संजय लीला भंसाली को मारा थप्पड़-
फिल्म पद्मावती बना रहा निर्देशक संजय लीला भंसाली को राजस्थान में शूटिंग के दौरान जोरदार थप्पड़ मारा गया।
इस फिल्म में रानी पद्मावती को अलाउद्दीन खिलजी की प्रेमिका बताया गया है , विवाद यही है।
हकीकत यह है कि रानी पद्मावती बहुत ही खूबसूरत थी ,जिसे पाने की चाहत में ही अलाउद्दीन ने चित्तौड़गढ़ में आक्रमण किया था, अलाउद्दीन की परछाई तक रानी तक नहीं पहुँच पाई, इतिहास गवाह है कि रानी ने खुद तथा अपनी हजारो सेविकाओं के साथ आग में कूद कर जौहर कर लिया था।
इतिहास से छेड़छाड़ कर रानी का चरित्र गलत तरीके से पेश करने के कारण ही भंसाली का ये हश्र हुआ।
अब प्रश्न ये उठता है कि आखिर कब तक बॉलीबुड अपनी मनमानी दर्शकों पर थोपेगी, कभी गुजरात के आतंकवादी डॉन लतीफ़ के ऊपर "रईस"बनाई जाती है ,कभी दाऊद के ऊपर "डी कंपनी "बनाई जाती है।
कभी पाकिस्तानी कलाकारों को बॉलीवुड का बाप बनाया जाता है, कभी उस अश्लील फिल्मो की नायिका सनी लियोनी को लाया जाता है ,आखिर क्यों?
क्योंकि बॉलीवुड के अधिकांश डायरेक्टर अंडरवर्ड के इशारे पर काम करते है किसे कब लेना है ये ऊपर बैठे आका तय करते है ,उनके साथ रात गुजारने वाली बारबालाएं हिंदुस्तान में हेरोइन कहलाने लगती है जो हिंदुस्तान के माहौल को तार-तार करती है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि हम हिंदुस्तानी खुद अपना जनाज़ा दूसरों के कंधे पर सौंप रहे है। अपनी परंपरा को तलवे चाटने पर मजबूर कर रहे है वरना ऐसे निर्माता निर्देशक की औकात क्या जो हमारे सामने गलत चीजें परोस सकें, अगर ऐसा ही विरोध होता रहे तो ऐसे निर्माता निर्देसक अपनी दुकान में ताला लगा लेंगे ।
और विरोध जरुरी है ताकि हमारा हिंदुस्तान बचा रहे।
फिल्म पद्मावती बना रहा निर्देशक संजय लीला भंसाली को राजस्थान में शूटिंग के दौरान जोरदार थप्पड़ मारा गया।
इस फिल्म में रानी पद्मावती को अलाउद्दीन खिलजी की प्रेमिका बताया गया है , विवाद यही है।
हकीकत यह है कि रानी पद्मावती बहुत ही खूबसूरत थी ,जिसे पाने की चाहत में ही अलाउद्दीन ने चित्तौड़गढ़ में आक्रमण किया था, अलाउद्दीन की परछाई तक रानी तक नहीं पहुँच पाई, इतिहास गवाह है कि रानी ने खुद तथा अपनी हजारो सेविकाओं के साथ आग में कूद कर जौहर कर लिया था।
इतिहास से छेड़छाड़ कर रानी का चरित्र गलत तरीके से पेश करने के कारण ही भंसाली का ये हश्र हुआ।
अब प्रश्न ये उठता है कि आखिर कब तक बॉलीबुड अपनी मनमानी दर्शकों पर थोपेगी, कभी गुजरात के आतंकवादी डॉन लतीफ़ के ऊपर "रईस"बनाई जाती है ,कभी दाऊद के ऊपर "डी कंपनी "बनाई जाती है।
कभी पाकिस्तानी कलाकारों को बॉलीवुड का बाप बनाया जाता है, कभी उस अश्लील फिल्मो की नायिका सनी लियोनी को लाया जाता है ,आखिर क्यों?
क्योंकि बॉलीवुड के अधिकांश डायरेक्टर अंडरवर्ड के इशारे पर काम करते है किसे कब लेना है ये ऊपर बैठे आका तय करते है ,उनके साथ रात गुजारने वाली बारबालाएं हिंदुस्तान में हेरोइन कहलाने लगती है जो हिंदुस्तान के माहौल को तार-तार करती है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि हम हिंदुस्तानी खुद अपना जनाज़ा दूसरों के कंधे पर सौंप रहे है। अपनी परंपरा को तलवे चाटने पर मजबूर कर रहे है वरना ऐसे निर्माता निर्देशक की औकात क्या जो हमारे सामने गलत चीजें परोस सकें, अगर ऐसा ही विरोध होता रहे तो ऐसे निर्माता निर्देसक अपनी दुकान में ताला लगा लेंगे ।
और विरोध जरुरी है ताकि हमारा हिंदुस्तान बचा रहे।