मंगलवार, 13 फ़रवरी 2018

लूट भरी है झूठ भरी है,
रग-रग ,नस-नस लूट भरी है,
संस्कारों की बात न करना,
हर बाला में नजर गोश्त है,
हीरोइन अब न्यूड खड़ी है,
कोई काम नही मिलता है,
जब डिग्री के मारों को,
जब सत्ता में कुंडली मारे,
बहुत से नमक हरामों को,
जब नफरत की आग जलाकर,
रोटी सेंकी जाती है,
दंगें झगड़ा करवाने को,
बोटी फेंकी जाती है
जाति धर्म की आग लगाकर,
मजहब पाठ पढ़ाते हैं,
खुश होते हैं आग लगाकर,
अपना वतन जलाते हैं,
जब वोटों की खातिर सारे,
तिकड़म पाले जाते हैं,
जाने कितने बच्चे भूखे,
सड़कों पर सो जाते हैं,
बुनियादी बातों से जब जब,
ध्यान हटाया जाता है,
समझो राजनीति से उसका,
बेहद गहरा नाता है,
कर्ज तले जब ईश्वर रोता,
खेत और खलिहानों में,
माटी मोल है कीमत मिलती,
साँठ गाँठ बेईमानो में,
जब बेटी की बीच बजरिया,
अस्मत लूटी जाती है,
मेरे मन मे एक शंका तब,
यूँ ही घर कर जाती है,
क्या कानूनों की बेदी पर,
कोई हवन नही करता,
आग लगा दो जब तेरे,
कानूनों से कोई नही डरता,
राजनीति ने देश धर्म पर,
ऐसी कालिख पोती है,
देश तोड़ती इनकी चालें
हरकत इनकी ओछी है,
वतन जान है वतन मान है,
हम सबका अभिमान है,
इससे हम हैं हमसे ये है,
रग रग में हिंदुस्तान हैं
मिलकर रहना होगा सबको,
तभी देश बन पाएगा,
बिना वतन के बोलो कैसे,
कौन यँहा रह पायेगा,

©®योगेश मणि योगी
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रविवार, 11 फ़रवरी 2018

जम्मू की सुंजवा सैन्य छावनी पर हुए आतंकी हमले पर पर आक्रोश जताती मेरी रचना-

जम्मू की गलियों में फिर से सैनिक पर है घात हुआ,
सत्ता के अय्याशों को जबसे सत्ता से प्यार हुआ,
56 इंची सीने पर कोहराम मचाते भड़वे हैं,
तेरे गठबंधन पर तुझको चना चबाते कड़वे हैं,
भगवा भगवा करते करते झोली में हो बैठ गए,
जाने किस मद में डूबे हो या फिर अहम में ऐंठ गए,
रोज रोज सैनिक मरता है मरता रोज किसान है,
घर में घुस कर तांडव करते जीना यँहा हराम है,
सैनिक के जीवन को समझे खादी की औकात नहीं,
56 इंची सीना सुन ले उसमे अब वो बात नहीं,
जयचंदों से समझौता जब सत्ता खतिर हो जाए,
जनहित के मुद्दे भी जब घोर तिमिर में खो जाए,
मेरी कलम है प्रश्न पूँछती सत्ता के चटुकारों से,
पद लोलुप पैसे में डूबे घर के उन मक्कारों से,
ऐसे कैसे देश चलेगा रक्षक मारे जाते हैं,
नित नित हमलों से घर के सब बेटे मारे जाते हैं,
इतना तो एहसान करोगे एक आदेश थमाने का,
दुनिया जश्न मनाएगी फिर नक्शे से मिट जाने का,

©®योगेश योगी
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ईद मुबारक #Eidmubarak

  झूठों को भी ईद मुबारक, सच्चों को भी ईद मुबारक। धर्म नशे में डूबे हैं जो उन बच्चों को ईद मुबारक।। मुख में राम बगल में छुरी धर्म ध्वजा जो ...