मारे जाते हैं,
नित नित हमलों से घर के सब बेटे मारे जाते हैं,
इतना तो एहसान करोगे एक आदेश थमाने का,
दुनिया जश्न मनाएगी फिर नक्शे से मिट जाने का,
©®योगेश योगी
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सर्वाधिकार सुरक्षित
जम्मू की गलियों में फिर से सैनिक पर है घात हुआ,
सत्ता के अय्याशों को जबसे सत्ता से प्यार हुआ,
56 इंची सीने पर कोहराम मचाते भड़वे हैं,
तेरे गठबंधन पर तुझको चना चबाते कड़वे हैं,
भगवा भगवा करते करते झोली में हो बैठ गए,
जाने किस मद में डूबे हो या फिर अहम में ऐंठ गए,
रोज रोज सैनिक मरता है मरता रोज किसान है,
घर में घुस कर तांडव करते जीना यँहा हराम है,
सैनिक के जीवन को समझे खादी की औकात नहीं,
56 इंची सीना सुन ले उसमे अब वो बात नहीं,
जयचंदों से समझौता जब सत्ता खतिर हो जाए,
जनहित के मुद्दे भी जब घोर तिमिर में खो जाए,
मेरी कलम है प्रश्न पूँछती सत्ता के चटुकारों से,
पद लोलुप पैसे में डूबे घर के उन मक्कारों से,
ऐसे कैसे देश चलेगा रक्षक मारे जाते हैं,
नित नित हमलों से घर के सब बेटे मारे जाते हैं,
इतना तो एहसान करोगे एक आदेश थमाने का,
दुनिया जश्न मनाएगी फिर नक्शे से मिट जाने का,
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