शुक्रवार, 26 मई 2017

मातृशक्ति का दामन कैसे फिर से तार तार हुआ,
यूपी के गुंडों के आगे कानून लाचार हुआ,
खुलेआम घूमे हैं वहसी करते वो मनमानी है,
गर्दन काटों व्यभिचारी की हरकत ये शैतानी है,
नेताओं के बोल बचन से कान भर गए लोगो के,
भारत माँ भी व्यथित हुई है इन चोरों के धोको से,
आज तलक कानून नहीं ये बना सकी सरकार है,
या तो इसका संरक्षण है या करती व्यापर है,
खुद की बेटी का पल्लू जब कोई राक्षस खींचेगा?
खुद की इज़्ज़त का ढ़पला जब बीच सड़क पर पीटेगा?
खुद की बीबी जब वहसी के आगे नतमस्तक होगी?
जब इनके घर में घुसकर ऐसी कोई दस्तक होगी?
तभी दर्द होगा लगता है पड़े पाँव के छालों का,
सर इनका भी नीचा होगा मस्त बने मतवालों का,
देश की जनता से धोका आखिर कुर्सी की खातिर क्यों?
आतंकी तो बम फोडे है उससे भी हो शातिर तुम?
नेताओं के आगे रोना, सौदा क्यों सम्मानों का,
गिन गिन कर बदला ले डालो खुद अपने अपमानों का,
अब क्रांति की अलख जलेगी कानून की होली से,
भारत माता की जय होगी तलवारों की रोली से,


रचनाकार-
लोधी योगेश मणि 'योगी'
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