सोमवार, 23 सितंबर 2019

देश जागरण करने वाले काव्य के पुरोधा राष्ट्र गौरव #रामधारी_सिंह_दिनकर जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन।
एक रचना समर्पित-

लिखता हूँ मैं देश का #वंदन, लिखता जन की पीर को।
लिखता हूँ #किसान की माटी, लिखता सीमा के वीर को।।
लिखता हूँ मैं #राजनीति से, उपजे देश के छालों को।
जाति #व्यवस्था के सीने पर, पार हुए उन भालों को।।
लिखता हूँ मैं नींव का पत्थर, #दबी हुई आवाजों को।
जो जनता को हक़ न देते, लिखता उन #सरताजों को।।
जब तक भारत मे #शोषण है, बात लिखूँ अपमानों की।
गाथा कैसे कलम लिखेगी, चाटुकार #बेईमानों की।।
मैं #दिनकर का वंशज हूँ, मैं #संविधान की बात करूँ।
माँ शारद ने जिम्मा सौंपा, कैसे मैं #आघात करूँ।।
सुन लो कोई #कवि नहीं, दर्दों को गाने वाला हूँ।
माँ के दामन का जिम्मा है, उसका मैं #रखवाला हूँ।।
समरसता जब न मिलती तब, #इंकलाब लिख जाता हूँ।
जनमानस की #पीड़ा को तब, मैं शब्दों में गाता हूँ।।

©®योगेश योगी किसान

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