बुधवार, 8 जनवरी 2020

अबकी खेती मा भयो है

अबकी खेती मा भयो है नुकसान,
हमारी गत को जाने।

बैठे बिठाए थाली मिलती खाके चट कर जाते,
उसकी पीड़ा कभी नहीं तुम सरकारों तक लाते,
अन्न का दाता तिल तिल करके कर्जे में है मरता,
फिर भी बेवस होकर तेरे पेट सदा वो भरता,
उसकी महिमा गाउँ वो है भगवान,
हमारी गत को जाने,
अबकी खेती मा भयो...

ऊँचे ऊँचे महल खड़े हैं नींव के पाथर हम हैं।
फिर भी मेहनत मेरी भारत सदा तोलता कम है
पेट सदा जो भरते तेरे वही फिरे है भूँखा।
सबके जो भंडार भरे है उसी के घर मे सूखा,
सत्ता बन बैठी क्यों शैतान
हमारी गत को जाने,
अबकी खेती में भयो है...

लड़का बच्चा भुंखों मर रए कठिन विपत्ति जारी,
घाटा लग रहा रोज रोज ही बड़ी बुरी लाचारी,
कर्जे में डूबी संपत्ति आस टूटती जा रही,
ऐसा चलता रहा मान लो फांसी की तैयारी
सबके जलवे अन्नदाता परेशान,
हमारी गत को जाने,
अबकी खेती में भयो..

©योगेश योगी किसान
सर्वाधिकार सुरक्षित

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