शनिवार, 22 जुलाई 2017

भारत माँ के बेटे तुझको नमन देश ये करता है,
तेरे फौलादी जज्बे से दुश्मन थर थर कँपता है,

हां आती है याद बहिन को सुने घर के आंगन में,
माँ भी अपने आँसु पोंछे छुप छुप करके दामन में,

तेरी एक झलक पाने को हम सब है बेताब रहे,
दिल ही दिल मे सह लेते है आख़िर किससे क्या कहें?

जिस उंगली को पकड़ के सीखा चलना इस संसार में,
वही कलाई सुनी रह जाती है हर त्योहार में,

मेरे भैया तुम हो गौरव भारत माँ की शान के,
सोते हैं हम चैन नींद की रक्षक हिंदुस्तान के,

भले नही हो पास मगर सुनकर के खुस हो लेते हैं,
जब तुमको भारत माँ के बेटे की संज्ञा देतें हैं,

हम सबको उम्मीद यही तोड़ोगे न अभिमान को,
भारत माँ की सेवा में अर्पण कर दोगे जान को,

राखी की तुम लाज बचाना जो बांधी स्वाभिमान ने,
 दुश्मन पग न रखने पाए मेरे हिंदुस्तान में,

तेरी बहना वचन माँगती पीछे कदम नही करना,
सीने को तोपों के आगे टकराने से न डरना,

भले वीरगति मिले तुझे है असली सम्मान वही,
मेरे भाई, माँ के बेटे है तुझ पर अभिमान सही,

©®कवि योगेश मणि योगी

मंगलवार, 11 जुलाई 2017

अमरनाथ हमले पर आतंकियों को चेताती मेरी रचना

अमरनाथ हमले पर आतंकियों को चेताती मेरी रचना-

शिव शम्भू के बेटों को उसके घर मे मारा है,
पाकिस्तानी तेरी हरकत फिर से ये कायराना है,

आखिर उनका दोष भला क्या जो पूजा को जाते हैं?
बेलपत्र,सिंदूर,आक और श्रद्धा पुष्प चढ़ाते हैं,

उनके लहू से लाल किया है अमरनाथ की धरती को,
तुमने फिर से ललकारा है भारत देश की हस्ती को,

महाकाल के भक्त को तुमने बेमतलब में मारा है,
सुन ले कायर आतंकी, शिव शम्भू को ललकारा है,

खुला नेत्र तीजा तो अब महाप्रलय आ जायेगा,
तुमको सुन लो नही बचाने बाप तुम्हारा आएगा,

धोखे से मारा है तुमने अपने को मत वीर कहो,
एक बाप से पैदा हो गर , सामने आओ युद्ध करो,

गर त्रिशूल न पार हुई इन सीने की दीवारों से,
नहीं गिनेंगे खुद को हम, फिर भोले के मतवालों में,

रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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रविवार, 9 जुलाई 2017

गाली क्या है?

जिसके पास विषयों की समझ नही होती ,वाद करने को शब्द नही होते,तर्क करने की क्षमता नही होती,
यानी कि मूढ़ होते हैं, और हीन भावना से ग्रषित होते हैं।
तर्क की समझ नही होती इसलिए कुतर्क करना आरंभ कर देते हैं। जिसे हम सामान्यतः गाली कहते हैं।

©®योगी

सोमवार, 3 जुलाई 2017

दर्द की बहती सरिता लिखता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

भृस्टाचार मुक्त है भारत मेरा,
कदम कदम पर भाई चारे का है डेरा,
किसान अब कँहा आत्महत्या करता है?
फौजी भी अब दुश्मन के हाथों नही मरता है!
हकीकत की स्याही से कुछ शब्द चुनता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

नेता मेरे देश में हैं ,ईश्वर से बढ़कर,
जनता के साथ खड़े हैं डटकर,
उनके कामों को सबसे पहले करते हैं,
अपने घर अब नही वो भरते हैं!
मैं भी कवि होने का फर्ज कहता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

पुलिश ईमानदार है नही करती अत्याचार है,
गरीबों के लिए हरदम तैयार है,
अमीरों से अब नहीं होता समझौता है,
गुंडों का साथ कोई पुलिस वाला नही देता है,
मैं भारत की खुशियों की बात कहता हूँ,
चलो अच्छी से एक कविता लिखता हूँ,

फौजी सीमा पर आराम कर रहा है,
कोई दुश्मन नहीं परेशान कर रहा है,
नही आती है कोई लाश घर के आंगन में,
न कोई शव आता है सर कटा माँ के दामन में,
देश की वाहवाही की बात लिखता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

कानून की आंखों से पट्टी खुल गई है,
अब सबको देश मे आज़ादी मिल गई है,
अब नही बिकता कोई जज देश मे,
फैशला होता है बिना पैसे के परिवेश में,
कानून की अस्मिता पर चादर ढंकता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

लटका है डाली पर नही वो किसान है,
कर्ज से अब नहीं कोई परेशान है,
फसलों के भाव भी अच्छे मिलने लगे हैं,
अब घर खुश है, बच्चे भी पढ़ने लगे हैं,
जो सुनना चाहते हो वही कहता हूँ,
चलो अच्छी सी एक कविता लिखता हूँ,

आंसुओं की स्याही में कलम डुबोकर,
हकीकत में देश की काटें चुभोकर,
सच्चाई से देश की दूर करता हूं,
मैं भी चलो चाटुकार बनता हूँ,
जो सुनना चाहते हो वही लिखता हूँ,
चलो तलवे चाटती एक कविता लिखता हूँ,

रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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ईद मुबारक #Eidmubarak

  झूठों को भी ईद मुबारक, सच्चों को भी ईद मुबारक। धर्म नशे में डूबे हैं जो उन बच्चों को ईद मुबारक।। मुख में राम बगल में छुरी धर्म ध्वजा जो ...